आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाई जाएगी खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। अब विदेशों की तर्ज पर भारत में भी खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाया जाएगा। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के प्रोफेसर की टीम लगी हुई है। उनका मकसद ऐसा मॉडल तैयार करना है, जिसका फायदा छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों को भी मिल सके। एडवांस टेक्नोलॉजी आज भी छोटे शहर के एथलीट की पहुंच से बाहर है।
पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में हरियाणा सरकार, राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (एससीएसएसआर) द्वारा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करने में नई-नई तकनीक के योगदान पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इसमें पहुंचे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के एनालिटिक्स सेंटर के प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला और प्रोफेसर नंदन ने बताया कि तकनीक खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करने में अहम योगदान दे रही है। अकसर देखने में आता है कि बड़े खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए विदेश जाते हैं और विदेशों में कोचिंग लेते हैं।
उन्होंने कहा- इसकी बड़ी वजह वहां उपलब्ध खेलों से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस है। इसका इस्तेमाल करके खिलाड़ियों के प्रदर्शन को और बेहतर करने पर काम किया जाता है। यह सब अब भारत में हमारे खिलाड़ियों के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए आईआईटी मद्रास की टीम काम कर रही है।
इन तीन मकसद से काम कर रही एनालिटिक्स सेंटर की टीम
प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला ने बताया कि एनालिटिक्स सेंटर, आईआईटी मद्रास की टीम तीन मकसद को लेकर काम कर रही है। पहला मकसद एथलीट के लिए ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम का इंतजाम करना है, जिसमें वह आसानी से तकनीक के माध्यम से अपनी योग्यता को पहचान सके और कमियों को दूर कर सके। दूसरा मकसद एथलीट की परफॉर्मेंस को साइंस और एआई के माध्यम से बढ़ाना है।
इसके लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले छह महीने से एक साल के अंदर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा खेलों से जुड़ी नई-नई तकनीक के लिए नए-नए स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना और ऐसा इकोसिस्टम बनाना है, जिससे यह तकनीक सस्ती हो और आम लोगों तक पहुंच सके। इससे छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ी भी इस तकनीक का फायदा उठा सकेंगे।
पांच प्रोफेसर और एक सीईओ की टीम लगी काम में
प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला ने बताया कि इस काम में आईआईटी मद्रास के पांच प्रोफेसर की टीम लगी हुई है। इनके साथ एक सीईओ भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीम एक ऐसा मॉडल विकसित कर रही है, जिससे खिलाड़ी के बॉयो मार्कर और परफॉर्मेंस मार्कर के आधार पर उनकी क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा उनका मकसद खिलाड़ियों को खेल के दौरान लगने वाली चोट को भी कम करना है, ताकि इससे खेलों में कम से कम ड्रॉप आउट हो।
पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे एक छत के नीचे
राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र के निदेशक ब्रिगेडियर विभु कल्याण नायक ने कहा कि हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में एक छत के नीचे पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी इकट्ठा हुए हैं। इसमें अंजू बॉबी जॉर्ज और डॉ. अजय कुमार बंसल जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने खिलाड़ियों को बताया कि किस तरह उन्हें खेलों के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और भविष्य में दूसरे खिलाड़ी कैसे अपने खेल में और ज्यादा सुधार कर सकते हैं। विभु कल्याण ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 300 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय खेल विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत खिलाड़ियों को खेलों के दौरान लगने वाली चोट और उनके प्रदर्शन को बढ़ाने के संबंध में शोध किए जा रहे हैं।