आंसुओं में डूबी सिंधू के लिए कोच के शब्द बने वरदान

कांस्य जीतने के लिए किया प्रेरित
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
चीनी ताईपे की ताई जू यिंग से सेमीफाइनल में हार के बाद पीवी सिंधू का रो-रो कर बुरा हाल था। हालात ऐसी थी मानों उनका ओलम्पिक में दोबारा पदक जीतने का सपना टूट गया हो। यहां कोरियाई कोच पार्क ताई संग के शब्द सिंधू के लिए वरदान बन गए। 
पार्क ने आंसुओं में डूबी सिंधू से कहा कि उनके पास अभी भी कांस्य पदक जीतने का मौका है। कांस्य पदक चौथे स्थान से कहीं बेहतर है। सिंधू ने खुलासा किया कि पार्क के कहने के मतलब यह था कि उन्हें टूटने की बजाय अपने कांस्य पदक मुकाबले की ओर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद ही वह अपने आपको कांस्य पदक के मैच के लिए तैयार कर पाईं। 
सिंधू का पदक पार्क के लिए भी खास है। आखिर उनके किसी शिष्य की ओर से जीता गया यह पहला ओलंपिक पदक है। सिंधू के साथ मौजूद पार्क खुलासा करते हैं कि जब उन्होंने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया कि तो सिंधू उस वक्त ओलंपिक रजत पदक विजेता थीं और स्टार बन चुकी थीं। उन पर दबाव था कि आखिर वह ऐसा क्या कराएं जिससे सिंधू को ओलंपिक स्वर्ण दिलाया जाए। उन्होंने सिंधू के लिए यही लक्ष्य भी रखा, लेकिन वह उनके कांस्य से संतुष्ट हैं। जिस तरह की परिस्थितियों में उन्होंने तैयारी कराई उससे यह पदक खास हो जाता है।
सिंधू खुलासा करती हैं कि वह लम्बे समय से पार्क को जानती हैं। वह उन्हीं के संरक्षण में कोचिंग जारी रखेंगी। पार्क बीते वर्ष फरवरी से सिर्फ 13 दिन के लिए कोरिया गए हैं। उनकी तीन साल की बेटी है जिससे वह मिलना चाहते हैं। जल्द ही कोरिया जाकर वह वापस सिंधू को कोचिंग देने में जुट जाएंगे। 
सिंधु के मुताबिक जिस तरह से टोक्यो में कोर्ट पर हवा के कारण शटल इधर-उधर हो रही थी उससे उनका गोपी अकादमी की जगह गाचीबाउली स्टेडियम में ट्रेनिंग करने का फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ। बड़े स्टेडियम में एसी की हवाओं के बीच तैयारी करने का फैसला एकदम सही था। इससे उन्होंने टोक्यो में काफी लाभ मिला। रही बात पेरिस ओलम्पिक की तो वह इस ओलम्पिक के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वह वादा करती हैं कि पेरिस में वह सौ प्रतिशत खेलेंगी।

रिलेटेड पोस्ट्स