सब्जी बेच बेटी बिंदिया को बनाया विश्व चैम्पियन

मां खुद भूखी रही पर वेटलिफ्टर बेटी की हर जरूरत पूरी की
कुंजारानी से प्रभावित हो अपनाई वेटलिफ्टिंग
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
वेटलिफ्टर बिंदिया ने जब से क्लीन एंड जर्क का विश्व खिताब जीता है उनकी जुबां पर मां इबेमचा लेमा का ही नाम है। हो भी क्यों नहीं यह बिंदिया की मां ही हैं जिन्होंने इंफाल के साथ लगते बाजार में सब्जियां बेचकर बेटी के विश्व चैम्पियन बनने का रास्ता तैयार किया। वह खुद भूखी रहीं लेकिन वेटलिफ्टिंग जैसे खेल के लिए जरूरी बिंदिया की हर खुराक को पूरा किया। बिंदिया को उम्मीद है कि यह विश्व खिताब उन्हें एक अदद नौकरी जरूर दिलाएगा और तब वह अपनी मां को आराम से घर पर बिठाकर उनकी सेवा करेंगी।
सही मायनों में ताशकंद (उजबेकिस्तान) में तीन दिन पूर्व 55 किलो में क्लीन एंड जर्क में विश्व चैम्पियन बनने पर बिंदिया को अब तक विश्वास नहीं है। वह कहती है कि यह उनकी मां और कोच रंजन सिंह हैं जिनके चलते आज वह यहां तक पहुंच पाई। बिंदिया का एक भाई और तीन बहनें हैं। पिता कुछ नहीं करते हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है और एक अस्पताल में काम करती है। हालांकि बेहद गरीबी के बावजूद पूरे परिवार ने उन्हें वेटलिफ्टिंग में आगे बढ़ाने का काम किया।
सच्चाई यह है कि बिंदिया ताईक्वांडो में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुकी है। यही नहीं उसने 2012 में शिलांग में हुए एक अंतरराष्ट्रीय ताईक्वांडो टूर्नामेंट में देश के लिए 42 किलो भार में कांस्य पदक भी जीता। लेकिन बिंदिया की लम्बाई काफी कम है। उनके साथी खिलाड़ी कहने लगे कि लम्बाई के चलते उनका इस खेल में दूर तक जाना संभव नहीं है। साथियों की बात पर ही उन्होंने ताईक्वांडो छोड़ने का मन बनाया।
बिंदिया के अनुसार उन्होंने बचपन में पढ़ाई के दौरान वेटलिफ्टिर कुंजारानी देवी के बारे में पढ़ा था। वह भी कम लम्बाई की थीं। तब उन्होंने वेटलिफ्टिंग करने के बारे में सोचा। 2012 में एक दिन साइकिल से वह इंफाल के साई सेंटर पहुंच गई। वहां उनकी मुलाकात कोच रंजन सिंह से हुई। उन्होंने कहा कि वह लिफ्टिंग करना चाहती है। रंजन ने उन्हें ट्रेनिंग शुरू करा दी। इसके बाद उन्होंने 2019 में दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण जीता। विश्व चैम्पियनशिप सीनियर में उनका दूसरा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है। चीफ कोच विजय शर्मा के मुताबिक बिंदिया क्लीन एंड जर्क में काफी मजबूत है। वह आने वाले दिनों में काफी सुधार करेगी और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में उनसे और अच्छा प्रदर्शन देखने को मिलेगा।

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