सिलू नायक बने युवाओं के नायक

कद छोटा पर मजबूत हैं इरादे
यूं तो ओडिशा स्थित अराखुड़ा के सिलू नायक चुपचाप एक अनूठे मिशन में लगे हुए थे जो सैकड़ों युवाओं के सपने साकार करने में सहायक बना। बिना किसी आर्थिक लाभ की आकांक्षा और प्रशंसा की चाह के राष्ट्रीय सेवा का एक ऐसा मिशन, जिसमें दूसरों की सफलता में वे अपनी सफलता देखते थे। लेकिन पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 74वें संस्करण में जब सिलू नायक के योगदान का जिक्र किया तो देश के कोने-कोने में उनकी चर्चा होने लगी। 
नायक का कहना है ‘प्रधानमंत्री के शब्दों से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। प्रशंसा से मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है। मेरे इरादे मजबूत हुए हैं। मैं ज्यादा ऊर्जा महसूस कर रहा हूं।’ आज नायक सर के नाम से चर्चित सिलू नायक ने सपना देखा था कि सेना व सुरक्षा बलों में भर्ती होकर देश सेवा करूंगा। सेना के प्रति लोगों का सम्मान उन्हें प्रेरित करता था। इसके लिये उन्होंने पांच साल साधना की। लिखित परीक्षा से लेकर शारीरिक प्रतिस्पर्धाओं की तैयारी की। एक भर्ती के दौरान उन्होंने अन्य परीक्षाएं तो पास कर लीं, लेकिन कद में एक सेमी की कमी से उनका चयन न हो सका। लम्बी तैयारी के बाद असफलता ने उन्हें कुछ समय के लिये निराश तो किया, लेकिन उन्होंने असफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। सिलू नायक ने समझ लिया कि उनकी हाइट तो नहीं बढ़ सकती, क्यों न दूसरे युवाओं के सपनों को ऊंचाई देने में योगदान दिया जाये। इस बीच उन्हें ओडिशा के औद्योगिक सुरक्षा बल में नौकरी करने का अवसर मिला, लेकिन तब तक वे तय कर चुके थे कि पिता की खेती में हाथ बंटाऊंगा और अपनी जीविका के लिये कोई अन्य काम कर लूंगा। 
नायक ने महसूस किया किया कि उनके जैसे सैकड़ों युवा सेना व सुरक्षा बलों में अपने ख्वाब पूरा करने के लिये जाना चाहते हैं, लेकिन उनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता। दूर-दराज के इलाके के गरीब छात्रों के पास इतना पैसा भी नहीं होता कि महंगी कोचिंग्स ले सकें। उनमें से कई ऐसे युवा भी थे जो लिखित परीक्षा या साक्षात्कार तो पास कर लेते थे, लेकिन जरा-सी चूक से शारीरिक परीक्षा में सफल नहीं हो पाते। दरअसल, युवाओं का मुख्य ध्यान लिखित परीक्षा और साक्षात्कार की तरफ होता है। ऐसे में शारीरिक परीक्षा की पर्याप्त तैयारी नहीं हो पाती। 
अपनी असफलता को दूसरों की सफलता का जरिया बनाकर सिलू नायक युवाओं को रक्षा सेवाओं के लिये तैयार करने में जुट गये। अब उन्हें जीवन का मकसद मिल गया था। दरअसल, सिलू नायक की राह इतनी भी आसान नहीं थी। उनके पास संस्थान खोलने लायक पैसा भी नहीं था। कुछ लोग उनके इरादों पर सवाल उठाने लगे थे। कुछ ने सोचा कि अपनी असफलता के बाद सिलू ने इसे कमाई का जरिया बना लिया। शुरू-शुरू में तो युवा भी कतराते थे कि कहीं बाद में पैसे न मांगे जायें। लेकिन धीरे-धीरे सिलू नायक के पक्के इरादों और निष्काम सेवा ने लोगों का विश्वास अर्जित किया। उनके गांव के ही नहीं, आसपास के गांवों के बेरोजगार उनसे प्रशिक्षण लेने आने लगे। 
वे सुबह और शाम छात्रों को प्रशिक्षण देते। सुबह के समय शारीरिक सौष्ठव और प्रतियोगी परीक्षाओं की शारीरिक अर्हताओं के लिये प्रशिक्षण देते। दौड़-भाग, विभिन्न खेलों तथा रस्से से लक्ष्य पर चढ़ने का प्रशिक्षण देते। वहीं शाम के सत्र में लिखित परीक्षा की तैयारी करवाते, जिसमें लेखन क्षमता और सामान्य ज्ञान का प्रशिक्षण भी शामिल था। उन्होंने अपनी संस्था का नाम ‘महागुरु बटालियन’ रखा जो धीरे-धीरे युवाओं में लोकप्रिय होने लगी। आज एक समय ऐसा आया कि उनके द्वारा प्रशिक्षित युवाओं ने थल सेना, भारतीय वायु सेना, नौसेना तथा सीआरपीएफ व बीएसएफ में भर्ती होने में सफलता पायी। उनसे प्रशिक्षण पाने वाले युवाओं की संख्या तीन सौ के आसपास थी, जिसमें से सत्तर के करीब का चयन इन सेना के तीनों अंगों व सुरक्षा बलों के लिये हुआ। इसके अलावा बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की भी थी, जिनका चयन अन्य संस्थानों में सुरक्षा गार्ड के रूप में हुआ। वे राष्ट्र सेवा के लिये नायक तैयार करने के मिशन में लगातार आगे बढ़ते रहे। आज सिलू नायक सैकड़ों युवाओं के ख्वाब पूरे करने के महत्वपूर्ण मिशन में लगे हैं। उनके इलाके में लोग उन्हें आदर के साथ नायक सर के रूप में संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री ने भी इसी नाम से उन्हें सम्मान दिया। सही मायनों में वे युवाओं को राष्ट्रीय सेवा का व्रत लेने को प्रेरित कर रहे हैं। 
युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं—एक निष्काम सेवा के रूप में। एक ऋषिकर्म सरीखा कार्य कर रहे हैं। तभी प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम में कहा कि आइए हम नायक सर को इस मिशन के लिये मंगलकामनाएं दें ताकि देश को और राष्ट्रभक्त नायक मिल सकें। अपनी असफलता की हताशा से मुक्त होकर दूसरों को निष्काम भाव से सफल बनाने में जी जान से जुटने वाले नायक सर जैसे लोग समाज में विरले ही होते हैं।
-अरुण नैथानी

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