भारतीय क्रिकेट चली हॉकी की राह

दो कप्तानों के मनमुटाव का पड़ेगा दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर असर
1968 में दो कप्तानों की खींचतान में शुरू हुआ था देश की हॉकी का पतन
नई दिल्ली।
भारतीय क्रिकेट में इस समय सितारों की लड़ाई चल रही है। एक ओर विराट कोहली हैं तो दूसरी ओर रोहित शर्मा। बीच में है भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड। सारा मामला कप्तानी को लेकर चल रहा है। बोर्ड ने रोहित को वनडे और टी-20 टीम का कप्तान बना दिया है वहीं, विराट के पास सिर्फ टेस्ट की कप्तानी बच गई है। खबरें आ रही है कि टीम दो खेमों में बंटती जा रही है।
यह लड़ाई कहां तक जाएगी इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है, लेकिन भारतीय खेल के पुराने इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे मामले बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। सबसे बड़ी मिसाल हॉकी की है। 53 साल पहले दो सितारों के बीच कप्तानी के लिए जंग से ही हॉकी में भारत के पतन की शुरुआत हुई थी।
1928 से 1964 ओलम्पिक में हमारी हॉकी टीम हर बार फाइनल में पहुंची थी। 1960 को छोड़ बाकी हर मौकों पर हमने गोल्ड जीता था। 1960 रोम ओलम्पिक के फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को हरा दिया था। फिर, भारत ने 1964 में हिसाब चुकता करते हुए फिर गोल्ड जीत लिया। अब बारी आई 1968 मैक्सिको ओलम्पिक की। विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई। टीम के दो स्टार खिलाड़ियों पृथीपाल सिंह और गुरबख्श सिंह के बीच कप्तानी को लेकर ठन गई। दोनों कहने लगे कि वे टीम को लीड के लिए ज्यादा काबिल और हकदार हैं।
पृथीपाल और गुरबख्श के बीच तनातनी इतनी बढ़ी कि भारतीय हॉकी संघ ने दोनों को संयुक्त कप्तान बना दिया। ऐसा कभी पहले नहीं हुआ था। दो कप्तानों के बीच टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और हमारी टीम ओलम्पिक इतिहास में पहली बार फाइनल में नहीं पहुंच सकी। भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जरूर जीता, लेकिन यहां से शुरू हुई फिसलन देश में खेल के गर्त में समाने तक नहीं थमी।
1976 ओलम्पिक में भारतीय टीम सातवें स्थान पर रही। 1980 में भारत ने मास्को ओलम्पिक में गोल्ड जीता था, लेकिन उस ओलम्पिक में पाकिस्तान, पश्चिमी जर्मनी समेत कई देशों ने हिस्सा नहीं लिया था। 1984 से 2016 तक भारत कोई मेडल नहीं जीत पाया। पदकों का सूखा आखिरकार इस साल टोक्यो में जाकर समाप्त हुआ है।
विराट कोहली ने बतौर कप्तान टेस्ट क्रिकेट में अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की। उनकी अगुआई में टीम ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने में सफलता हासिल की। भारत को इस बार इंग्लैंड में भी जीत मिली। दूसरी ओर वनडे और टी-20 फॉर्मेट में भारत ने द्विपक्षीय सीरीजों में तो अच्छा खेल दिखाया, लेकिन कोई आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम नहीं कर सका। 2017 चैंपियंस ट्रॉफी, 2019 वनडे वर्ल्ड कप और 2021 टी-20 वर्ल्ड कप में भारत को निराशा हाथ लगी।
बीसीसीआई का कहना है कि इसके बावजूद विराट को कप्तान बने रहने को कहा गया था, लेकिन विराट टी-20 की कप्तानी छोड़ना चाहते थे। इसके बाद उनसे कहा गया कि व्हाइट बॉल फॉर्मेट में दो कप्तान होना सही नहीं होगा। विराट ने फिर भी वनडे की कप्तानी नहीं छोड़ी। इसके बाद बोर्ड ने उन्हें टी-20 के साथ-साथ वनडे की कप्तानी से भी हटाने का फैसला किया है। विराट दावा कर रहे हैं कि उनसे टी-20 की कप्तानी न छोड़ने को किसी ने नहीं कहा था। फैंस भी विराट और रोहित की इस जंग के बीच बंटे हुए नजर आ रहे हैं। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?

 

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