देवेंद्र झाझड़िया को मिला पद्मभूषण

यह सम्मान पाने वाले देश के पहले पैरालम्पिक खिलाड़ी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण सम्मान दिया है। वह यह पुरस्कार पाने वाले देश के पहले पैरा एथलीट हैं। झाझड़िया ने तीन ओलम्पिक में देश को मेडल दिलाया है। उनके इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत ही उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है। झाझड़िया राजस्थान के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह अवॉर्ड दिया गया है। उन्होंने पिछले साल टोक्यो पैरालम्पिक में सिल्वर मेडल जीता था। इससे पहले एथेंस 2004 और रियो 2016 के पैरा ओलम्पिक खेलों में देवेंद्र देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
उन्होंने एथेंस पैरा ओलम्पिक 2004 में स्वर्ण पदक जीता था। किसी भी एकल स्पर्धा में भारत के लिए पहला पैरा ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतने वाले चूरू के जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया को साल 2004 और साल 2016 में पैरा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद विभिन्न अवॉर्ड और पुरस्कार मिल चुके हैं।
भारत सरकार द्वारा खेल उपलब्धियों के लिए देवेंद्र को खेल जगत का सर्वोच्च राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। इससे पूर्व उन्हें पद्मश्री पुरस्कार, स्पेशल स्पोर्ट्स अवार्ड 2004, अर्जुन अवार्ड 2005, राजस्थान खेल रत्न, महाराणा प्रताप पुरस्कार 2005, मेवाड़ फाउंडेशन के प्रतिष्ठित अरावली सम्मान 2009 सहित अनेक इनाम-इकराम मिल चुके हैं। वे खेलों से जुड़ी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं। देवेंद्र का जन्म चूरू के सादुलपुर के एक साधारण किसान दम्पति रामसिंह और जीवणी देवी के आंगन में 10 जून, 1981 को हुआ था। देवेंद्र ने सुविधाहीन परिवेश और विपरीत परिस्थितियों को कभी अपने मार्ग की बाधा बनने नहीं दिया। गांव के जोहड़ में एकलव्य की तरह लक्ष्य को समर्पित देवेंद्र ने लकड़ी का भाला बनाकर खुद ही अभ्यास शुरू कर दिया।
1995 में स्कूली प्रतियोगिता से उन्होंने भाला फेंकने की शुरूआत की। कॉलेज में पढ़ते वक्त बंगलौर में राष्ट्रीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक जीतने के बाद तो देवेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1999 में राष्ट्रीय स्तर पर जेवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक जीतना देवेंद्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी। इस तरह उपलब्धियों का सिलसिला चल पड़ा पर वास्तव में देवेंद्र के ओलम्पिक स्वप्न की शुरुआत हुई 2004 में।
2002 के बुसान एशियाड में देवेंद्र ने स्वर्ण पदक जीता। साल 2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और ट्रिपल जंप तीनों स्पर्धाओं में सोने के पदक अपनी झोली में डाले। देश के खेल इतिहास में देवेंद्र का नाम उस दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, जब उन्होंने 2004 के एथेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
इन खेलों में देवेंद्र द्वारा 62.15 मीटर दूर तक भाला फेंक कर बनाया गया। विश्व रिकॉर्ड स्वयं देवेंद्र ने ही रियो में 63.97 मीटर भाला फेंककर तोड़ा। बाद में देवेंद्र ने साल 2006 में मलेशिया पैरा एशियन गेम में स्वर्ण पदक जीता। साल 2007 में ताईवान में अयोजित पैरा वर्ल्ड गेम में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 2013 में लियोन (फ्रांस) में हुई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला। 

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