खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को बने बेहतर राष्ट्रीय खेल नीति

ऐसी नीति हो जिससे प्रशिक्षक-शारीरिक शिक्षक भी लाभान्वित हों
श्रीप्रकाश शुक्ला

हरियाणा खेलों में देश के अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल है। हरियाणा की पदक लाओ, पद पाओ नीति ने खिलाड़ियों की उम्मीदों को पंख लगाए हैं लेकिन इस नीति से भी बेहतक किया जा सकता है। देश में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की ऐसी बेहतर और स्थायी नीति बनाए जाने की जरूरत है जिससे हर राज्य का खिलाड़ी लाभान्वित हो। हरियाणा खेलों को लेकर यदि बेहतर कर सकता है तो दूसरे राज्य क्यों नहीं। मैं समझता हूं कि खेलों की ऐसी राष्ट्रीय नीति बननी चाहिए जिससे देशभर के खिलाड़ी ही नहीं प्रशिक्षक और शारीरिक शिक्षक भी लाभान्वित हों।
भले ही इसे हरियाणा सरकार का यू टर्न कहें लेकिन यह सुखद ही है कि दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले हरियाणा के खिलाड़ियों के पसीने का सम्मान हुआ है। वे यदि अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चमचमाते पदक लाते हैं तो वे अपना भविष्य भी सुरक्षित कर पाएंगे। सरकार ने एक बार फिर उस नीति में विश्वास जताया है जो खिलाड़ियों के लिये सरकारी नौकरियों की विभिन्न श्रेणियों में पदों को आरक्षित करती है। यह सही भी है कि सामान्य घरों व मुश्किल आर्थिक परिस्थितियों से निकलकर खून-पसीना एक करके तमाम खिलाड़ी देश के लिये पदक लाते हैं। 
हरियाणा सरकार सहित देश के अन्य राज्यों ने पुरस्कारों की राशि बढ़ाकर खिलाड़ियों का हौसला तो बढ़ाया है लेकिन एक खिलाड़ी के खेल का जीवनकाल संक्षिप्त होता है। उनकी शारीरिक क्षमताओं की एक सीमा होती है। ऐसे में यदि उनके रोजगार की कोई ठोस नीति बने तो और बेहतर होगा। मैं हरियाणा सरकार के ताजा फैसले का दिल से स्वागत करता हूं। वैसे यह यक्ष प्रश्न कायम है कि इस नीति को वापस लेने की आवश्यकता हरियाणा सरकार को क्यों पड़ी? बहरहाल, ‘देर आये दुरुस्त आये’ की कहावत चरितार्थ हुई है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में खेल मंत्री तथा खेल विभाग के आला अफसरों ने इस निर्णय पर मुहर लगाई कि खिलाड़ियों के लिये सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत का कोटा बहाल कर दिया जाए, जिसका लाभ तृतीय श्रेणी की नौकरियों में दिया जाता रहेगा। 
इसी तरह डी श्रेणियों की नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ बरकरार रहेगा। यही नहीं, ग्रुप-सी में खिलाड़ियों को विभाग चुनने का मौका अब सरकार देगी। बहरहाल, खट्टर सरकार ने खिलाड़ियों को एक तरह से आश्वासन दे दिया है कि हरियाणा सरकार अपने ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नारे के साथ आगे बढ़ते हुए विभाग की उत्कृष्ट खिलाड़ी रोजगार योजना नीति के तहत विभिन्न श्रेणियों के पदों पर नियमित रूप से नौकरी देती रहेगी। बहरहाल, खिलाड़ियों के उत्साहवर्धन और हरियाणा की खेल जगत में बादशाहत कायम रखने के लिये खेल नीति में स्थायित्व जरूरी है। इसके लिये राज्य में विशिष्ट खेल संस्कृति विकसित करने की जरूरत है। 
निस्संदेह, उत्कृष्ट खिलाड़ियों को रोजगार के उचित अवसर मिलने चाहिए, जिससे वे अपना भविष्य सुरक्षित मानकर खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकें। साथ ही राज्य में स्वस्थ खेल स्पर्धा का विकास हो सके। हरियाणा सरकार द्वारा पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को दिये जाने वाले करोड़ों रुपये के पुरस्कार राज्य की नवोदित खेल प्रतिभाओं का उत्साहवर्धन करने में सहायक होते हैं। यही नहीं अन्य राज्यों के खिलाड़ियों में भी हरियाणा सरकार द्वारा दी जाने वाली आकर्षक ईनाम राशि आकर्षण का केंद्र रहती है। तमाम राज्यों के खिलाड़ी अब हरियाणा की ओर से खेलने के लिये लालायित रहते हैं। लेकिन यहां यह महत्वपूर्ण है कि राज्य में बुनियादी स्तर पर खेल प्रतिभाएं तलाशने का अभियान चलाया जाना चाहिए। फिर उन्हें तराशने के लिये हर जनपद स्तर पर ऐसा ढांचा तैयार करना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों की नई पौध विकसित हो सके। 
दरअसल, बाद में भारी-भरकम पुरस्कार देने के बजाय इन खिलाड़ियों को यदि शुरुआती दौर में ही अनुकूल वातावरण व सुविधाएं मिल सकें तो वे निश्चित रूप से देश के लिये बेहतर प्रदर्शन कर पायेंगे। उन्हें बाद में बड़े पुरस्कार देने के बजाय उस समय मदद की ज्यादा जरूरत होती है, जब वे सीमित आर्थिक संसाधनों के बीच महंगे खेल उपकरणों से अपने खेल को तराश रहे होते हैं। इस संबंध में खेल विशेषज्ञों से विमर्श के बाद खेलों को प्रोत्साहन के लिये अंतिम व कारगर नीति बनानी चाहिए। 
सरकार उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को जो सरकारी नौकरी दे रही है, वे नौकरियां यदि खेल संस्थानों व नई पौध तैयार करने वाले खेल विश्वविद्यालयों में दी जाएं तो राज्य में समृद्ध खेल संस्कृति का विकास हो सकेगा। फिर निश्चित रूप से हरियाणा देश में खेलों के क्षेत्र में नजीर बन सकेगा। साथ ही यहां के खिलाड़ी देश के लिये ज्यादा चमचमाते पदक ला पायेंगे। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए। हरियाणा ही नहीं देश के हर राज्य में खेलों और खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों तथा शारीरिक शिक्षकों के प्रोत्साहन की एक ठोस नीति बननी चाहिए ताकि सभी को बराबर का लाभ मिल सके। एक खिलाड़ी को तैयार करने में शारीरिक शिक्षक और प्रशिक्षक का भी महती योगदान होता है।  

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