एलवेरा ब्रिटो ने हॉकी को बनाया प्यार, नहीं की शादी

अर्जुन पुरस्कार से नवाजी गईं, बहनों की तिकड़ी थी मशहूर
लगातार आठ बार मैसूर को दिलाया था खिताब
खेलपथ संवाद
बेंगलूरु।
हॉकी को बेपनाह मुहब्बत करने वाली एलवेरा ब्रिटो अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन अर्जुन पुरस्कार प्राप्त यह शख्सियत हर भारतीय के दिल में हमेशा जिन्दा रहेंगी। खेलप्रेमियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि एलवेरा ब्रिटो ने पुश्तैनी खेल हॉकी से इस कदर प्यार करती थीं कि उन्होंने ताउम्र शादी न करने का संकल्प ले लिया और अंतिम सांस तक हॉकी से ही प्यार करती रहीं।
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रहीं एलवेरा ब्रिटो का 26 अप्रैल मंगलवार को निधन हो गया। 81 साल का जीवन जीने वाली ब्रिटो ने 1960 के दशक में तब हॉकी में हाथ आजमाया था, जब खेलों में महिलाओं की कोई खास पहचान नहीं थी। मैसूर राज्य (जिसे अब कर्नाटक कहा जाता है) की तरफ से हॉकी खेलते हुए एलवेरा ब्रिटो ने लगातार आठ बार सीनियर नेशनल टाइटल जीता था। अपने परिवार में केवल ब्रिटो ही नहीं बल्कि उनकी दो बहनें-रीटा और माय भी महिला हॉकी खेला करती थीं। साल 1960-67 के दौरान ब्रिटो ने आठ राष्ट्रीय खिताब हासिल किए थे। ब्रिटो और उनकी दो बहनें कर्नाटक की तरफ से हॉकी खेलती थीं। तीनों बहनें न केवल राज्य में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी हॉकी खेल के लिए मशहूर थीं।
माय कहती हैं कि 50 साल से ज्यादा समय हो गया जब हम बहनों ने एक साथ हॉकी खेली थी। उस दौरान कोई ऐसा दिन नहीं जाता था जब हॉकी के बारे में बात नहीं करते हों। ब्रिटो केवल बात ही नहीं करती थीं, बल्कि हॉकी से प्यार करती थीं। केंद्र सरकार ने एलवेरा ब्रिटो को उनके शानदार खेल प्रदर्शन के लिए साल 1965 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था। ब्रिटो यह पुरस्कार पाने वाली दूसरी भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी थीं। उनसे पहले ऐनी लम्सेडन (1961) को यह पुरस्कार दिया गया था। ब्रिटो की कप्तानी में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और जापान की टीमों से लोहा लिया था।
एलवेरा ब्रिटो ने शादी नहीं की और हॉकी खेल के लिए पूरी तरह समर्पित रहीं। ब्रिटो को हमेशा महसूस होता था कि देश में महिला हॉकी को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना कि पुरुषों को दिया गया। लेकिन ब्रिटो ने हार नहीं मानी और हमेशा कर्नाटक में महिला हॉकी की बेहतरी के लिए काम करती रहीं। ब्रिटो ने कर्नाटक राज्य महिला हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर दो कार्यकाल पूरे किए थे। उन्होंने महिला हॉकी में बहुत कुछ हासिल किया और एक प्रशासक के रूप में राज्य खेल की सेवा करना जारी रखा था।

 

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