अभ्यास के लिए लवलीना ने बीच में छोड़ा उद्घाटन समारोह

एक घंटे तक फंसी रहीं लवलीना, नहीं मिली टैक्सी
बर्मिंघम।
ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन को बर्मिंघम में परेशानी का सामना करना पड़ा। लवलीना राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह को बीच में ही छोड़ कर निकल गई थीं। वो अगली सुबह ट्रेनिंग करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें टैक्सी नहीं मिली और वो लगभग एक घंटे तक फंसी रहीं।
समारोह गुरुवार रात को लगभग दो घंटे तक चला और लवलीना ने भारतीय मुक्केबाजी दल के एक अन्य सदस्य मुहम्मद हुसामुद्दीन के साथ खेल गांव के लिए जल्दी निकलने का फैसला किया। खेल गांव अलेक्जेंडर स्टेडियम से लगभग 30 मिनट की दूरी पर था। 
लवलीना से जब पूछा गया कि वो उद्घाटन समारोह से जल्दी क्यों निकली थीं तो उन्होंने कहा, "हम सुबह प्रशिक्षण लेना चाहते हैं क्योंकि हमारे पास एक दिन बचा है। समारोह खत्म होने में समय था इसलिए हमने जाने का विचार किया। हमने टैक्सी मांगी लेकिन हमें बताया गया कि यह उपलब्ध नहीं है।" लवलीना और हुसामुद्दीन को यह पता नहीं था कि अपने आवास पर वापस कैसे जाना है। उन्होंने अंततः राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र के पास खेलगांव के लिए पहली बस ली।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल को आयोजकों ने तीन कारें दी हैं, लेकिन उनके ड्राइवर उपलब्ध नहीं थे। सभी एथलीट और अधिकारी बसों में उद्घाटन समारोह के लिए पहुंचे थे और टैक्सी के ड्राइवरों को घर जाने के लिए कह दिया गया था। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के उपाध्यक्ष राजेश भंडारी इस घटनाक्रम से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा "हम समारोह के बीच में थे और मुझे बाद में पता चला कि वह और एक अन्य मुक्केबाज जल्दी चले गए। हम सभी बसों में आए और उस समय टैक्सी का विकल्प उपलब्ध नहीं था। अगर वे जल्दी निकलना चाहते थे तो उन्हें नहीं आना चाहिए था। 
भंडारी ने कहा, "ऐसे कई एथलीट थे जिन्होंने नहीं आने का फैसला किया क्योंकि उन्हें सुबह प्रशिक्षण या प्रतियोगिता में जाना था, जिसे हम पूरी तरह से समझते हैं। मैं इस मामले पर बॉक्सिंग टीम से बात करूंगा।" समारोह में कुल 164 एथलीटों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया, जो भारतीय दल का आधा है। महिला क्रिकेट टीम के सदस्यों ने भी अगली सुबह अपने मैच के कारण होटल में रुकने का फैसला किया। इससे पहले, लवलीना ने आरोप लगाया था कि उनकी निजी कोच संध्या गुरुंग को खेलगांव के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। उनके कोचों को लगातार परेशान किया जा रहा है। बाद में गुरुंग के खेलगांव के अंदर जाने की व्यवस्था की गई।

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