फर्राटा दौड़ में लौटा अमेरिकी वर्चस्व

दुनिया के महानतम फर्राटा धावक माने जाने वाले जमैका के उसेन बोल्ट का युग समाप्त हो गया है। कतर में जारी विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप बोल्ट के बिना ही खेली जा रही है। बोल्ट लगभग डेढ़ दशक तक फर्राटा के बेताज बादशाह रहे। उनके संन्यास से दुनिया भर में उनके प्रशंसकों को दुख हुआ है लेकिन अमेरिकी धावक इससे खुश हैं क्योंकि इस स्पर्धा में अब उनका वर्चस्व एक बार फिर लौट आया है। दोहा में शनिवार को आयोजित 100 मीटर दौड़ में ऐसा लगभग एक दशक में पहली बार हुआ जब जमैका को कोई पदक नहीं मिला। अमेरिका के क्रिस्टियन कॉलमैन ने 9.76 सेकेंड के साथ सोना जीता जबकि उनके ही देश के दिग्गज जस्टिन गाटलिन ने 9.89 सेकेंड के साथ रजत हासिल किया। कांस्य पर कनाडा के उभरते हुए धावक आंद्रे ग्रासे ने कब्जा जमाया। 2011 में दाएगू में विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने वाले जमैका के योहान ब्लैक 9.97 सेकेंड के साथ पांचवें स्थान पर रहे। यह महज संयोग नहीं। बोल्ट के विदा होने के बाद से ही इसके संकेत दिखने लगे थे। 2017 में लंदन में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के पिछले संस्करण में बोल्ट तीसरे स्थान पर रहे थे।
गाटलिन ने वहां सोना जीता था जबकि कॉलमैन ने रजत हासिल किया था। इस बार परिणाम उलट गए हैं लेकिन देश एक ही है। 1983 में शुरू विश्व चैम्पियनशिप के पहले संस्करण में अमेरिका के कार्ल लेविस ने सोना जीता था। रजत और कांस्य भी अमेरिका के नाम रहे थे। 1987 में रोम में लेविस ने फिर बाजी मारी लेकिन रेमंड स्टीवार्ट ने अमेरिकी वर्चस्व तोड़ते हुए पहली बार जमैका को विश्व चैम्पियनशिप में रजत दिलाया। कांस्य ब्रिटेन के लिंफोर्ड क्रिस्टी को मिला था। लेविस 1991 में भी चैम्पियन बने। उस साल अमेरिका ने तीनों पदक जीते थे। क्रिस्टी ने 1993 में अमेरिकी वर्चस्व तोड़ते हुए पहली बार सोना जीता लेकिन 1995 में कनाडा के डोनोवान बेले के हाथों वह अपना खिताब गंवा बैठे। इसके बाद लगातार तीन संस्करणों में अमेरिका का वर्चस्व रहा। मौरिस ग्रीन ने 100 मीटर सोने की शानदार हैट-ट्रिक पूरी की। 2003 में हालांकि दुनिया को एक अप्रत्याशित विजेता देखने को मिला। सेंट कीट्स एंड नेविस के किम कोलिंस ने सबको चौंकाते हुए विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया। 2005 में अमेरिका के गाटलिन और 2007 में अमेरिका के ही टायसन गे ने बाजी मारी। इसके बाद बोल्ट का युग शुरू हुआ।
बोल्ट ने 2009 में बर्लिन में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में विश्व रिकार्ड के साथ सोना जीता और आगे चलकर तीन बार चैम्पियन बने। 2011 में दाएगू में फॉल्स स्टार्ट के कारण वह बाहर हो गए थे और तब ब्लैक ने खिताब अपने ही देश में रखा था। बोल्ट ने 2008 के बीजिंग, 2012 के लंदन और 2016 के रियो ओलंपिक में 100 एवं 200 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर जो ऐतिहासिल हैट्रिक लगाई थी, उसकी बराबरी कोई शायद ही कर सकता है लेकिन रियो ओलंपिक के बाद बोल्ट जब दोबारा ट्रैक पर उतरे तो उनके लिए काफी कुछ दांव पर था। 2017 के विश्व चैम्पियनशिप में बोल्ट यह दांव हार गए और गाटलिन ने 9.92 सेकेंड के साथ सोना तथा कॉलमैन ने 9.94 सेकेंड के साथ रजत जीता था। बोल्ट को कांस्य मिल सका। इसके बाद बोल्ट ने संन्यास की घोषणा कर दी।

दोहा में दुनिया बोल्ट और खासकर जमैका के फर्राटा धावकों के बगैर अलग ही नजारा देख रही है। हालांकि नायक वही पुराने हैं लेकिन जमैका का वर्चस्व खत्म हो गया है। अब एक बार फिर अमेरिकी वर्चस्व कायम हो गया है और कनाडा के ग्रासे तथा दक्षिण अफ्रीका के अकानी सिम्बाइन जेसे कुछ युवा धावकों को छोड़कर कोई भी इसे चुनौती देता नजर नहीं आ रहा है।

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