खेलों में उपलब्धियों से भरा रहा साल 2021
नीरज चोपड़ा ने ओलम्पिक में पदक जीत तोड़ा मिथक
पीवी ने ओलम्पिक में जीता दूसरा मेडल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। खेलों के लिहाज से भारत के लिए साल 2021 बेहतरीन रहा। ओलम्पिक में भारतीय एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन किया। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने भारत के 121 साल के ओलम्पिक इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड में पहला मेडल जीता और वह भी गोल्ड के रूप में। इसके अलावा पुरुष हॉकी हो या महिला हॉकी दोनों में ही टीमों ने इतिहास रचा। इन कामयाबियों ने भारतीय फैंस को न सिर्फ खुशी दी बल्कि कई मौकों पर रुला दिया। नीरज के गोल्ड जीतने के बाद पोडियम पर जब भारतीय ध्वज लहराया और राष्ट्रगान बजा, तो हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।
साल की शुरुआत भारतीय फैंस के लिए शानदार अंदाज में हुई। जनवरी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर थी। इस दौरे पर टीम इंडिया पहला टेस्ट बुरी तरह से हारी थी। इसके बाद जो कहानी भारतीय क्रिकेट टीम ने लिखी, वह देखने लायक थी। भारत ने मेलबर्न टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को हराकर सीरीज एक-एक से बराबर कर दिया था। इसके बाद टीम को सिडनी में खेलना था। सिडनी में टीम इंडिया पर हार का खतरा था। लेकिन फिर ऑस्ट्रेलिया और जीत के सामने चेतेश्वर पुजारा दीवार बनकर खड़े हो गए।
इसके बाद ऋषभ पंत की आक्रामक बल्लेबाजी और हनुमा विहारी-रविचंद्रन अश्विन के दृढ़ संकल्प ने ऑस्ट्रेलिया को जीत से दूर कर दिया। टीम इंडिया ने यह मैच ड्रॉ कराया। फिर टीम गाबा (ब्रिस्बेन) पहुंची, जहां ऑस्ट्रेलियाई टीम 36 साल से नहीं हारी थी। भारतीय टीम ने गाबा का गुरूर तोड़ा और ऑस्ट्रेलिया को 3 विकेट से हराया और चार मैचों की टेस्ट सीरीज 2-1 से जीती। इसके बाद भारतीय खिलाड़ी मैदान के चारों ओर तिरंगे को लहराते रहे। यह पल देखने लायक था और फैंस इमोशनल हो गए थे।
पिछले दो ओलंपिक से भारतीय दल कुछ खास नहीं कर पाई थी। 2012 ओलंपिक में भारत ने कुल तीन मेडल और 2016 में सिर्फ दो मेडल जीते थे। इस बार भी फैंस कोई खास उम्मीद लगाए नहीं बैठे थे। ओलंपिक की शुरुआत हुई और पहले दिन ही वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। इस धमाकेदार शुरुआत ने फैंस के मन में उम्मीद जगा दी। मीराबाई ओलंपिक में मेडल जीतने वाली भारत की दूसरी महिला वेटलिफ्टर बनीं। इससे पहले साल 2000 में सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। मीराबाई ने जिस वक्त सिल्वर जीता था, उस वक्त लाखों भारतीयों के फैंस आंसू से भर गए थे। यह जीत की खुशी के आंसू थे।
टोक्यो ओलंपिक में पहुंचने से पहले महिला हॉकी में टीम इंडिया का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। ओलंपिक में जब टीम मैदान में उतरी तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि देश की बेटियां इतिहास रच देंगी। भारतीय महिला टीम को पूल-ए में नीदरलैंड्स, जर्मनी, ब्रिटेन, आयरलैंड और साउथ अफ्रीका के साथ रखा गया था। भारत अपने ग्रुप में दो जीत और तीन हार के साथ चौथे स्थान पर रहा था।
टोक्यो में भारतीय महिला टीम का अभियान नीदरलैंड, जर्मनी और डिफेंडिंग चैंपियन ब्रिटेन से लगातार तीन मैचों में हार से शुरू हुआ। हालांकि टीम ने शानदार वापसी करते हुए अपने से ऊपर रैंकिंग वाली आयरलैंड टीम को 1-0 से हराया। इसके बाद साउथ अफ्रीका को 4-3 से शिकस्त दी। भारतीय टीम की क्वार्टर फाइनल में जगह पूल-ए के आखिरी मैच में आयरलैंड को 2-0 से हराने के बाद तय हुई।
इसके बाद क्वार्टर फाइनल में तीन बार की ओलिंपिक चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हरा दिया। भारतीय महिला टीम इस जीत के साथ पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाब हो पाई थी। इस जीत ने हॉकी के प्रति भारत के नजरिए को बदल दिया। टीम में शामिल ज्यादातर खिलाड़ी गरीब परिवार से थे। तैयारियों के लिए संसाधन न होने के बावजूद ओलंपिक में परफॉर्म करना बड़ी बात थी। टीम इंडिया की जीत ने हर फैंस का दिल खुशी से भर दिया। सेमीफाइनल में हालांकि टीम को अर्जेंटीना के हाथों 1-0 से हार का सामना करना पड़ा। तब भी टीम के पास कांस्य पदक की आस बाकी थी।
ब्रॉन्ज मेडल मैच में भी टीम इंडिया को ग्रेट ब्रिटेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा। ओलंपिक मेडल चूकने के बाद टीम इंडिया के प्लेयर्स मैदान पर ही फूट-फूटकर रोने लगीं। सविता पूनिया, वंदना कटारिया, कप्तान रानी रामपाल और नेहा गोयल समेत तमाम खिलाड़ी इमोशनल हो गए। इन सभी खिलाड़ियों ने पूरे टूर्नामेंट गजब का प्रदर्शन किया था। अहम मैच में इतना अच्छा खेलने के बावजूद हारने से फैंस का भी दिल टूटा था और उनकी आंखों में भी आंसू थे। भारतीय महिला हॉकी टीम के दबदबे के बारे में आप इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्रिटिश खिलाड़ियों ने भारतीय खिलाड़ियों के सम्मान में खड़े होकर तालियां बजाईं।
महिलाएं एकतरफ मेडल जीतने से चूक गईं, वहीं पुरुष हॉकी टीम ने मेडल जीतकर साल 2021 को यादगार बना दिया। टोक्यो ओलंपिक खेलों में पुरुष हॉकी टीमों ने प्रेरणादायक प्रदर्शन कर इतिहास रचा, जिसे युगों तक याद रखा जाएगा। पुरुष टीम ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर पदक के चार दशकों के सूखे को खत्म किया। भारतीय पुरुष टीम खेल में पदक के 41 साल के लंबे इंतजार को समाप्त करके अपने गौरवशाली अतीत को फिर से याद किया और एक नई सुबह की शुरुआत की।
ओलंपिक में भारत के सफर को याद करें तो उसने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला मुकाबला 3-2 से जीता। हालांकि इसके बाद दूसरे मैच में उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों 1-7 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बाद भारतीय टीम ने जोरदार वापसी की और फिर स्पेन को 3-0, अर्जेंटीना को 3-1 और जापान को 5-3 से हराया। इस के साथ भारतीय टीम ग्रुप-ए में पांच में से चार मुकाबले जीतकर दूसरे स्थान पर रही।
मनप्रीत सिंह की अगुवाई में टीम ने क्वार्टरफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को एकतरफा मुकाबले में 3-1 से पटखनी दी। इस जीत के साथ ही भारतीय टीम 49 साल बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रही। सेमीफाइनल में पुरुष हॉकी टीम को बेल्जियम से 5-2 से हार मिली। इसके बाद ब्रॉन्ज मेडल के लिए हुए मैच में भारत ने ग्रेट ब्रिटेन को 5-4 से हराकर इतिहास रचा।
टीम ने 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता। ओलंपिक में भारत की हॉकी टीम को आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में मिला था, जब वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में टीम ने गोल्ड जीता था। भारत ने ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल पुरुष हॉकी में जीते हैं। टीम ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलावा 1960 में सिल्वर और 1968, 1972 और टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। भारतीय हॉकी में हुए इस कमाल ने हर किसी को इमोशनल कर दिया था।
साल 2021 में भी कोरोना ने लोगों के अंदर अपना खौफ बनाए रखा। टोक्यो ओलंपिक के सफलतापूर्वक आयोजन से पहले कई बार विरोध हुआ। लोग नहीं चाहते थे कि खेलों के इस महाकुंभ का आयोजन टोक्यो में हो। फिर भी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक महासंघ ने कोरोना के बीच रिस्क लेते हुए इसका सफलतापूर्वक आयोजन किया। ओलंपिक के आखिरी दिन से एक दिन पहले यानी 7 अगस्त को भारत का आखिरी इवेंट था।
जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा मैदान में थे। भारतीय फैंस को उनसे बहुत उम्मीदें थीं और नीरज ने किसी को निराश भी नहीं किया। उन्होंने फाइनल में 87.58 मीटर तक भाला फेंककर भारत को गोल्ड मेडल दिला दिया। इस जीत के साथ ही भारत ने खेल जगत में नया इतिहास लिखा। ट्रैक एंड फील्ड में भारत का यह पहला ओलंपिक मेडल था। इसके साथ ही 2008 बीजिंग ओलंपिक के बाद भारत का पहला गोल्ड मेडल रहा। 2008 में हमने शूटिंग में गोल्ड (अभिनव बिंद्रा) जीता था।
ओलंपिक के खत्म होने के बाद विश्व एथलेटिक्स ने ऐसे 10 शानदार पलों की सूची जारी की, जिसमें उन्होंने नीरज चोपड़ा के द्वारा जैवलिन में गोल्ड मेडल जीतने वाले पल को भी जगह दी गई। पोडियम पर जब नीरज पहुंचे और राष्ट्रगान बजा तो सभी भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ओलंपिक में राष्ट्रगान सिर्फ पहले स्थान पर आने वाले एथलीट के लिए ही बजता है। इसे सुनकर भारतीय फैंस इमोशनल भी हुए।
इसके अलावा पीवी सिंधु का लगातार दूसरी बार मेडल जीतना भी किसी बड़ी जीत से कम नहीं था। 2016 रियो ओलंपिक में सिंधु ने सिल्वर जीता था। वहीं, इस साल वह ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब हो पाईं। उनकी जीत ने भारतीयों को इमोशनल किया था। इस साल ऐसे कई मौके आए जब भारतीय खिलाड़ियों ने जीतने का कारनामा किया और फैंस का दिल खुशी से भर दिया। भले ही कोरोना ने लोगों को दुखी किया, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों के ऐतिहासिक प्रदर्शन ने मुश्किल के समय करोड़ों भारतीय फैंस को राहत दी।