ओलम्पिक संघ ने लागू की सुरक्षित खेल नीति

खेलपथ प्रतिनिधि
गंभीर शिकायत पर चलेगा आपराधिक मामला
नई दिल्ली। भारतीय खेलों के इतिहास में पहली बार भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की ओर से सुरक्षित खेल नीति को लागू किया जा रहा है। इस नीति के तहत अब खेलों में गाली गलौच, झगड़े, यौन, शारीरिक, मानसिक उत्पीड़न से लेकर प्रशिक्षकों का खिलाड़ियों की जानबूझकर देखभाल नहीं करना भारी पड़ेगा। इस तरह की शिकायत मिलने पर दोषी के खिलाफ चेतावनी से लेकर खेलों में आजीवन प्रतिबंध का प्रावधान रखा गया है। इस नीति के तहत उत्पीडन के दायरे सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष खिलाड़ी भी आएंगे। आईओए की आम सभा ने सोमवार को सुरक्षित खेल नीति को मंजूरी दे दी। खिलाडिय़ों के अलावा यह नीति खेल प्रशासकों, प्रशिक्षकों, कर्मियों पर भी लागू होगी। 
आईओए ने यह नीति अंतराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद  (आईओसी) के चार्टर को ध्यान में रखकर तैयार की है। नीति के तहत आईओए में सेफगार्ड अधिकारी (एसजीओ) की तैनाती की जाएगी। किसी भी तरह के उत्पीडन की शिकायत एसजीओ को ही की जाएगी। अगर यह उप्तीडन ओलंपिक, एशियाई या कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान किया गया है तो शिकायत चेफ डि मिशन को की जाएगी। एसजीओ शिकायत की जांच कर रप्रितबंध तय करेगा। अगर जांच बेहद गंभीर है तो फिर इसे पुलिस के सुपुर्द कर आपराधिक मामला चलाया जाएगा। इसके आधार पर ही दोषी खिलाड़ी के खिलाफ खेलों में प्रतिबंध भी लगाया जाएगा। अब तक देश में खेलों में उत्पीडन को लेकर प्रतिबंध की व्यवस्था नहीं थी।
खेल संघों को भी लाया जाएगा दायरे में
शिकायत अगर आईओए के दायरे से बाहर की है तो इसे संबंधित विभाग को सौंपकर जांच करने को कहा जाएगा। आईओए सेक्रेटरी जनरल राजीव मेहता का कहना है कि वह इस नीति पर पिछले कुछ माह से काम कर रहे थे। यह नीति पुरुष और महिला खिलाडिय़ों की सुरक्षा के लिए है। उनकी ओर से खेल संघों से कहा जाएगा कि वह इस नीति को अपने यहां भी लागू करें। हालांकि आज से यह नीति आईओए में लागू हो गई है। जल्द ही इस नीति के लिए आईओए में वर्कशाप आयोजित की जाएगी। उन्हें लगता है कि इस नीति के लागू होने से देश में खेलों में साफ सुथरा माहौल लाने में मदद मिलेगी।
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