हरियाणा की तीरंदाज रिद्धि ने साधा सोने पर निशाना

खेलो इंडिया यूथ गेम्स: पदक पिता को समर्पित किया
खेलपथ संवाद
पंचकूला।
हरियाणा की तीरंदाज रिद्धि शीर्ष पर रहने की आदी हैं। वह गहन प्रैक्टिस करने की वजह से ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक पर कब्जा करने में कामयाब रही हैं। पिता मनोज कुमार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के साथ अभ्यास करने वाली रिद्धि ने तीरंदाजी प्रतियोगिता की रिकर्व बो कैटेगरी में जीत हासिल कर शीर्ष पर जगह बनाई है। 
रिद्धि ने रविवार को जीते स्वर्ण को अपने पिता को समर्पित करते हुए कहा कि ‘मैं अपनी सफलता का श्रेय पिता को देती हूं’। उन्होंने बताया कि जब वह तीरंदाजी से जुड़ गईं तो उनके पिता खेल को घर ले आए। घर की छत पर ही सुविधाएं स्थापित मुहैया करवाईं। उन्हें विभिन्न प्रतियोगिताओं के अनुसार, धनुष और तीर लाकर दिए। पिता मनोज कुमार को तीरंदाजी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन वे इसमें रुचि रखते थे। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की, क्योंकि करनाल और उसके आसपास कोई कोच नहीं था। 


रिद्धि का 2018 में खेलो इंडिया में पदार्पण हुआ लेकिन सेमीफाइनल में जगह बनाने में असफल रहीं। 2019 में हुए खेलो इंडिया में कांस्य पदक के प्ले-ऑफ में अमनप्रीत कौर से हार गईं। परंतु 2020 में उन्होंने कांस्य जीता। इस बार विश्व नंबर 47 रिद्धि ने स्वर्ण जीता, जिससे हरियाणा की पदक तालिका की स्थिति में इजाफा हुआ, क्योंकि मेजबान टीम पदक तालिका में शीर्ष पर अपना स्थान बनाने के लिए बेताब थीं। रिद्धि का कहना है कि वर्तमान हरियाणा सरकार की खेल नीति काफी अच्छी है। इसी वजह से निखार आया है। यही कारण है कि वे खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीत पाई हैं।
बॉक्सिंग फाइनल में यूपी की रागिनी 
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बॉक्सर रागिनी ने रिंग में सबको धूल चटाते हुए फाइनल में जगह बना ली है। अंडर-18 आयु वर्ग में पहले मेघालय और दूसरे बाउट का मुकाबला झारखंड के साथ हुआ था, जिसमें खिलाड़ी उनके पंच के सामने टिक नहीं पाए और बॉक्सिंग रिंग से बाहर हो गए। वहीं रविवार को दिल्ली के खिलाड़ी के साथ उनका सेमीफाइनल का मुकाबला हुआ। इसमें में 4-1 से जीत हासिल कर फाइनल में जगह बना ली। 
अब फाइनल मुकाबला हरियाणा के साथ सोमवार को होगा। वह बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं जबकि पिता रविदत्त उपाध्याय दमकल विभाग में कार्यरत हैं। वह 2016 से बॉक्सिंग सीख रही हैं। वह सुल्तानपुर में स्टेडियम जाती थीं, जहां उन्होंने किक बॉक्सिंग का मुकाबला देखा था, तभी तय कर लिया था कि बॉक्सर बनना है और अपने देश के लिए पदक लाना है। रागिनी ने बताया कि वह दो बार नेशनल खेल चुकी हैं। एक में रजत और दूसरे में कांस्य पदक हासिल किया था।

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