कोरोना के चलते खेल उद्योग को सात सौ करोड़ का नुकसान

ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका से आर्डर पर टिकी उम्मीदें

नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर खेलों के साथ खेलों का सामान बनाने वाली कंपनियों पर भी काल बनकर टूटा है। खेलों का सामान बनाने वाली देश की नामी-गिरामी कंपनियां बंद पड़ी हैं। नए आर्डर नहीं मिले या फिर फैक्ट्रियां जल्द शुरू नहीं हुईं तो उनके पास लंबी बंदी के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा। मार्च से लेकर मई तक रहने वाले लॉकडाउन ने देश के खेल और फिटनेस उद्योग को छह से सात सौ करोड़ रुपये की चपत लगा दी है। खेल उद्योग यह घाटा सहने को तैयार है, लेकिन आगे इन हालातों को सहन करने की स्थिति में नहीं रहेगा।
30 प्रतिशत राजस्व का हुआ नुकसान
बीसीसीआई को लाल और गुलाबी गेंदें सप्लाई करने वाले मेरठ स्थित एसजी कंपनी के मालिक पारस आनंद का कहना है कि देश में खेल उद्योग का कुल सालाना राजस्व ढाई हजार करोड़ के आसपास है। इस कुल राजस्व का 30 प्रतिशत मार्च से लेकर मई माह तक कंपनियां कमा लेती है। दरअसल ये तीन माह खेल उद्योग के लिए सबसे बड़ा सीजन होते हैं। गर्मी की छुट्टियों की शुरुआत होने के चलते प्रोडक्शन चरम पर  होता, लेकिन इस वक्त सब बंद पड़ा है।
जालंधर और मेरठ की ज्यादातर कंपनियां इंग्लैंड के अलावा ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका भी खेल सामान सप्लाई करती हैं। जालंधर स्थित इंग्लैंड की जानी-मानी कंपनी ग्रे निकोल्स के भारतीय फ्रेंचाइजी अरविंद एबरोल का कहना है कि यूरोप में सामान भेजा जा चुका है, लेकिन खेल गतिविधियां नहीं होने के चलते यह सामान गोदामों में रुका है। जुलाई के बाद ऑस्ट्रेलिया का सीजन शुरू होगा। पता नहीं वहां से कितना आर्डर आएगा, लेकिन यह तय है कि अब इंग्लैंड से आर्डर नहीं आएगा। यूरोप में इस साल भेजे गए सामान को अगले वर्ष बेचा जाएगा। ऐसे में भारतीय खेल कंपनियों के पास आर्डर कहां से आएगा। अरविंदर जालंधर की स्पोट्र्स गुड्स मैन्युफैक्चर एंड एक्सपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन और कार्यकारिणी सदस्य हैं। उनके मुताबिक आर्डर नहीं मिलने कुछ दिन के लिए फैक्ट्रियां बंद भी करनी पड़ीं तो भी कर्मियों को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। हां, वेतन में जरूर कटौती की जाएगी। मेरठ में खेल की कुछ फैक्ट्रियां पीपीई किट बनाने को मजबूर हो गई हैं। उन्हें सरकार की ओर से पीपीई किट बनाने का आर्डर मिला है। हालांकि अरविंद के मुताबिक जालंधर में कोई भी खेल कंपनी पीपीई नहीं बना रही है।

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