ग्रीनपार्क में 1957 के बाद पहली बार नहीं दिखेगा मैनुअल स्कोरबोर्ड

38 मुकाबलों में बढ़ाई ग्रीन पार्क और कानपुर की शोभा
अब डिजिटल स्कोर बोर्ड का होगा इस्तेमाल
खेलपथ संवाद
कानपुर।
ग्रीन पार्क स्टेडियम में 25 नवंबर को भारत और न्यूजीलैंड की टीमें आमने-सामने होगी। इस स्टेडियम में खेले जाने वाले 23वें इंटरनेशनल टेस्ट मैच के लिए तैयारियां अंतिम चरण में है। पिच से लेकर दर्शकों के बैठने तक की व्यवस्था व एंट्री का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। फ्लड लाइट से लेकर ब्राडकास्टर के कैमरों के सेटअप की भी रिहर्सल हो चुकी है, लेकिन इस मैच में ग्रीन पार्क में जो अधूरा-अधूरा नजर आएगा। वह होगा यहां लगा ऐतिहासिक मैनुअल स्कोर बोर्ड, जोकि इस बार मैदान में नहीं दिखाई देगा।
डिजिटल स्कोर बोड का होगा इस्तेमाल
ग्रीन पार्क में होने वाले न्यूजीलैंड दौरे के पहले टेस्ट मैच में सिर्फ डिजिटल स्कोर बोर्ड का ही प्रयोग किया जाएगा। जबकि इससे पहले हुए अभी तक के सभी इंटरनेशनल मैचों में डिजिटल के साथ-साथ मैनुअल स्कोर बोर्ड का भी इस्तेमाल होता हुआ आया है। मैदान में आने वाले दर्शकों के लिए मैच के साथ साथ यह स्कोर बोर्ड भी एक खास आकर्षण का केंद्र बना रहता था। यह स्कोरबोर्ड दुनिया के उन चुनिंदा स्कोर बोर्डों में से एक था जिसे क्रिकेट के दिग्गज ऐतिहासिक मानते थे। यह दुनिया सबसे बड़ा मैनुअल स्कोर बोर्ड में भी शुमार था।
क्यों नहीं इस्तेमाल होगा इस मैच में
इस मैच में इस स्कोर बोर्ड न इस्तेमाल किया जाने का कारण स्‍कोर बोर्ड को संचालित करने वाले सदस्यों का जीवित न होना भी हो सकता है। इस स्कोर को बनाने वाले एस एम बशीर व जगजीत सिंह की मृत्यु हो चुकी है। आपको बताते चलें मैनुअल स्कोर बोर्ड उस दौर में भी कंप्यूटर की तरह काम करता था। इसे संचालित करने में 135 पुली पर 38 लोग लगते थे। इसमें जिस खिलाड़ी के पास गेंद जाती थी, स्कोर बोर्ड में उसके नाम के आगे लाल रंग का बल्ब जल जाता था। पदाधिकारियों के मुताबिक ग्रीन पार्क का मैनुअल स्कोर बोर्ड देश व विदेश से आने वाले प्रत्येक क्रिकेटर व प्रशंसकों के साथ ही दर्शकों की पसंद हुआ करता था।
1952 में बनाया गया था
यहां का मैनुअल स्कोर बोर्ड देश ही नहीं विदेश के क्रिकेटरों का ध्यान आकर्षित करता है। हो भी क्यों न, यह मैनुअल स्कोर बोर्ड पूरी तरह से कंप्यूटर की भांति काम करता है और इसकी स्थापना 1952 में हुई थी। इसके बाद 1957 में पहली बार इस मैनुअल बोर्ड का प्रयोग वेस्टइंडीज के खिलाफ क्रिकेट मैच में किया गया। अंतिम बार 2017 में इंग्लैंड के साथ खेले गए टी-20 मुकाबले में इसका उपयोग किया गया था। अब भारत और न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाले क्रिकेट मैच में इस मैनुअल बोर्ड के ही स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक स्‍कोर बोर्ड को चलाकर उसके स्थान को प्राथमिकता दी जा रही है।
खिलाड़ियों के साथ ही अंपायरों के नाम भी लिखे जाते थे
ग्रीन पार्क के स्कोर बोर्ड को ऐसे ही ऐतिहासिक स्कोर बोर्ड नहीं कहा जाता है। इस स्कोरबोर्ड में दोनों टीम के खिलाड़ियों के नाम के साथ साथ अंपायर के नाम भी लिखे जाते थे। इसके अलावा रन रेट और लाइव स्कोरिंग की सुविधा भी मौजूद थी। इसे संचालित करने के लिए करीब 38 लोगों की आवश्यकता पड़ती थी।
इस मैनुअल स्कोर बोर्ड ने 21 टेस्ट और 14 एकदिवसीय मैचों के साथ आईपीएल व टी-20 मैच में उपयोग किया जा चुका है। 38 मुकाबलों का गवाह रह चुका यह स्कोरबोर्ड अब 1957 के बाद पहली बार किसी टेस्ट मैच का गवाह नहीं बन सकेगा।
जर्जर हालत में एक की जगह बन गया प्लेयर्स पैवेलियन
ग्रीन पार्क में पहले दो मैनुअल स्कोरबोर्ड हुआ करते थे। दोनों स्कोरबोर्ड एक ही आकार के एक जैसी सुविधाओं से लैस थे। लेकिन स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए आधुनिक ड्रेसिंग रूम की कमी होने के चलते एक स्कोरबोर्ड की जगह न्यू प्लेयर्स पवेलियन तैयार कर दिया गया। जो कई तरह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। वहीं, दूसरा स्कोर बोर्ड जर्जर हालत में वैसा ही खड़ा हुआ है और सड़ गया है।
स्कोर बोर्ड के नंबर और अन्य इक्विपमेंट्स
जहां एक ओर ग्रीन पार्क का मैनुअल स्कोर बोर्ड देखरेख के अभाव में जर्जर हो गया है वहीं, इसमें लगने वाले नंबर और अन्य इक्विपमेंट्स भी पार्क में खुले में पड़े हैं। धूप और बारिश के कारण इनका रंग उतर गया है वहीं बारिश के कारण यह सड़ने भी लगे हैं।

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