आईपीएल ने बदली भारतीय क्रिकेट की तस्वीर

2008 से 22 फीसदी ज्यादा मैच जीती टीम इंडिया
बोर्ड की आये 273% बढ़ी, खिलाड़ियों को 12 गुना ज्यादा मिलने लगी फीस
नई दिल्ली।
इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत के 13 साल पूरे हो रहे हैं। इसने दुनिया भर में क्रिकेट, क्रिकेटर्स और क्रिकेट बोर्ड पर बड़ा असर डाला है। अब ज्यादातर देश इसके हिसाब से अपना क्रिकेट कैलेंडर तैयार करते हैं। कई देशों के खिलाड़ियों ने तो खुलकर कहा कि अगर उनकी नेशनल टीम के मैचों की तारीखें आईपीएल शेड्यूल से टकराएंगी तो वे आईपीएल को ही तरजीह देंगे। उम्मीद के मुताबिक आईपीएल का सबसे ज्यादा असर भारतीय क्रिकेट, यहां के क्रिकेटर्स और यहीं के बोर्ड, यानी बीसीसीआई पर पड़ा है। वह भी पॉजिटिव। आईपीएल से इनके प्रदर्शन, कमाई और रुतबे में कई गुना इजाफा हुआ है।
आईपीएल से पहले भारतीय टीम तीनों फॉर्मेट मिलाकर 38% मैच ही जीत पाई थी। इसके पहले सीजन यानी 2008 के बाद से भारत की मैच जीतने की दर 22% बढ़ गई है। तब से अब तक भारत ने 60% मैच जीते हैं। भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट में आईपीएल शुरू होने से पहले 76 साल में 418 मैच खेले थे। इनमें से 94 मैच जीते थे, यानी महज 22%। लीग की शुरुआत से अब तक, यानी 13 साल में टीम इंडिया ने 132 टेस्ट मैच खेले हैं। इनमें से 68 मैच जीत लिए हैं, यानी 51% जीत। वनडे की बात करें तो आईपीएल से पहले भारतीय टीम ने 34 साल में 682 खेले थे। इनमें से 323 वनडे मैच जीते थे, यानी 47% जीत हासिल हुई थी। आईपीएल की शुरुआत के बाद के 13 बरस में भारत ने 311 वनडे मैच खेले। इनमें से 193 मैच जीत लिए यानी 62% जीत हासिल हुई।
आईपीएल शुरू होने से पहले से पहले भारत ने सिर्फ 10 टी-20 मैचे खेले थे। इसमें में से 6 टी-20 मैच जीत लिए थे, यानी 60% मैच में कामयाबी। आईपीएल शुरू होने के बाद से अब तक 132 टी-20 मैच खेले हैं। इनमें से 82 मैच जीते हैं, यानी 62% मैच जीत रही है टीम इंडिया। इस तरह साफ है कि आईपीएल के बाद से तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया का प्रदर्शन लगातार बेहतर होता गया है।
आईपीएल में दुनिया भर के लगभग तमाम दिग्गज खिलाड़ी खेलते हैं। भारतीय खिलाड़ियों को करीब दो महीने तक उन्हें अच्छे से जानने-समझने का मौका मिलता है। देश के युवा खिलाड़ियों के लिए यह खास तौर पर फायदेमंद होता है। उन्हें इंटरनेशनल करियर की शुरुआत से पहले ही इंटरनेशनल एक्सपोजर मिल जाता है। आगे चलकर जब वे भारत की ओर से खेलते हैं, तो विपक्षी टीम के बड़े से बड़े खिलाड़ियों का सामना करने से घबराते नहीं। इसके साथ ही भारतीय थिंक टैंक को इंटरनेशनल सीरीज या टूर्नामेंट में विपक्षी टीम के खिलाफ स्ट्रैटजी बनाने में भी मदद मिलती है।
आईपीएल की शुरुआत से पहले भी भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड था, लेकिन इस लीग ने बीसीसीआई और दुनिया के अन्य सभी बोर्ड के बीच का अंतर कई गुना बढ़ा दिया। आज भारतीय बोर्ड की 67% आमदनी आईपीएल से होती है। बोर्ड ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि 2019-20 में उसे कुल 3,730 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। इसमें से 2500 करोड़ रुपए आईपीएल से हुई है। आईपीएल की शुरुआत से ठीक पहले, यानी 2007 में बीसीसीआई को एक हजार करोड़ रुपए की आय हुई थी। यानी तब से अब तक बोर्ड की आय 273% बढ़ चुकी है वहीं, आईपीएल से इतर होने वाली आय को देखें तो इसमें 13 साल में 23% की बढ़ोतरी ही हुई है। 2020-21 की रिपोर्ट अभी आई नहीं है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इस बार आमदनी पिछले सालों की तुलना कुछ कम देखी जा सकती है। 2020 में आईपीएल दुबई में हुआ था।
आईपीएल के जरिए बोर्ड की कमाई बढ़ी तो बीसीसीआई नेशनल कॉन्ट्रेक्ट पाने वाले खिलाड़ियों की फीस भी करीब 12 गुना तक बढ़ा दी है। 2007 में टॉप लेवल का कॉन्ट्रेक्ट पाने वाले खिलाड़ियों को सालाना 60 लाख रुपए मिलते थे। अब यह राशि सात करोड़ रुपए हो गई है। घरेलू क्रिकेट में भी पैसा पहले की तुलना में बढ़ा है। 2006 में रणजी ट्रॉफी की मैच फीस 16 हजार रुपए थी। अब सभी तरह के भत्ते को मिलाकर खिलाड़ी को एक रणजी मैच से करीब 2 लाख रुपए तक मिलते हैं। इसके अलावा बीसीसीआई ने 2012 में 100 या इससे ज्यादा फर्स्ट क्लास मैच खेल चुके सभी खिलाड़ियों को 30-30 लाख रुपए दिए थे। 75 से 99 मैच खेलने वालों को 25 लाख और इससे कम मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को 20 लाख रुपए दिए गए थे।

रिलेटेड पोस्ट्स