मां के गले में पदक पहना लेट गए गोदी में

सेमीफाइनल में हार से दिल टूटा पर हौसला नहीं हाराः मनप्रीत
खेलपथ संवाद
जालंधर।
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा कि सेमीफाइनल में हार से हमारा दिल जरूर टूटा पर हौसला नहीं। हमने हार नहीं मानी। जीत हार का दिन होता है। कई बार टीम अच्छा खेलती है लेकिन भाग्य साथ नहीं देता है। अंतिम चार में भाग्य ने बेलिज्यम का साथ दिया। हम निराश नहीं हुए। मनोबल न गिरे, इसलिए सारी टीम को मोटिवेट किया और उनमें जोश भरा कि अभी भी कांस्य पदक की उम्मीद है। 
इसी का नतीजा था कि तीसरे स्थान के रोमांचक मुकाबले में जर्मनी को हराकर टीम 41 साल बाद पदक जीतने में सफल रही। अगली बार पदक का रंग जरूर बदलेगा। मनप्रीत सिंह अपने साथी खिलाड़ियों मंदीप सिंह और वरुण शर्मा के साथ गांव मिट्ठापुर पहुंचे। उनका भव्य स्वागत किया गया। मनप्रीत ने कहा कि लड़कियों की टीम भी अच्छा खेली थी। वह दुर्भाग्यशाली रही जो पदक से चूक गई। अपने खेल से उन्होंने महिला हॉकी में नई जान फूंक दी है। गांव पहुंचने पर मनप्रीत ने मां के गले में पदक पहनाकर खुद उनकी गोदी में लेट गए।
इस दौरान हॉकी कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा, अगली बार ओलम्पिक में मेडल का रंग जरूर बदलेगा। मनप्रीत अपने टीम इंडिया के साथी खिलाड़ियों मंदीप और वरुण के साथ अपने गांव मिट्ठापुर पहुंचे थे। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, यह तय है कि आगामी हॉकी विश्व कप में टीम इंडिया शानदार प्रदर्शन करेगी।
वहीं टोक्यो ओलम्पिक के बारे में बात करते हुए हॉकी कप्तान ने कहा, जीत हार का दिन होता, कई बार टीम अच्छा खेलती है लेकिन भाग्य साथ नहीं होता है, बस ऑस्ट्रेलिया के भाग्य ने उनका साथ दिया, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम अच्छा खेली लेकिन दिन कंगारू टीम का था, फिर भी वह इस हार के बाद निराश नहीं हुए, टीम का मनोबल न गिरे इसलिए उन्होंने पूरी टीम के मोटिवेट किया और जोश भरा। जिसके बाद भारत जर्मनी को हराकर 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने में सफल रहा।

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