उच्च न्यायालय से खेल महासंघों को अस्थायी मान्यता देने की गुहार

अदालत में कल हो सकती है सुनवाई
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके 54 राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को 30 सितम्बर तक अस्थायी तौर पर मान्यता देने की अनुमति देने के लिए कहा। मंत्रालय के आवेदन पर दो जुलाई को सुनवाई होने की सम्भावना है। मंत्रालय ने इसके साथ ही तीन मान्यता प्राप्त एनएसएफ के निलम्बन को वापस लेने और अस्थायी तौर पर उनकी वार्षिक मान्यता का नवीनीकरण करने के लिये भी अदालत से अनुमति देने को कहा है।
यह आवेदन उच्च न्यायालय के 24 जून के आदेश के संदर्भ में किया गया है जिसके कारण एनएसएस की मान्यता का अस्थायी नवीनीकरण के मंत्रालय के फैसले को वापस ले लिया गया था। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और नजमी वजीरी की पीठ ने कहा था कि मंत्रालय ने यह फैसला करके उच्च न्यायालय के फरवरी में दिये गये आदेश का उल्लंघन किया। भले ही यह अस्थायी हो लेकिन इसके लिए उसने अदालत से सम्पर्क नहीं किया और उसकी अनुमति नहीं ली।
यह आवेदन केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी के जरिये किया गया है। इसमें मंत्रालय को 'उन सभी एनएसएफ को 2020 के लिये 30 सितम्बर तक अस्थायी तौर पर वार्षिक मान्यता देने के लिये अनुमति देने को कहा गया है जो 31 दिसम्बर 2019 तक सरकार से मान्यता प्राप्त थे या जिनका निलम्बन 31 दिसम्बर 2019 के बाद हटा दिया गया था। इस तरह से इनकी कुल संख्य 57 है।'
इसमें कहा गया है, 'एनएसएफ की वार्षिक मान्यता का नवीनीकरण न होना खेल के सम्पूर्ण विकास के लिये नुकसानदायक होगा और विशेषकर इससे खिलाड़ी प्रभावित होंगे जोकि कोविड-19 के कारण पहले ही हताश हैं क्योंकि अभ्यास और प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं किया जा रहा है। सरकार खेल गतिविधियों और अभ्यास बहाल करने की प्रक्रिया में है जोकि एनएसएफ के जरिये किया जाएगा।' इसमें कहा गया है कि 24 जून के आदेश का पालन करते हुए मंत्रालय ने 25 जून को सभी संबंधित 54 एनएसएफ को नोटिस भेजकर बताया है कि वर्ष 2020 के लिये एनएसएफ को वार्षिक मान्यता देने संबंधी दो जून का फैसला वापस लिया जाता है।
इसके अनुसार मंत्रालय ने पूर्व में जानबूझकर नहीं बल्कि अनजाने में फैसला किया था। मंत्रालय के फैसले पर उच्च न्यायालय ने इसलिए कड़ा रवैया अपनाया क्योंकि अदालत ने सात फरवरी को भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) और खेल मंत्रालय को निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय महासंघों के संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले अदालत को सूचित किया जाए।

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