फुटबॉल के महानायक के आस्थावानों का धर्म है 'चर्च ऑफ माराडोना'

धर्म वो है, जिसे हम मानते हैं। इसके प्रति आस्था रखते हैं। हर धर्म में सर्वशक्तिमान शक्ति होती है, जिसकी अराधना या स्तुति की जाती है। इग्लेसिया माराडोनानिया- जिसे अंग्रेजी में 'चर्च ऑफ माराडोना' कहा जाता है, सभी धर्मों से जुदा एक अलग धर्म है। यह वह धर्म है, जिसकी सर्वशक्तिमान शक्ति एक फुटबॉल खिलाड़ी है और जो अब भी जीवित है। जैसा कि नाम से संकेत मिलता है, चर्च ऑफ माराडोना अर्जेंटीना के महान फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना से जुड़ा है। इस धर्म की स्थापना माराडोना के तीन सबसे बड़े प्रशंसकों ने की थी क्योंकि उनका मानना है कि माराडोना दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ी हैं और इस लिहाज से उनकी अराधना की जानी चाहिए।

चर्च ऑफ माराडोना की स्थापना 30 अक्टूबर, 1998 को माराडोना के 38वें जन्मदिन के अवसर पर अर्जेंटीना के शहर रोजारियो (इसी शहर में लियोनेल मेसी का जन्म हुआ था) में अर्जेंटीनी फुटबॉल के तीन प्रशंसकों (हेक्टर कोम्पोरनार, एलेजेंड्रो वेरोन और हेनार्न अमेज) द्वारा की गई थी। यह एक ऐसा धर्म है, जिसमें सर्वशक्तिमान के प्रति आस्था की अपनी-अपनी परिभाषा हो सकती है।

वेरोन के लिए यह आस्था माराडोना से जुड़ी है। जन्म से वह रोमन कैथोलिक ईसाई हैं लेकिन मन से वह माराडोना को सर्वशक्तिमान ताकत मानते हैं और दिल से वह चर्च ऑफ माराडोना को फॉलो करते हैं। इस धर्म की अपनी कुछ मान्यताएं हैं और दुनिया भर में बसे इस धर्म के लाखों मानने वाले इन मान्यताओं पर यकीन करते हैं, आत्मसात करते हैं।

चर्च ऑफ माराडोना की मुख्य रूप से 10 मान्यताएं हैं। पहली मान्यता यह है कि गेंद कभी मैली नहीं होती। दूसरी मान्यता में कहा गया है कि किसी भी चीज से अधिक फुटबॉल को प्यार करो। तीसरी मान्यता में डिएगो और फुटबॉल जैसे सुंदर खेल के प्रति अतार्किक प्यार बनाए रखो। चौथी मान्यता यह है कि इस धर्म को मानने वाले हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अर्जेंटीनी राष्ट्रीय टीम की जर्सी की रक्षा करे।

चूंकी यह धर्म माराडोना से जुड़ा है, लिहाजा इसकी एक मान्यता यह भी है कि इसको मानने वालों को माराडोना के करिश्माई खेल के बारे में दुनिया भर में प्रचार करते रहना होगा। इसके बाद यह भी मान्यता है कि माराडोना जहां-जहां खेले हैं, उन स्थानों को एक मंदिर मानकर उनका सम्मान किया जाना चाहिए। इसके बाद इस धर्म को मानने वालों से कहा गया है कि वे माराडोना को किसी एक टीम के सदस्य के तौर पर प्रचारित न करें।

चर्च ऑफ माराडोना के मानने वालों के लिए अगला आदेश यह है कि अपने नाम के बीच में डिएगो शब्द का उपयोग करें और अपने पहले बेटे का नाम डिएगो रखें।

इस धर्म को मानने वालों के लिए 1986 फीफा विश्व कप में इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच खेला गया क्वार्टर फाइनल इतना पवित्र है कि वे हर साल इस मैच की सफलता का जश्न ईस्टर के तौर पर मनाते हैं। इस धर्म के लिए क्रिसमस 30 अक्टूबर को आता है, जिस दिन माराडोना का जन्म हुआ था।

वेबसाइट स्मिथजर्नल डॉट कॉम के मुताबिक ब्राजील के महान फुटबॉल खिलाड़ी जीको उन दिनों को याद करते हैं, जब माराडोना चरम पर थे। जीको कहते हैं, “माराडोना ने फुटबॉल के मैदान पर ऐसे कारनामे किए हैं, जिन्हें करने से पहले शायद भगवान भी एक बार सोचते। शायद ही कोई इस बात से इंकार करे कि फुटबॉल मैदान पर माराडोना की शक्तियां किसी सुपरनेचुलर से कम थीं।”

जीको ने यहां एक अहम सवाल भी उठाया। तो फिर चर्च ऑफ माराडोना अपने 'ईश्वर' की कोकीन की लत का बचाव कैसे करेगा? माराडोना के करीबी रहे एक खेल पत्रकार ने इसका बचाव करते हुए कहा, “यह भी एक ईश्वरीय शक्ति है। माराडोना ने अपने जीवन में जितना कोकीन का सेवन किया है, वह एक आम इंसान नहीं कर सकता। डिएगो अलग हैं। वह कई बार बचकानी हरकते करते हैं और बचकानी बातें करते हैं। वह गलतियां करते हैं लेकिन माफ कर दिए जाते हैं क्योंकि वह एक लिविंग लेजेंड हैं, एक किवदंती हैं।”

वेबसाइट दगार्जियन डॉट कॉम के मुताबिक 29 अक्टूबर को हर साल रोजारियो में ईव ऑफ क्रिसमस पार्टी होती है और यहां दुनिया भर से आए लाखों चर्च ऑफ माराडोना के फॉलोअर्स जश्न मनाते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक चर्च ऑफ माराडोना को मानने वालों की संख्या दो लाख के करीब है। चर्च ऑफ माराडोना की कोई इमारत नहीं लेकिन इसके मानने वालों में दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ी मेसी, रोनाल्डीनियो और कालोर्स टेवेज (माराडोना के दामाद) शामिल हैं।

इस धर्म को मानने वालों का मानना है कि जिस तरह ईसा मसीह को क्रूसीफाई किया गया था और बर्बरतापूर्वक मार दिया गया था, उसी तरह कई मौकों पर माराडोना को मैदान में गिराया गया, मारा गया, उनके पैरों को काटा गया लेकिन वह फिर भी नहीं 'मरे' और आज उनके भगवान बन चुके हैं। इस धर्म के फॉलोअर्स को लिए 'जिस तरह पोप अर्जेंटीनी है, उसी तरह गॉड भी अर्जेंटीनी है।'

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