35 साल की हुईं सानिया मिर्जा

जब दंगों की परवाह किए बिना गुवाहाटी पहुंची थीं 
खेलपथ संवाद
हैदराबाद।
भारत की स्टार टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा आज अपना 35वां जन्मदिन मना रही हैं। उन्होंने कई बार डबल्स में ग्रैंडस्लैम जीतकर भारत नाम दुनिया में रोशन किया। वह कई खिताब जीतने अलावा डबल्स की रैंकिंग में नंबर वन पर भी रह चुकी हैं। उनके टेनिस करियर पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि देश की इस स्टार टेनिस खिलाड़ी ने अपनी दमदार परफॉर्मेंस के चलते खूब नाम वाहवाही बटोरी है। मार्टिना हिंगिस समेत दुनिया की कई शीर्ष खिलाड़ियों को टेनिस कोर्ट पर पटखनी देने वाली सानिया के करियर में एक वक्त ऐसा भी आया जब वह डरते हुए अपना मुकाबला खेलने टेनिस कोर्ट पहुंची थीं।  
यह घटना साल 1999 की है। उस वर्ष ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में होने वाली अंडर 14 वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भारत की तीन शीर्ष खिलाड़ियों को भेजने का एलान किया था। अन्य खिलाड़ियों की तरह सानिया भी इस टूर्नामेंट में शिरकत करना चाहती थीं। लेकिन जकार्ता में होने वाली चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए गुवाहाटी में आयोजित होने वाले टूर्नामेंट में कम से कम सेमीफाइनल तक पहुंचना जरूरी था।
सानिया मिर्जा अपने पिता के साथ गुवाहाटी में सोमवार को होने वाले टूर्नामेंट में शिरकत करने के लिए हैदराबाद से कोलकाता रवाना हुईं। कोलकाता पहुंचने के बाद फिर उन्हें हवाई मार्ग से गुवाहाटी पहुंचना था। सानिया और उनके पिता पांच दिन पहले गुरुवार को निकल गए। घर से निकलने के बाद कई दिक्कतें आने लगीं। जिस ट्रेन से उन्हें कोलकाता पहुंचना था वह पहले से ही 12 घंटे लेट थी। इसके बाद जब वह सानिया पिता के साथ खड़गपुर पुर पहुंचीं तो रेलगाड़ी को रोक दिया गया और कहा गया कि अब यह ट्रेन आगे नहीं जाएगी। खड़गपुर से कोलकाता की दूरी 100 मील थी। ट्रेन रोके जाने के लिए दंगे जिम्मेदार थे जिसके चलते पश्चिमी बंगाल में बंद की घोषणा की गई थी
जब पश्चिम बंगाल में अगले दिन बंद खुलने वाले था तो खबर मिली एक दिन के लिए और बढ़ा दिया गया है। ऐसे में सानिया और उनके पिता के हाथ-पांव फूलने लगे। इस दौरान उनके पिता रेलवे स्टेशन से बाहर निकले और एक टैक्सी ड्राइवर के साथ वापस आए। यह ड्राइवर सानिया और उनके पिता को कोलकाता ले जाने वाला था। जब सानिया के पिता टैक्सी में सामान रख रहे थे तो उनके सिर में चोट लग गई और खून बहने लगा। अब कोलकाता जाना गौण हो गया था और डॉक्टर ढूंढ़ना जरूरी। इसके बाद उनकी पट्टी हुई फिर कोलकाता पहुंचे। 
कोलकाता पहुंचने के बाद अगली सुबह गुवाहाटी जाने के लिए फ्लाइट पकड़ी। इसके बाद पांच दिन तक चले टूर्नामेंट के समाप्त होने के बाद सानिया और उनके पिता वापस लौट रहे थे। जैसे ही वे गुवाहाटी एयर पोर्ट पर पहुंचे तो बम बलास्ट की अफवाह के चलते फ्लाइट 12 घंटे लेट हो गई। फिर वह कोलकाता पहुंचे। वहां से हैदराबाद जाने के लिेए गाड़ी पकड़ी।
जब सानिया और उनके बाद कोलकाता से हैदराबाद के लिए रवाना हुए तो पिता इमरान मिर्जा एक अखबार पढ़ रहे थे। इस दौरान सानिया का नजर उस अखबार के एक आलेख पर पड़ी जिसमें लिखा था कि जूनियर नेशनल टीम की घोषणा कर दी गई है। इस टीम में सानिया मिर्जा का भी नाम शामिल था। फिर क्या था वह खुशी से उछल पड़ीं। क्योंकि उन्हें इंडोनेशिया में होने वाले चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिल गया था। सानिया ने इस किस्से का जिक्र खुद अपनी किताब येस अगेंस्ट ऑड्स में किया है।

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