ऊंचीकूद खिलाड़ी पावना नागराज ने अंडर-16 में बनाया राष्ट्रीय रिकॉर्ड

पावना की मां सहाना कुमारी ऊंचीकूद स्पर्धा की राष्ट्रीय कीर्तिमानधारी हैं
गुवाहाटी।
36वीं राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के उद्घाटन के दिन ऊंची कूद खिलाड़ी पावना नागराज ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए न केवल स्वर्ण पदक हासिल किया बल्कि अंडर-16 का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। नागराज वर्तमान में ऊंची कूद राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक सहाना कुमारी और भारतीय एथलीट बीजी नागराज की बेटी हैं। सहाना के नाम 1.92 मीटर की ऊंची कूद राष्ट्रीय रिकॉर्ड है और उनकी बेटी पारिवारिक विरासत को निभा रही है।
कर्नाटक निवासी इस एथलीट ने शनिवार को ऊंची कूद स्पर्धा में शीर्ष पोडियम फिनिश के लिए पश्चिम बंगाल के मोहुर मुखर्जी को हराकर 1.73 मीटर की छलांग लगाई।नागराज ने अपने पहले दो प्रयासों में मुखर्जी को पीछे छोड़ने के तीसरे और अंतिम प्रयास में रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 1.69 मीटर और 1.71 मीटर ऊंची छलांग लगाई। पिछला U-16 राष्ट्रीय रिकॉर्ड कर्नाटक के काव्या मुथन्ना के नाम था, जिन्होंने साल 2003 में 1.69 मीटर की छलांग लगाकर स्थापित किया था।
36वीं राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 1637 लड़के और लड़कियों ने चार आयु समूहों में पांच दिवसीय चैंपियनशिप में 145 प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इस प्रकार कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद से यह देश में आयोजित सबसे बड़ा घरेलू टूर्नामेंट है। हालांकि, नागराज शनिवार को राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने वाली एकमात्र एथलीट नहीं थी।
उत्तराखंड की अंकिता धयानी ने महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में अंडर-20 का राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया। 18 वर्षीय धयानी ने 16:21:19 समय के साथ शीर्ष पोडियम फिनिश किया। उन्होंने सुनीता रानी द्वारा 26 अगस्त, 1997 में इटली के कैटेनिया में स्टैडियो सिबाली में ग्रीष्मकालीन यूनिवर्सिडे में 16:21:59 समय के साथ बनाए गए राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ने में सफलता हासिल की। धयानी ने 26 जनवरी को भोपाल में 5000 मीटर फेडरेशन कप जूनियर अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 16:37:90 के समय के साथ जीत हासिल करने वाले रिकॉर्ड में भी सुधार किया है।
मां ने भी बनाया था रिकॉर्ड
2012 में पावना की मां सहाना कुमारी ने भी 1.92 मीटर की छलांग लगाई थी, जो एक ऐसा रिकॉर्ड था जिसे आज तक कोई भारतीय महिला नहीं तोड़ पाई है। उनके पिता बीजी नागराज एक प्रशंसित रेसर रहे हैं। उन्हें 2010 में अंतर-राज्यीय प्रतियोगिता में 100 मीटर स्प्रिंट जीता था जिसके बाद उन्हें भारत में सबसे तेज पुरुष का ताज पहनाया गया था। उनका रिकॉर्ड 10.50 सेकंड रहा, जो उन्होंने एशियाई खेलों के ट्रायल में दर्ज किया था।
पावना कहती हैं कि उन्हें अपने माता-पिता के साथ ट्रैक पर जाना बहुत पसंद है। उसने कहा कि मुझे बुरा तब लगता था जब माँ खेलने जाती थीं और मुझे घर पर ही छोड़ देती थीं। इसलिए, ज्यादातर दिनों में वह मुझे साथ ले जाया करतीं। पावना ने अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए कहा, “मेरे यहां तक पहुंचने के पीछे माता-पिता की कड़ी मेहनत है, “वह कहती हैं ऐसा नहीं है कि मैं कड़ी मेहनत नहीं करती, खेल मेरी रुचि और जुनून है और मेरे पास बहुत बड़े सपने हैं।”
पिता ने कहा घर में हैं दो रिकॉर्ड सेंटर
गोल्ड मेडलिस्ट पावना के पिता नागराज कहते हैं कि उनकी बेटी को रिकॉर्ड सेट करते हुए देख वो काफी खुश हैं। नागराज कहते हैं कि एथलेटिक्स मेरी बेटी के खून में था। मैं बहुत उत्साहित हूं कि हमारे घर में दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड सेंटर हैं। यह सिर्फ शुरुआत है, हमारे पास उसके लिए बहुत बड़ी योजनाएं हैं, नागराज फिलहाल स्पोर्ट्स कोच के रूप में भारतीय रेलवे के साथ काम करते हैं।
पावना की मां सहाना कहती हैं कि स्कूल मीट में पावना भी अपने पिता की तरह 100 मीटर दौड़ में भाग लेना चाहती थी लेकिन अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने की वजह से वो काफी निराश थी तब पावना के स्कूल कोच ने उसे ऊंचीकूद लगाने के लिए कहा और इस खेल में उसका प्रदर्शन शानदार रहा। इसके बाद पावना एक के बाद एक प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही और विभिन्न आयु-समूहों के पुरस्कार जीतती रही।

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