टूर्नामेंट फिर से शुरू होने के बारे में खिलाड़ियों ने कहा, सावधानी और सुरक्षा जरूरी

नई दिल्ली। भारत में खेल से जुड़े प्रशासक प्रतियोगिताओं को फिर से शुरू करने की योजना पर काम कर रहे हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों के बीच खिलाड़ी सावधानी से कदम उठाने के पक्ष में हैं। कोरोना वायरस के मामले नियंत्रित नहीं होने के कारण अगस्त में खेलों को फिर से शुरू करने की योजना पर संशय बरकरार है। खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले सप्ताह विभिन्न राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के प्रतिनिधियों के साथ एक ऑनलाइन मुलाकात में कहा कि प्रतिस्पर्धी खेल की वापसी के लिए अगस्त के महीने को लक्ष्य बनाया जा सकता है।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) एनएफएस के लिए प्रशिक्षण-सह-प्रतियोगिता कैलेंडर तैयार करने के लिए उत्सुक है। पीटीआई-भाषा ने देश के शीर्ष एथलीटों से बात कर प्रतिस्पर्धा की वापसी के लिए उनकी योजना के बारे में जानने की कोशिश की। पेशेवर करियर में हाथ आजमा रहे ओलंपिक पदक जीतने वाले भारत के पहले मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने कहा, ''हमें इस तरह के बयान देने (प्रतियोगिताओं को फिर से शुरू करने) से पहले वायरस को नियंत्रण में लाना होगा। क्या भारत में मामले घट रहे हैं? नहीं, यहां तक ​​कि कोई इलाज या टीका भी नहीं तैयार हुआ है।'' उन्होंने कहा, ''अगर कोई एथलीट प्रतिस्पर्धा के दौरान संक्रमित हो जाता है, तो इतने सारे लोगों को जोखिम में डालते की कौन जिम्मेदारी लेगा? कोविड-19 ऐसी चीज है जिसके बारे में किसी को पता नहीं चल रहा है।''
हाल में विश्व के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच के अलावा कई और खिलाड़ी एक टूर्नामेंट के दौरान कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। इंग्लैंड दौरे के लिए चुने गए पाकिस्तान के 29 में से 10 क्रिकेटर भी इस वायरस की जांच में पॉजिटिव मिले थे। भारत में भी संक्रमितों का आंकड़ा पांच लाख के पार पहुंच गया है, जबकि इससे मरने वालो लोगों का आंकड़ा 16000 से अधिक है। 
विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता पहवान बजरंग पूनिया ने कहा कि इससे खिलाड़ियों की फिटनेस पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ''लॉकडाउन के बाद से एथलीट अपने घर पर हैं और अगर यह इसी तरह जारी रहा तो यह उनके लिए काफी नुकसान दायक होगा। उनके फिटनेस पर बुरा असर पड़ेगा।''
केन्द्र सरकार ने खिलाड़ियों को शर्तों के साथ बाहर अभ्यास करने की मंजूरी दी है, लेकिन कई राज्यों में प्रतिबंध बरकरार है ,ऐसे में जमीनी स्तर पर इस छूट का ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है। टेबल टेनिस महासंघ शिविर को फिर से शुरू करने के लिए बेताब है, लेकिन अब तक दो बार प्रयास करने के बावजूद वे खिलाड़ियों को मनाने में सफल नहीं रहे।
ओलंपिक के लिए 15 भारतीय निशानेबाजों ने कोटा सुनिश्चित किया है और इस खेल के व्यक्तिगत स्वरूप को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि इसे शुरू किया जा सकता है, लेकिन खिलाड़ी अभी और प्रतीक्षा करना चाहते है। राष्ट्रमंडल, विश्व कप और एशियाई खेलों के कई बार के पदक विजेता संजीव राजपूत ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि खेल की गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए यह सही समय है। स्थिति को देखते हुए इसमें जोखिम शामिल हैं। लेकिन अगर मैं निशानेबाजी के बारे में बात करूं, तो हम 5-6 एथलीटों के बैच में अभ्यास शुरु कर सकते है।''
दो बार के विश्व कप विजेता अभिषेक वर्मा ने भी कहा, ''खेल को फिर से शुरू करने का यह सही समय नहीं है। खासकर दिल्ली जैसी जगहों पर जहां मामलों की संख्या बढ़ रही है। ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने वाले 15 निशानेबाज अभ्यास शुरू कर सकते हैं और यह जरूरी नहीं कि वे दिल्ली में अभ्यास करें।''विश्व बैडमिंटन संघ ने सितंबर से खेलों की वापसी का खाका तैयार किया है, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों को लगता है कि अगर अभ्यास तरीके से नहीं हुआ तो काफी नुकसान होगा। राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता पारुपल्ली कश्यप ने कहा, ''मैं प्रशिक्षण फिर से शुरू करना चाहता हूं और प्रतिस्पर्धा में आना चाहता हूं लेकिन जब तक हमारे पास वैक्सीन नहीं है, तब तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है।''
दिग्गज भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं फिर से शुरू होती हैं तो एथलीटों के पास बहुत कम विकल्प होंगे। उन्होंने कहा, ''अगर आईडब्ल्यूएफ टूर्नामेंट आयोजित करने का फैसला करता है तो हमारे पास भाग लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा । हमारे लिए ओलंपिक का टिकट दांव पर लगा है।''

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