पहले ओलम्पिक मेडल फिर शादीः प्रवीण जाधव

नौ साल बाद ओलम्पिक में पहुंची भारतीय आर्चरी टीम
बातचीत में कहा मजदूर माता-पिता को एक अच्छा घर देने की हसरत
नई दिल्ली।
टोक्यो ओलम्पिक के रिकर्व इवेंट के लिए भारतीय आर्चरी टीम की घोषणा हो गई है। तीन ट्रायल के बाद महाराष्ट्र के प्रवीण जाधव टॉप पर रहे। अतनुदास दूसरे और तरुणदीप तीसरे स्थान पर रहे। ये तीनों ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। प्रवीण का यह पहला ओलम्पिक होगा। उन्होंने बातचीत में कहा कि आर्चरी ही उनका जीवन है। अगर वे इसमें नहीं होते, तो आज मजदूरी कर रहे होते। प्रवीण ने कहा कि अपने पहले ओलम्पिक में ही मेडल पर तीर चलाना है। उनका मानना है कि अगर टीम में शामिल सभी खिलाड़ियों ने अपना बेस्ट प्रदर्शन किया, तो टीम देश के लिए मेडल जीत सकती है। 
सवाल: आपने आर्चरी की शुरुआत कैसे की?
जवाब : मैं महाराष्ट्र के सतारा जिले के सार्दे गांव से हूं। मैं गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था। स्कूल में बबन भुजबल सर ट्रांसफर होकर आए थे। उन्होंने देखा कि स्कूल में खेलने के लिए कोई सुविधा नहीं है, तो उन्होंने स्कूल में रनिंग कराना शुरू किया, क्योंकि इसके लिए बहुत संसाधनों की जरूरत नहीं थी। मैं शुरू में 400 और 800 मीटर दौड़ता था। मेरा चयन महाराष्ट्र के अहमदनगर एकेडमी में हो गया। 2011-12 में मैं वहां पर एथलेटिक्स की ट्रेनिंग करने लगा। बाद में अमरावती चला गया। वहां पर एथलेटिक्स के साथ मैं आर्चरी भी करने लगा।
एक साल के अंदर मैंने आर्चरी में नेशनल स्तर पर मेडल जीता, तो मेरे कोच ने कहा कि दोनों में से किसी एक गेम को जारी रखूं। उनके सुझाव पर मैं आर्चरी ही करने लगा। 2015 में मेरा चयन इंटरनेशनल जूनियर कॉम्पटीशन के लिए इंडिया कैंप में हुआ। फिर 2016 में सीनियर टीम के साथ वर्ल्डकप के लिए सिलेक्ट हुआ। स्कूली शिक्षा खत्म होने के बाद मेरी जॉब आर्मी में लग गई। मैं फिलहाल पुणे स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में ही रहकर ट्रेनिंग करता हूं।
सवाल : आपके परिवार में कौन-कौन है?
जवाब : आज मैं जो कुछ हूं, वह आर्चरी की बदौलत हूं। अगर मैं स्पोर्ट्स में नहीं आता, तो मजदूरी कर रहा होता। मेरे परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता। मेरी मां और पिता दूसरों के खेत में मजदूरी करते थे। आर्मी में नौकरी मिलने के बाद से मैंने उन्हें मजदूरी करने से रोक दिया और अब वे घर पर ही रहते हैं। मेरी एक बहन है और उसकी शादी हो चुकी है। जब मैं एथलेटिक्स करता था, तो कई बार भूखे पेट भी दौड़ना पड़ जाता था। एक बार मैं बेहोश हो गया था। हमारे स्कूल टीचर बबन भुजबल को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने मेरी मदद की। वे हमारे खाने-पीने का ख्याल रखते थे। एकेडमी ज्वॉइन करने के बाद से खाने और किसी चीज की दिक्कत नहीं हुई।
सवाल : आपका अगला टारगेट क्या है?
जवाब : मैं पहली बार ओलम्पिक के लिए सिलेक्ट हुआ हूं। 2019 में हमने वर्ल्ड आर्चरी चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर टीम इवेंट में कोटा हासिल किया था। इस वर्ल्ड चैम्पियनशिप में हमने सिल्वर मेडल जीता। टीम में मेरे साथ अनुभवी तीरंदाज तरुणदीप और अतनुदास शामिल हैं। दोनों ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मेरा अगला टारगेट देश के लिए ओलम्पिक में मेडल जीतना है। उसके बाद अपना एक घर बनाना है। आज भी हमारे घर की छत टीन की है। मैं चाहता हूं कि मेरे पापा और मम्मी अच्छे घर में रहें।
सवाल : मौजूदा परफॉर्मेंस को देखते हुए ओलम्पिक में मेडल के क्या आसार हैं?
जवाब : देखिए, हम तीनों ने अपना बेस्ट दिया तो टीम इवेंट में हम मेडल अवश्य जीत सकते हैं। मेरा लक्ष्य अपना बेस्ट देते हुए इंडिविजुअल में भी मेडल जीतना है। इसको ध्यान में रखकर ही मेहनत कर रहा हूं। घर वाले मेरी शादी कराना चाहते हैं, लेकिन मैंने ओलम्पिक के बाद ही शादी करने का फैसला किया है। अभी मेरा लक्ष्य केवल मेडल जीतना है।
सवाल : वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल की सूचना आपके पैरेंट्स को कब मिली?
जवाब : मेरी मां और पिताजी उस समय मजदूरी करते थे। इसलिए कई बार वह काम के लिए घर से काफी दूर रहते थे। उनके पास फोन भी नहीं था। जब मैंने भारत के लिए वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीता, तो इसकी सूचना सबसे पहले मैंने स्कूल के टीचर बबन भुजबल सर और कोच को दी। भारत लौटने के बाद जब मैं अपने गांव पहुंचा, तब मेरे माता-पिता को पता चला कि मैंने देश के लिए मेडल जीता है।

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