विराट को शब्दों का संभलकर करना चाहिए था इस्तेमालः सुनील गावस्कर

सौरव गांगुली भी करें खुलकर बात
मुम्बई।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि विराट को इस्तीफे में शब्दों का इस्तेमाल संभलकर करना चाहिए था वहीं अब जब विराट का बयान आया है, उसके बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली की जिम्मेदारी बनती है, कि वह खुल कर आकर बात करें। गावस्कर का यह बयान कोहली के प्रेस कांफ्रेंस के बाद आया है। 
गावस्कर ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा, 'मैंने उनका वो बयान पढ़ा था और शायद जिस तरह से उन्होंने अपनी बात रखी वो पावर में मौजूद कुछ लोगों को रास नहीं आया होगा। मुझे जहां तक याद है, उन्होंने एक लाइन लिखी थी कि - मैं टेस्ट और वनडे में कप्तानी करता रहूंगा - मुझे लगता है कि उनकी वो लाइन ये होनी चाहिए थी कि मैं वनडे और टेस्ट के लिए उपलब्ध रहूंगा।'
गावस्कर ने कहा कि सेलेक्शन कमेटी ने उनको वनडे की कप्तानी से हटाने से पहले जानकारी दी थी। इस पर किस तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। अगर विराट को मीडिया से पता चलता, तब यह बुरी बात होती। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को इन सभी विवादों से दूर रहना चाहिए और इन सभी बातों का असर टीम के प्रदर्शन बिल्कुल नहीं पड़ेगा।
गावस्कर ने कहा कि मीडिया को भी दो खिलाड़ियों के विवाद की खबरें देने से पहले सोर्स से ज्यादा खिलाड़ियों से कंफर्म करना चाहिए। मीडिया को इस तरह की खबरें देने से बचना चाहिए। वहीं विराट के बयान आने के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस बारे में खुल कर बात करें।
दरअसल विराट ने साउथ अफ्रीका दौरे पर रवाना होने से पहले बुधवार को कहा, 'मैंने बीसीसीआई को बताया कि मैं टी-20 की कप्तानी छोड़ना चाहता हूं, जब मैंने ऐसा किया तो बोर्ड ने मेरी इस बात को बहुत अच्छे ढंग से स्वीकार किया। उनके भीतर कोई झिझक नहीं थी। किसी ने मुझे कप्तानी जारी रखने के लिए मुझसे नहीं कहा था। बोर्ड ने मुझसे बोला कि यह एक अच्छा कदम है।
वहीं मीटिंग से डेढ़ घंटे पहले मुझसे संपर्क किया गया। मेरे साथ टेस्ट टीम को लेकर बात हुई, जिसमें दोनों पक्षों की सहमति बनी। कॉल खत्म करने से पहले पांचों सेलेक्टर्स ने मुझे बताया कि अब आप वनडे टीम के कप्तान नहीं रहेंगे। मैंने ओके, फाइन कहकर जवाब दिया।'
गांगुली ने विराट के वनडे से कप्तान हटाए जाने के बाद कहा था कि विराट को टी-20 की कप्तानी छोड़ने से मना किया गया था। चूंकि टी-20 और वनडे के लिए अलग- अलग कप्तान नहीं रखा जा सकता है, इसलिए उन्हें वनडे की कप्तानी से हटाने का फैसला बीसीसीआई और चयन कमेटी ने मिलकर किया।

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