पति के प्रोत्साहन से बढ़ा रूपा तिर्की का हौसला

लोगों ने कसा तंज-लॉन बॉल्स कौन सा खेल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
कॉमनवेल्थ गेम्स में लॉन बॉल में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली स्टार प्लेयर रूपा रानी तिर्की झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली हैं। जिस देश में क्रिकेट की पहुंच शहर और गांव-गांव तक हो, वहां लॉन बॉल के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। कई तो इसे खेल के रूप में भी नहीं लेते लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों में देश को स्वर्णिम सफलता दिलाने वाली नारी शक्ति की आज हर कोई तारीफ कर रहा है। 
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ में जब भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया और फाइनल में पहुंची तब इस खेल के बारे में लोग जान सके। यहां तक कि टीम को पहुंचने में रूपा रानी तिर्की की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के साथ मैच में रूपा तिर्की का नेतृत्व दिखा। वह 10 अगस्त को दिल्ली आएंगी। 
बकौल रूपा मेरा जन्म रांची में हुआ। रांची के राजा बंगला कम्पाउंड सुजाता चौक में मेरा घर है। अभी झारखंड के ही रामगढ़ जिले में जिला खेल पदाधिकारी के रूप में पोस्टेड हूं। इसके पहले चाईबासा में इसी पद पर थी। चार महीने पहले जब मैं नेशनल कैंप में दिल्ली आई तभी मेरा ट्रांसफर किया गया। अभी मैंने वहां ज्वॉइन भी नहीं किया है।
पापा उज्जवल तिर्की रेल पुलिस अधीक्षक कार्यालय टाटानगर में कार्यरत थे। 2007 में उनका निधन हो गया। इसके बाद मम्मी ने डोरंडा पोस्ट ऑफिस में नौकरी की। वो भी साल भर पहले रिटायर हो गई हैं। एक बड़ी और एक छोटी बहन है। बड़ी बहन रीमा रानी तिर्की बिशप स्कूल डोरंडा में स्पोर्ट्स टीचर हैं। वह क्रिकेट खेलती हैं। जबकि छोटी बहन रायमा रानी तिर्की ने एमबीए किया है। वह भी पहले बॉस्के बॉल खेलती थी लेकिन आगे पढ़ाई छोड़ दी। वह कॉम्पटीशन की तैयारी कर रही है।
मैंने संत अन्ना स्कूल रांची से पढ़ाई की। आगे गोस्सनर कॉलेज से पढ़ाई की। खेल के साथ पढ़ाई भी जारी रही। मैंने इतिहास विषय से ग्रेजुएशन किया। अक्टूबर 2020 में मुझे नौकरी मिली। लॉन बॉल्स में आने से पहले मैंने राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी खेली। बास्केटबॉल भी खेला। इसी दौरान एक शुभचिंतक ने मुझे लॉन बॉल के बारे में बताया। तब मैं इस खेल के बारे में नहीं जानती थी। मैंने जब खेलना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगा। जब मैंने तय किया कि मैं लॉन बॉल्स में जाऊंगी, तब कई लोगों ने कहा कि ये कौन सा खेल है। इसमें कोई फ्यूचर नहीं है। घर परिवार के ही लोगों ने कहा कि दूसरे गेम में जाना चाहिए लेकिन मुझे लगा कि नहीं, मेरा भविष्य इसी खेल में है।
फरवरी 2007 की बात है। गुवाहाटी में ऑस्ट्रेलिया के कोच आए हुए थे। 10 दिनों का कैंप लगा था। वहां मेरा सेलेक्शन हो गया। इसके बाद प्रैक्टिस करने लगी। तब झारखंड के खेल मंत्री ने भी मुझे काफी प्रोत्साहित किया। दो साल बाद यानी 2009 में ऑस्ट्रेलिया में जूनियर वर्ल्ड कप खेला। इसी साल चीन में हुई एशियन चैम्पियनशिप में हमने गोल्ड मेडल हासिल किया। 
अगले ही साल 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स होने थे। कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए इंडियन टीम बनानी थी। तब ऑस्ट्रेलिया के कोच रिचर्ड गेल ने ट्रेनिंग देना शुरू किया। 40-40 दिन के दो ट्रेनिंग कैंप के लिए न्यूजीलैंड और मलेशिया में रही। इस ट्रेनिंग का ही असर रहा कि इंडियन टीम सेमीफाइनल तक पहुंच सकी। इसके बाद लगातार खेल चलता रहा। मेलबर्न आस्ट्रेलिया के रहने वाले रिचर्ड गेल ने 2009-10 में ट्रेनिंग दी। वहीं 2010 से लेकर 2018 तक मधुकांत पाठक सर ने प्रशिक्षण दिया।
इसी साल जनवरी में मेरी शादी हुई। मेरे पति अमृत मिंज इंजीनियर हैं। हम लोग अमृत के एक फ्रेंड के जरिए मिले थे अक्टूबर 2020 में। इसके बाद सुतबंधनी (शादी फिक्स करना) हुई। हमने तय किया कि पहले घर बना लेते हैं, उसके बाद शादी करेंगे। एक साल बाद हमने शादी की। शादी के एक महीने बाद ही मुझे दिल्ली में नेशनल कैंप के लिए जाना था। मैंने थोड़ा संकोच किया। पति से कहा भी कि अभी-अभी शादी हुई है। कैंप के लिए कैसे जाएं। इस पर अमृत ने प्रमोट किया। उन्होंने कहा कि इस खेल को तुमने इतने साल दिए हैं। अब इसे यूं ही मत जाने दो। जाओ जमकर अपना गेम खेलो। उनके सपोर्ट से ही मैं नेशनल कैंप आ सकी। दिल्ली में चार महीने नेशनल कैंप में रही। 20 जुलाई को हम बर्मिंघम के लिए रवाना हुए थे।
धोनी सर बढ़ाते रहे हैं उत्साह
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने हमेशा प्रोत्साहित किया है। जब उनका दिउड़ी मंदिर जाना होता है तब वो प्रैक्टिस करते समय मिलने जरूर आते हैं। लॉन बॉल्स भी खेल लेते हैं। वह बताती हैं कि दक्षिण अफ्रीका को हराना आसान नहीं था। वो वर्ल्ड चैम्पियन रहे थे। कई कॉमनवेल्थ में वो विजेता रहे थे। लेकिन हमने सही रणनीति अपनायी। खिलाड़ियों को लगातार मोटिवेट करती रही। दक्षिण अफ्रीका की कमजोरियों को पहचाना और अपना नेचुरल खेल खेला। भारत को पहली बार कॉमनवेल्थ में मेडल मिल सका है। इसी स्ट्रेटजी से हमने न्यूजीलैंड जैसी मजबूत टीम को हराया था।

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