वर्ल्ड कप में गोल्ड जीतने वाले बॉक्सर अमित पंघाल से भेदभाव

कई खिलाड़ियों को पर्सनल कोच, ट्रेनर और फिजियो मिले लेकिन मुझे नहीं
साक्षात्कार में दी जानकारी
चण्डीगढ़।
एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट अमित पंघाल टोक्यो ओलम्पिक की तैयारियों में लगे हैं। 52 किलोग्राम वेट कैटेगरी में दुनिया के नंबर-1 बॉक्सर पंघाल ने हाल ही में जर्मनी में हुए वर्ल्ड कप में गोल्ड जीता। वर्ल्ड चैम्पियनशिप के सिल्वर मेडलिस्ट पंघाल ने लॉकडाउन में कोच अनिल धनकड़ के साथ ट्रेनिंग की। उन्होंने वर्ल्ड कप में गोल्ड जीतकर साबित कर दिया कि ट्रेनिंग सही दिशा में बढ़ रही है।
पंघाल अपने कोच के साथ ही ओलम्पिक की तैयारी जारी रखना चाहते हैं। उनके कोच को अभी नेशनल कैंप में शामिल होने की अनुमति नहीं मिली है। उनका कहना है कि अगर कैंप में उनके कोच नहीं होंगे तो वे भी उसमें हिस्सा नहीं लेंगे।
गेम्स रुकने के बाद आपने पहला टूर्नामेंट खेला, ये कितना अलग था?
मैंने इस साल फरवरी में अंतिम टूर्नामेंट खेला था और अब दिसम्बर में रिंग में उतरा। 2017 के बाद से कभी इतना लम्बा गैप नहीं मिला, ऊपर से ट्रेनिंग भी ऐसी नहीं थी क्योंकि लॉकडाउन था। इसके बाद नेशनल कैंप में पार्टनर नहीं था। पार्टनर के साथ हमारी ट्रेनिंग न के बराबर हुई थी। दो महीने बाहर जाकर जो पार्टनर ट्रेनिंग की, उसी से कुछ कॉन्फिडेंस आया था। वहां हमें पार्टनर के साथ कम समय में ज्यादा सीखना था।
आपने 7-8 महीने के बाद रिंग में वापसी की, क्या कोई परेशानी आई?
रिंग में वापसी करने में तो परेशानी नहीं हुई क्योंकि हम अपने आप को इसके लिए तैयार कर चुके थे। मेरा विरोधी वर्ल्ड लेवल पर मेडल जीत चुका था। मैंने तैयारी उसी के लिए की थी। मैंने गोल्ड जीता और इससे काफी मोटिवेशन मिला। रेस्ट टाइम में भी ट्रेनिंग की थी, उसका फायदा मिला।
देश में कई गेम्स के टूर्नामेंट शुरू नहीं हुए हैं। इससे कितना प्रभाव पड़ रहा है?
भारत में बॉक्सिंग-रेसलिंग जैसे कॉन्टेक्ट स्पोर्ट्स के टूर्नामेंट शुरू नहीं हुए हैं। लेकिन विदेशों में हो रहे हैं। हमारे खिलाड़ियों को अगर नेशनल कॉम्पिटीशन नहीं मिला तो वे पिछड़ते जाएंगे। बाहर गेम शुरू हो गए हैं। हम पीछे चल रहे हैं।
खेलों की वापसी को लेकर क्या राय है? अभी ट्रेनिंग उस लेवल की नहीं हो रही है?
ओलम्पिक क्वालिफाई कर चुके बॉक्सर्स पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। ओलम्पिक के लिए हमें अधिक ट्रेनिंग चाहिए और अधिक से अधिक पार्टनर चाहिए। ओलम्पिक के लिए जितनी ट्रेनिंग करते हैं, उतनी कम है। हमें पार्टनर बदल-बदलकर ट्रेनिंग करनी चाहिए। हम जितनी मेहनत कर सकते हैं, अभी ही करनी होगी। यही 4-5 महीने ही बचे हैं और ये समय सभी के लिए कीमती हैं। ये समय हमारे लिए सब कुछ बदल सकता है। अच्छे से अच्छा मेडल दिला सकता है। ये सब अच्छी ट्रेनिंग पर निर्भर करता है।
लॉकडाउन के दौरान क्या किया और वर्ल्ड कप की तैयारी किस तरह से की?
मैंने लॉकडाउन में एक भी दिन अपनी ट्रेनिंग मिस नहीं की। मैं अपने कोच के साथ लगातार ट्रेनिंग करता रहा। हमने कई पहलुओं पर काम किया। उन्होंने मुझे मोटिवेट भी किया। उन्होंने मेरी कमियों को दूर किया और जब मैं नेशनल कैंप में गया तो मैंने अच्छे से शुरुआत की। वर्ल्ड कप से पहले भी मैंने कोच सर के साथ बात की और उनसे टिप्स लिए। वो मेरे काफी काम आए और नतीजा आपके सामने है। उन्होंने मेरे कॉन्फिडेंस को बूस्ट किया और ये हमारी मेहनत का ही नतीजा है।
क्या आपकी कोच को कैंप में शामिल करने की मांग नहीं मानी गई है?
मैं एक साल से अपने कोच को नेशनल कैंप में शामिल करने की मांग कर रहा हूं लेकिन अनुमति नहीं मिली। कई खिलाड़ियों को पर्सनल कोच, फिजियो, ट्रेनर मिल रहे हैं, तो मुझे क्यों नहीं। उनके होने से मैं खुद को अच्छे से तैयार कर सकता हूं। कैंप में अगर कोच को शामिल नहीं किया जाता तो मैं भी उसमें हिस्सा नहीं लूंगा और उनके साथ घर पर ही ट्रेनिंग करूंगा।

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