धुन के धनी धोनी

क्रिकेट जगत का कोई तमगा ऐसा नहीं है जो धोनी ने हासिल नहीं किया। एक कूल और कामयाब कप्तान, जिसके नेतृत्व में देश ने पहला आईसीसी टी-20 विश्वकप जीता। फिर देश में खेला गया विश्व कप 28 साल बाद भारत की झोली में डाला। साथ ही सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी की विश्वकप जीतने की अभिलाषा को पूरा करके उन्हें गरिमामय विदाई दी।  

निस्संदेह जब पंद्रह अगस्त को चौंकाने वाले अंदाज में धोनी ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिये अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा तो क्रिकेट प्रेमियों को अच्छा नहीं लगा। हालांकि, लंबे समय से उनके संन्यास लेने की अटकलें लगायी जा रही थीं। लगता था कि वे टी-20 विश्वकप के जरिये विधिवत विदाई करना चाहते थे। लेकिन कोरोना संकट के कारण आयोजन न हो सका। बहरहाल, आईपीएल में अपनी पसंदीदा चेन्नई सुपर किंग्स के साथ धोनी क्रिकेट खेलते जरूर नजर आएंगे। उनमें अभी काफी क्रिकेट बाकी है। 

रांची जैसे छोटे शहर से निकलकर अभिजात्य वर्ग के खेल रहे, क्रिकेट की दुनिया में छा जाने वाले माही ने युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया। कभी फुटबाल खेलने वाले धोनी ने अंडर-19 से क्रिकेट की शुरुआत की, फिर जोनल और कालांतर में राष्ट्रीय टीम में खेले। उनके बारे में कहा जाता है कि वे सिर्फ जीत के लिए खेलते थे और टीम का हारने का डर खत्म करने के लिए खेलते थे। एक कूल कप्तान के रूप में उनकी रणनीतियों की मिसाल दी जाती है, जो आखिरी वक्त में चौंकाने वाले फैसले लेकर जीत टीम की झोली में डाल देतेे थे। उनके कुछ ऐसे ही फैसलों के चलते वर्ष 2013 में चैंपियंस ट्राफी पर भारतीय टीम ने अधिकार किया था। 

यूं तो धोनी ने क्रिकेट की दुनिया के सभी बड़े खिताब भारत को दिलाये, लेकिन उन्हें कामयाब कप्तान के रूप में भी याद किया जायेगा। वह जिम्मेदारी लेते थे, चुनौती के वक्त गेंदबाजों का हौसला बढ़ाते थे। कई बार क्रिकेट के पंडित सोचते थे कि इस मुश्किल वक्त में ऐसा फैसला? ऐसा ही फैसला  था वर्ष 2007 में टी-20 विश्वकप में फाइनल मैच के आखिरी ओवर में जोगिंदर शर्मा को गेंदबाजी देकर बाजी पलटना। एक बढ़िया बल्लेबाज व सफल विकेटकीपर के रूप में धोनी को उनके वरिष्ठ खिलाड़ियों ने सहजता से स्वीकारा। इसके मूल में जहां उनका उम्दा व्यवहार था, वहीं उनमें मौजूद किक्रेट की उम्मीदें। हर कप्तान की कोशिश होती कि वह उनकी टीम में रहे।

एक कप्तान के रूप में उनकी खासियत यह भी थी कि मुश्किल से मुश्किल वक्त में चौंकाने वाले फैसले लेकर वे कमाल कर जाते थे, जिसके चलते उन्हें कैप्टन कूल का नाम दिया गया। शायद ही कभी दर्शकों ने उन्हें मुश्किल वक्त में तनाव में या आक्रामक होते देखा होगा। युवा खिलाड़ियों के साथ उनका तालमेल बेहतर होता था। उनकी क्षमताओं को जीत में बदलने का हुनर भी उनमें था।मैच में बाजी पलटने के धोनी के तमाम किस्से क्रिकेट प्रेमियों की स्मृतियों में विद्यमान हैं। खासकर 2011 के विश्वकप के फाइनल में नाबाद 91 रन बनाना और कुलशेखरा की गेंद पर छक्का लगाकर जीत दिलाने वाला क्षण। जिन्हें महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर भी अविस्मरणीय बताते रहे हैं। 

निस्संदेह महेंद्र सिंह धोनी विश्व क्रिकेट में एकमात्र ऐसे कप्तान रहे, जिनकी अगुवाई में आईसीसी की तीनों ट्रॉफियां जीती गईं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन बनाया। यह कामयाबी छह सौ दिनों तक कायम रही। उनकी शानदार कप्तानी में घरेलू मैदान में टीम ने 21 टेस्ट मैच जीते। उन्होंने कुल 332 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में टीम की कप्तानी की। विकेट के पीछे भी उनका करिश्मा जारी रहा, उन्होंने 195 लोगों को स्टंप आउट किया। उनके हेलीकॉप्टर शॉट के लिए भी उन्हें याद किया जाता रहेगा। उनके हेयर स्टाइल के लिए भी, जिसको लेकर पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल मुशर्रफ ने कहा था कि इस स्टाइल को बने रहने देना। 

इसके अलावा इंडियन प्रीमियर लीग को उन्होंने खासे उत्साह के मनोयोग से खेला। उनका खेल और कद इतना बड़ा था कि आईपीएल में उनकी चेन्नई सुपर किंग्स घर की टीम कही जाती थी। टीम चुनने में उनकी प्रायोजकों से ज्यादा चलती थी। उनके नेतृत्व में चेन्नई सुपर किंग्स सबसे ज्यादा सुपर फोर में पहुंची और तीन बार चैंपियन भी रही। हो सकता है क्रिकेट प्रेमी लंबे समय तक धोनी को चेन्नई सुपर किंग्स में खेलता देखें। यहां कई सवाल हमेशा अनुत्तरित रहेंगे कि आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान ही वर्ष 2014 में किन परिस्थितियों में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया? वे किस दबाव से असहज थे? पिछले विश्व कप के बाद वे टीम में नियमित क्यों नहीं खेल रहे थे? उनके संन्यास लेने की सूचना बीसीसीआई की तरफ से आने के बजाय इंस्टाग्राम के जरिये क्यों आई? 

बहरहाल, भले ही धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया हो, मगर क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में वे सालों-साल राज करते रहेंगे। हर क्षेत्र में धोनी का जज्बा अलग रहा है। कभी पुलिस के साथ तो कभी सेना के साथ, उन्होंने बेहतर समय बिताया जो एक साहसी खिलाड़ी के रूप में उनकी अलग पहचान बनाता है।

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