यूपी के आवासीय खेल छात्रावासों पर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का पेंच

खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश के स्वांग पर किसी को भरोसा नहीं

खेलपथ संवाद

लखनऊ। खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश की साख इतना गिर गई है कि अब प्रशिक्षकों ही नहीं खिलाड़ियों का भी उस पर भरोसा नहीं रहा। खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश द्वारा 13 अप्रैल, 2022 को उप-निदेशक खेल ग्रीनपार्क कानपुर सहित प्रदेश के सभी क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारियों को प्रदेश में संचालित 44 आवासीय खेल छात्रावासों में प्रशिक्षण बाबत रुपये 1.50 लाख प्रतिमाह मानदेय पर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की भर्ती बाबत पत्र प्रेषित किए गए थे, दो माह बीत जाने के बाद भी विभाग के स्वांग पर खिलाड़ियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। यद्यपि खेल विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल आवासीय क्रीड़ा छात्रावासों में प्रवेश की चयन प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की अरुचि को देखते हुए एक बार फिर से निदेशक खेल डॉ. राम प्रकाश सिंह को 10 जून, 2022 को उप-निदेशक खेल ग्रीनपार्क कानपुर सहित प्रदेश के सभी क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारियों को पत्र भेजना पड़ा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में हॉकी, तैराकी, वॉलीबाल, जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स, क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केटबाल, कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, हैंडबाल, जूडो एवं तीरंदाजी खेलों के 44 आवासीय खेल छात्रावास संचालित हैं।

लगभग ढाई साल से ये आवासीय छात्रावास बंद रहे हैं, अब विभाग इनको प्रशिक्षकों की बजाय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से चलाने पर आमादा है, वह भी प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये की मोटी रकम खर्च कर। सोचनीय बात तो यह है कि विभाग प्रदेश में तय साढ़े चार सौ प्रशिक्षकों के रिक्त पदों को भी पिछले डेढ़ साल में नहीं भर सका है, यही वजह है कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों का प्रदर्शन अर्श से फर्श पर आ गया है। हाल ही हरियाणा में सम्पन्न हुए चौथे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में उत्तर प्रदेश मेडल टैली में 12वें स्थान पर रहा। यूपी के खिलाड़ियों ने सिर्फ पांच स्वर्ण पदक जीते जबकि इससे पूर्व तीसरे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में यूपी 29 स्वर्ण पदकों के साथ पांचवें स्थान पर रहा था।

खेल निदेशक उत्तर प्रदेश के दूसरे प्रयास पर क्या अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी विभाग को मिल पाएंगे इसमें संदेह है। जो भी हो विभाग के क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारियों को 30 जून तक बाजार से खरीद कर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की सूची खेल निदेशक को देनी है। इतनी आसानी से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का मिलना तो बहुत मुश्किल है, हां, अपनों को उपकृत करने का खेल निदेशक का मंतव्य जरूर पूरा हो सकता है। देखा जाए तो प्रशिक्षकों की जो दुर्दशा उत्तर प्रदेश में है, वैसी अन्य किसी राज्य में नहीं है।   

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