ट्रांसजेंडर तैराक को अब महिला कैटेगरी में शिरकत की अनुमति नहीं

क्या है तैराकी फेडेरेशन से जुड़ा विवाद?
नई दिल्ली।
अंतरराष्ट्रीय तैराकी फेडरेशन ने महिला कैटेगरी में शामिल होने वाली तैराकों को लेकर सख्त नियम लागू किए हैं। कोई भी ट्रांसजेंडर तैराक अब महिला कैटेगरी में भाग नहीं ले सकती है। इसके साथ ही एक ओपेन कैटेगरी बनाने का फैसला किया गया है, जिसमें सभी तरह के तैराक भाग ले सकेंगे। फीना के इस फैसले के बाद अमेरिका की लिया थॉमस जैसी तैराक एथलेटिक्स और विश्व चैम्पियनशिप जैसे बड़े इवेंट में भाग नहीं ले पाएंगी। थॉमस इसी साल महिला तैराकी में चैम्पियन बनने वाली पहली ट्रांसजेंडर बनी थीं।
थॉमस शुरुआत में तीन साल तक पुरुषों की कैटेगरी में भाग ले रही थीं और इसी कैटेगरी में उन्होंने अपनी तैयारी की थी। इसके बाद वो महिला कैटेगरी में शामिल हुईं और कई रिकॉर्ड बनाए। उन्हें लेकर काफी विवाद हुए थे। इसके बाद तैराकी और खेल में कैटेगरी को लेकर काफी चर्चा हुई थी और कई लोगों का यह मानना था कि महिलाओं की कैटेगरी में ट्रांसजेंडर के शामिल होने से महिलाओं को बराबर का मौका नहीं मिल रहा है। इसमें कई पुरानी तैराक और कोच भी शामिल थे। 
कई लोगों का मानना था कि जिन महिलाओं के अंदर युवा अवस्था में प्रवेश करते समय पुरुषों वाले लक्षण दिखते हैं, उनकी शारीरिक क्षमता सामान्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है। ऐसे में महिला की प्रतियोगिता को बचाने की जरूरत है, ताकि उनके पास जीतने के बराबर मौके हों। वहीं, ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों का समर्थन करने वाले लोगों का मानना था कि इस बारे में अब तक पर्याप्त शोध नहीं हुए हैं, जो यह साबित कर सकें कि ट्रांसजेंडर महिलाओं की शारीरिक क्षमता सामान्य महिलाओं से ज्यादा होती है। एथलीट एली जैसे समूहों ने फिना की नई नीति को भेदभावपूर्ण, खतरनाक और अवैज्ञानिक बताया था।
सिर्फ बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए है नया नियम 
फिना का नया नियम सिर्फ विश्व चैम्पियनशिप जैसी उन्हीं प्रतियोगिताओं के लिए है, जो खुद फिना आयोजित कराता है। जहां तैराकों की पात्रता का पैमाना फिना तय करता है। इससे ओलम्पिक में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों की भागीदारी और महिला कैटेगरी में विश्व रिकॉर्ड का पैमाना भी प्रभावित होगा। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर या स्थानीय स्तर पर फिना के नए नियम का पालन जरूरी नहीं होगा। राष्ट्रीय फेडरेशन प्रतियोगिताओं में अपना खुद का पैमाना तय कर सकते हैं। नया नियम सिर्फ महिला कैटेगरी में भाग लेने वाली ट्रांसजेंडर तैराकों के लिए है। पुरुष कैटेगरी में भाग लेने वाले ट्रांसजेंडर पहले की तरह सभी प्रतियोगिताओं में शामिल हो सकेंगे वहीं, एक ओपन कैटेगरी भी बनाई जाएगी, जिसमें सभी तरह के तैराक शामिल हो सकेंगे। 
रिसर्च के बाद फिना ने लिया फैसला
फिना ने तीन समूहों की एक रिसर्च के बाद यह फैसला लिया है। इस रिसर्च में खिलाड़ियों, विज्ञान और दवाई और मानव अधिकार से जुड़े समूह शामिल थे। इन ग्रुप के सदस्यों ने फिना के अधिकारियों को बताया कि जिन महिलाओं के युवा बनने के दौरान उनमें पुरुषों वाले लक्षण आए थे। उनके अंदर हमेशा के लिए शारीरिक क्षमता में वृद्धि हुई। इसी वजह से ट्रांसजेंडर महिला एथलीट के अंदर सामान्य महिला एथलीट की तुलना में ज्यादा क्षमता पाई गई। 
बाकी खेलों में क्या है पैमाना
अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने नवम्बर में फ्रेमवर्क जारी कर बताया था कि हर खेल से जुड़ी संस्थाएं अपने हिसाब से योग्यता के पैमाने तय कर सकती हैं, लेकिन लिंग के आधार पर किसी खिलाड़ी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके बाद न्यूजीलैंड की वेटलिफ्टर लॉरेन हबार्ड पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बनीं, जिन्होंने अपने जन्म के समय मिलने वाली कैटेगरी के इतर दूसरे कैटेगरी में भाग लिया। 
कई खेल संस्थाओं ने ट्रांसजेंडर महिलाओं को सामान्य महिला कैटेगरी में भाग लेने की अनुमति दी है, अगर उनके शरीर में टेस्ट्रोन की मात्रा एक तय पैमाने से कम है। पिछले सप्ताह ही अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग यूनियन ने इसमें सख्ती करते हुए नियमों में बदलाव किया। अब ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को भाग लेने से पहले दो जांच करानी होंगी, जिसमें उनके शरीर में टेस्ट्रोन की मात्रा 2.5 एनएमओल प्रति लीटर से कम होनी चाहिए। फिना का नया नियम बाकी खेलों में भी ऐसी सख्ती को प्रेरित कर सकता है। फिना जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्था के फैसले को चुनौती देने के लिए अर्टीबीसन स्पोर्ट्स कोर्ट में याचिका लगानी पड़ती है। यह कोर्ट स्विट्जरलैंड में स्थित है। अगर इस मामले में कोई याचिका लगती है तो खेल से जुड़ी बाकी संस्थाएं भी इस पर नजर रखेंगी।  

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