नवोदित शूटर मनु भाकर टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने को उत्साहित

टोक्यो गेम्स में चीन, ग्रीस और सर्बिया के निशानेबाज होंगे चुनौती 
खेलपथ प्रतिनिधि
भोपाल।
युवा ओलम्पिक खेलों की चैम्पियन शूटर मनु भाकर टोक्यो ओलम्पिक में भारत के लिए पदक की बड़ी उम्मीद हैं। 2019 वर्ल्ड कप फाइनल में गोल्ड जीतने के बाद से दुनिया की नम्बर दो खिलाड़ी मनु किसी बड़ी प्रतियोगिता में नहीं उतरी हैं। नेशनल ट्रायल से पहले 18 साल की मनु मध्य प्रदेश की स्टेट शूटिंग एकेडमी, भोपाल में ट्रेनिंग कर रही हैं। उन्होंने बताया कि ओलम्पिक स्थगित होने के बाद उन्हें काफी बुरा लगा था और वे इससे उबरने के लिए एक-दो हफ्तों तक कोशिश करती रही थीं। उन्होंने ओलम्पिक की तैयारी, लॉकडाउन के दौरान मानसिक स्थिति और प्रतिद्वंद्वियों के बारे में बात की। 
तैयारी कैसी चल रही है? घर में भी प्रैक्टिस की और दिल्ली में कैंप में भी। इसका कितना असर रहा?
तैयारियां तो काफी अच्छी चल रही हैं। काफी समय बाद शूटिंग शुरू की है तो धीरे-धीरे पेस आ रहा है। बीच में भी ट्रेनिंग करना काफी जरूरी था, जिससे सब कुछ मेंटेन हो सके। इसलिए थोड़ी बहुत ट्रेनिंग चलती रही। कैंप में टीम के साथ वहां के माहौल में ट्रेनिंग करने का मैं काफी समय से इंतजार कर रही थी, अब काफी अच्छा लग रहा है।
घर पर ट्रेनिंग और शूटिंग रेंज में ट्रेनिंग करने में कितना अंतर होता है?
माहौल का काफी फर्क होता है। जब हम रेंज पर ट्रेनिंग करते हैं तो हमारे साथी होते हैं। कई बार हम उन्हें देखकर भी सीखते हैं। अगर नहीं भी देखते हैं तो कम से कम हमें कॉम्पिटीटर वाली फीलिंग आती है, जो हमें मोटिवेट करती रहती है।
शूटिंग में मनोस्थिति का महत्व होता है। लॉकडाउन के दौरान क्या स्थिति थी?
जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो ओलम्पिक तक का प्लान बना लिया था। ओलम्पिक स्थगित होने से काफी बुरा लगा था। उम्मीद छोड़ दी थी कि अब कुछ नहीं हो सकता। उबरने में एक-दो हफ्ते लग गए थे। जब लक्ष्य होता है तब ही अच्छी तरह से ट्रेनिंग कर पाते हैं। लक्ष्य सामने न होने से अंधों की तरह चलते हैं। कहीं रास्ता नहीं दिखता। ट्रेनिंग ही करते रहते हैं।
ट्रायल शुरू हो गए हैं। उसके बाद वर्ल्ड कप भी है। क्या आप इन्हें ओलम्पिक की तैयारियों के रूप में देखती हैं?
लम्बे समय के बाद इंटरनेशनल खेलने को मिलेगा। ट्रायल्स की भी तैयारी चल रही है। लक्ष्य होगा तो हम और अच्छे से ट्रेनिंग कर सकते हैं। बड़े इवेंट से पहले एक्सपोजर जरूरी है। ऐसा नहीं है कि फील भूल चुके हैं, लेकिन दोबारा से रिवाइव करने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंट खेलने होंगे।
टूर्नामेंट न हो पाने से प्रतिद्वंद्वी के बारे में कैसे पता चलेगा? किन देशों से चुनौती?
हमें सिर्फ अपना लेवल बनाए रखने की जरूरत है। भारतीय शूटिंग पिछले साल तक लय में थी। हमें अपनी रिदम बनाए रखनी है। चीन, ग्रीस और सर्बिया की चुनौती सबसे ज्यादा होगी।
महिला खिलाड़ियों की स्थिति पर क्या राय है? हरियाणा में बढ़ावा मिल रहा है। बाकी राज्य कैसे अच्छा कर सकते हैं?
लड़कियों को धीरे-धीरे इवेंट मिल रहे हैं। कुछ साल पहले भी देखें तो शूटिंग में काफी कम लड़कियां होती थीं। काफी जल्द ये चीजें बढ़ी हैं। यह देखकर मुझे काफी अच्छा लगता है। मुझे लगता है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और जो अन्य मुहिम चली हैं, उससे फायदा मिला है। सिर्फ शहर ही नहीं, गांव में भी। हरियाणा में भी खेल का अच्छा माहौल है।
आपने यूपीएससी को लेकर भी पोस्ट किया था। उसके बारे में भी क्या सोचा है?
मेरा स्ट्रीम पॉलिटिकल साइंस है। उसमें काफी हद तक यूपीएससी का सिलेबस कवर होता है। हम भी कोशिश कर लेंगे।
खिलाड़ी आजकल राजनीति में भी जा रहे हैं। आपका कोई प्लान? भारतीय राजनीति पर कुछ बोलना चाहेंगी?
अभी आगे का तो कोई प्लान नहीं सोचा है। चीजें दिमाग में हैं, लेकिन अभी सिर्फ शूटिंग से जुड़ी रहना चाहती हूं। भारतीय राजनीति पर कुछ नहीं कहना।

रिलेटेड पोस्ट्स