किसी से कम नहीं मध्य प्रदेश के खेल प्रशिक्षक
मध्य प्रदेश के प्रशिक्षक दे रहे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। मध्यप्रदेश में घर का जोगी जोगना, आन गांव का सिद्ध वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। प्रदेश में सुयोग्य एनआईएस डिप्लोमाधारी प्रशिक्षकों की कमी नहीं है। मध्य प्रदेश की खेल एकेडमियों में सेवारत प्रशिक्षकों और खांटी मध्य प्रदेश के प्रशिक्षकों के परिणामों का अवलोकन किया जाए तो प्रदेश के एनआईएस डिप्लोमाधारी प्रशिक्षक इक्कीस हैं। यकीन न हो तो खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जवाबदेह पदाधिकारी प्रदेश के खेल-गुरुओं के परिणाम देख सकते हैं।
मध्य प्रदेश में कामयाब खेल प्रशिक्षकों की संख्या एक-दो नहीं बल्कि दो दर्जन से भी अधिक है। मध्य प्रदेश की खेल एकेडमियों में कार्यरत प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को जो सुविधाएं मिल रही हैं, उनकी आधी सुविधाएं भी यदि मध्य प्रदेश के खेल-गुरुओं को मिल जाएं तो सच मानिए परिणाम फर्श से अर्श तक पहुंच सकते हैं। संचालक खेल एवं युवा कल्याण, तात्या टोपे नगर स्टेडियम भोपाल, मध्य प्रदेश ने 14 दिसम्बर, 2021 को एक पत्र जारी कर प्रदेश के सम्भागीय और जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारियों से प्रदेश के संविदा प्रशिक्षकों और युवा खेल समन्वयकों द्वारा खेल के क्षेत्र में किए जा रहे उनके सराहनीय कार्यों की जानकारी प्रतिमाह देने के आदेश दिए थे।
पत्र में कहा गया था कि ऐसे प्रशिक्षकों और युवा खेल समन्वयकों के कार्यों की समीक्षा कर श्रेष्ठ कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। खेल एवं युवा कल्याण विभाग की यह पहल वाकई सराहनीय है। दरअसल, मध्य प्रदेश में कई ऐसे खेल प्रशिक्षक हैं जिनकी उत्कृष्ट सेवाएं सम्मान के काबिल हैं। ऐसे प्रशिक्षकों में उज्जैन के जिम्नास्टिक प्रशिक्षक नरेन्द्र श्रीवास्तव, ग्वालियर के हॉकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर, शिवपुरी के जूडो प्रशिक्षक शिशुपाल सिंह रघुवंशी, भोपाल की बैडमिंटन प्रशिक्षक रश्मि मालवीय, जबलपुर के बॉक्सिंग प्रशिक्षक विश्वामित्र अवॉर्डी परमजीत सिंह, मुरैना के एथलेटिक्स प्रशिक्षक नरेन्द्र सिंह तोमर आदि शामिल हैं। इन प्रशिक्षकों ने अपनी लगन और मेहनत से मध्य प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। ऐसे प्रशिक्षकों का सम्मान कर खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रदेश के खेलों में नई जान डाल सकता है।
दुख और अफसोस की बात है कि यह प्रशिक्षक लगभग डेढ़ दशक से विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इन्हें पुरस्कृत करने की कौन कहे इन्हें विभाग की बैठकों तक में नहीं बुलाया जाता। इस मामले में पूर्व संचालक खेल एवं युवा कल्याण संजय चौधरी जरूर अपवाद हैं। श्री चौधरी जब तक संचालक खेल मध्य प्रदेश रहे, वे प्रशिक्षकों को न केवल भोपाल बुलाते रहे बल्कि प्रदेश में खेलों में क्या बेहतर किया जा सकता है, उसके सुझाव भी मांगते थे। वर्तमान संचालक खेल एवं युवा कल्याण रवि गुप्ता ने प्रदेश के प्रशिक्षकों और खेल समन्वयकों को पुरस्कृत करने की जो पहल की है, वह एक स्वागत-योग्य कदम है। इससे प्रदेश में खेलों का बेहतर माहौल बनाने में जरूर मदद मिलेगी। इस नेक कार्य में विलम्ब नहीं होना चाहिए, का वर्षा जब कृषि सुखाने।