उत्तराखंड क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पद से वसीम जाफर का इस्तीफा

लगाए कई गंभीर आरोप, कहा टीम चयन में मेरी सलाह नहीं ली
खेलपथ प्रतिनिधि
देहरादून।
वसीम जाफर ने उत्तराखंड सीनियर टीम के मुख्य कोच पद का पद छोड़ दिया है। अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि विजय हजारे ट्रॉफी की टीम घोषित करने से पहले न तो उनसे पूछा गया और न ही सलाह ली गई। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में काम करना उनके लिए मुश्किल है। उन्होंने सीएयू पदाधिकारियों और सलेक्शन कमेटी पर चयन में मनमानी करने समेत कई आरोप भी लगाए। 
जाफर ने आरोप लगाया कि चयन समिति ने सीएयू पदाधिकारियों के दबाव में टीम चुनी है। उन्हें उनकी पसंद की टीम नहीं दी जा रही है। विजय हजारे ट्रॉफी को लेकर जो टीम चुनी गई है, उसको लेकर पहले उनसे बातचीत नहीं की गई। न तो उनसे कुछ पूछा गया और न ही सुझाव मांगे गए। उन्होंने कहा कि मुख्य कोच के तौर पर ऐसी परिस्थिति में वे काम नहीं कर सकते हैं। वहीं, सीएयू के सचिव महिम वर्मा ने जाफर के आरोपों से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि जाफर को उनकी पसंद की टीम दी गई है। इकबाल अब्दुला समेत महत्वपूर्ण खिलाड़ियों का चयन उनके कहने पर ही किया गया। टीम चयन के दौरान भी उनका सलेक्शन कमेटी के साथ विवाद हुआ।
विवाद आगे न बढ़े इसलिए उन्हीं की पसंद की टीम दे दी गई। टीम परफॉर्म नहीं कर पाई तो सवाल उठने ही थे। अब विजय हजारे ट्रॉफी की टीम को लेकर भी चयनकर्ता और जाफर के बीच विवाद हुआ। चयनकर्ताओं ने टीम फाइनल करने से पहले जाफर को कई फोन किए लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
वसीम जाफर ने अपने इस्तीफे में लिखा कि ‘मैं तत्काल प्रभाव से सीएयू के मुख्य कोच के पद को छोड़ रहा हूं। 29 जनवरी को बीसीसीआई ने फरवरी के तीसरे हफ्ते में विजय हजारे ट्रॉफी के आयोजन की घोषणा की। मैंने 30 जनवरी को सीएयू सचिव महिम वर्मा से बातचीत कर सलेक्शन प्रक्रिया को लेकर हेड कोच और सलेक्शन कमेटी के चेयरमैन से बात करने को कहा। मैं चाहता था कि हमारी टीम वहां जाकर कम से कम चार-पांच प्रैक्टिस मैच खेले, ताकि मैं देहरादून से बाहर की परिस्थितियों में खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस और टेंपरामेंट देख सकूं। 
मैंने 31 जनवरी की रात को उन्हें फिर फोन किया और मामले की प्रोग्रेस पूछी, लेकिन कोई अपडेट नहीं मिला। महिम ने मेरी कॉल का जवाब तक नहीं दिया। उन्होंने मुझे तीन फरवरी को कॉल किया। हालांकि इसमें भी उन्होंने आने वाली प्रतियोगिता को लेकर कोई चर्चा नहीं की। मैंने 22 खिलाड़ियों की टीम बनाकर सीएयू सचिव, चयन समिति और सीईओ को भेजी थी। मुझे सीएयू या सलेक्शन कमेटी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद आठ फरवरी को फाइनल टीम चुनी गई’।
उन्होंने कहा कि ‘कई राज्यों ने मुझे कोच बनने का प्रस्ताव दिया लेकिन उत्तराखंड से जुड़े होने के चलते मैंने इससे इंकार कर दिया। मैंने सीनियर टीम को भविष्य के लिए तैयार करने के कई प्रयास किए, लेकिन सीएयू पदाधिकारियों के अनप्रोफेशनल रवैये के कारण मुझे मजबूर होकर पद छोड़ना पड़ रहा है। राज्य में प्रतिभाओं की कमी नहीं, लेकिन ऐसे रवैये के कारण खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
आईपीएल के बाद टीम से जुड़े जाफर
वसीम जाफर को अगस्त 2020 में उन्हें उत्तराखंड के मुख्य कोच की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि इस दौरान आईपीएल के चलते उन्होंने विधिवत कोचिंग शुरू नहीं की। आईपीएल खत्म होने के बाद नवम्बर 2020 में उनका क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के साथ कांट्रेक्ट हुआ था। इसके बाद टीम ने उनकी कोचिंग में ही सैयद मुश्ताक ट्रॉफी में हिस्सा लिया।
चंदेला को कप्तान बनाने से खुश नहीं थे जाफर
बल्लेबाज कुणाल चंदेला को कप्तान बनाए जाने के फैसले से वसीम जाफर खुश नहीं थे। उन्होंने इकबाल अब्दुला को कप्तानी से हटाने पर भी नाराजगी जताई थी। वहीं, टीम में किए गए अन्य बदलावों से भी वे सहमत नहीं थे। इस पर उन्होंने सीएयू पदाधिकारियों के सामने अपना विरोध भी जताया था। हालांकि जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने टीम छोड़ने का फैसला ले लिया। 
वसीम जाफर का उत्तराखंड मुख्य कोच के तौर पर दो माह और कुछ दिन का ही कार्यकाल रहा। शुरूआत में जब उन्हें कोच बनाया गया तो इस फैसले की जमकर सराहना हुई। माना जा रहा था कि रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता का यह सबसे बड़ा खिलाड़ी उत्तराखंड के युवा क्रिकेटरों को बेहतर कोचिंग देकर भविष्य के लिए तैयार करेगा। लेकिन कुछ माह में ही उनका टीम उत्तराखंड से नाता टूट गया है। शुरूआत से ही इस विवाद की आशंका जताई जा रही थी। देश के क्रिकेट जगत में वसीम का विशिष्ट स्थान है। ऐसे में वो किसी एसोसिएशन के साथ दबाव में आकर काम करेंगी, इसकी संभावना कम ही थी। लेकिन यह सब कुछ इतनी जल्दी हो जाएगा, ऐसा भी किसी ने नहीं सोचा था। 
सैयद मुश्ताक ट्रॉफी की टीम चुनने में भी हुआ विवाद
वसीम जाफर ने भले ही मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्य कोच का पद छोड़ा हो लेकिन इसकी शुरूआत काफी समय पहले हो गई थी। सैयद मुश्ताक टी-20 ट्रॉफी की टीम चुनने के दौरान भी विवाद हुआ था। बताया जा रहा है कि चयनकर्ताओं और वसीम में टीम चुनने को लेकर बहस तक हुई। उन्होंने कहा कि टीम की कप्तानी किसी अनुभवी और प्रतिष्ठित खिलाड़ी को दी जानी चाहिए, जो सभी खिलाड़ियों को एकजुट रखकर बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित कर सके।

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