आईपीएल में शाहबाज अहमद का जलवा
बेटे को सिविल इंजीनियर बनाना चाहते थे अहमद जान
तीन साल की डिग्री पूरी करने में शाहबाज को लगे 11 साल
खेलपथ संवाद
मेवात। हर माता-पिता की तरह शाहबाज के पिता भी चाहते थे कि उनका बेटा सिविल इंजीनियर की पढ़ाई पूरा कर जॉब हासिल करे लेकिन उसे तो क्रिकेटर बनने का जुनून सवार था। शाहबाज के क्रिकेट प्रेम के चलते जो डिग्री उसे तीन साल में मिल जानी चाहिए वह 11 साल बाद मिली। संतोष की बात यह है कि अब शाहबाज क्रिकेट का नूर बन चुका है।
आरसीबी की जीत के हीरो शाहबाज अहमद मेवात जिले के सिकरावा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता अहमद जान पलवल में एसडीएम के रीडर हैं। वह भी एक मध्यमवर्गीय परिवार के मुखिया की तरह चाहते थे कि उनका बेटा सिविल इंजीनियर बनकर जॉब करे और घर गृहस्थी चलाए। इसलिए वो गांव छोड़कर हथीन में रहने लगे, ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
12वीं करने के बाद साल 2011 में पिता अहमद जान ने शाहबाज का एडमीशन फरीदाबाद स्थित मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में कराया ताकि वह इंजीनियर बन सके, पर तीन साल की डिग्री को करने में शाहबाज को 11 साल लग गए। अहमद जान कहते हैं कि सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री को 3 साल यानी 2015 में पूरा हो जाना चाहिए था, पर क्रिकेट की वजह से 2022 में जाकर पूरी हुई। शाहबाज ने एक पेपर 2022 में देकर उसे क्लियर किया। वह भी अपनी मां के कहने पर ही उन्होंने डिग्री हासिल की। वह हमेशा अपनी मां से कहते थे कि डिग्री की चिंता मत करो, यूनिवर्सिटी वाले बुलाकर देंगे। हुआ भी ऐसा ही।
पिता बताते हैं- इस साल जनवरी में यूनिवर्सिटी ने कन्वोकेशन में हमें विशेष रूप से आमंत्रित किया था, पर शाहबाज क्रिकेट की वजह से नहीं पहुंचे, इसलिए हम उनकी डिग्री लेने गए थे। हमें वो सम्मान मिला, शायद वह क्रिकेटर नहीं बनते तो नहीं मिल पाता। अब हमें उनके फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। अहमद जान कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि फरीदाबाद में उनके बेटे का मन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में नहीं लग रहा था। शाहबाज क्रिकेट खेलने के लिए क्लास बंक कर रहे थे। इसकी जानकारी उन्हें तब मिली, जब यूनिवर्सिटी की ओर से उनके पास मैसेज भेजा गया कि उनका बेटा क्लास नहीं आता है।
अहमद जान बताते हैं कि तब उन्होंने शाहबाज से कहा कि वे पढ़ाई या क्रिकेट में से किसी एक को चुनें, लेकिन जो भी चुनें उस पर फोकस करें। तब शाहबाज ने क्रिकेट को चुना और उसी पर फोकस करने की ठान ली। इसके बाद वे गुड़गांव में तिहरी स्थित क्रिकेट एकेडमी जाने लगे। वहां कोच मंसूर अली ने उन्हें ट्रेनिंग दी।
शाहबाज के पिता ने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद उनके दोस्त प्रमोद चंदीला उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए बंगाल लेकर गए। चंदीला भी बंगाल में क्लब क्रिकेट खेलते हैं। शाहबाज को वहां के घरेलू टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन करने पर 2018-19 में बंगाल रणजी टीम में जगह मिली। उसके बाद 2019-20 में उनका चयन इंडिया ए टीम में हुआ। इसके बाद 2020 आईपीएल ऑक्शन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने शाहबाज को 20 लाख में खरीदा। हालांकि उन्हें यूएई में दो मैच ही खेलने का मौका मिला था। 2021 में भी वह आरसीबी टीम का हिस्सा रहे।
दादा को भी था क्रिकेट से प्यार
अहमद जान बताते हैं कि उनके पिता भी क्रिकेट खेलते थे। शाहबाज को भी अपने दादा की तरह क्रिकेट खेलना पसंद था। उनका गांव मेवात जिले में एजूकेशन की वजह से जाना जाता है। गांव में कई इंजीनियर और डॉक्टर हैं। इसलिए वह चाहते थे कि शाहबाज भी इंजीनियर बने। शाहबाज की छोटी बहन फरहीन डॉक्टर है।