पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी का बोर्ड कमेटियों से इस्तीफा

पूर्व भारतीय कप्तान शांता रंगास्वामी ने बीसीसीआई के आचरण अधिकारी डीके जैन द्वारा हितों के टकराव का नोटिस भेजे जाने के बाद क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) सदस्य और भारतीय क्रिकेटर संघ (आईसीए) के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। रंगास्वामी ने कहा, ‘मेरी कुछ अन्य योजनायें हैं इसलिये मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया। सीएससी की वैसे भी एक साल में या दो साल में एक बार ही बैठक होती है इसलिये मुझे टकराव की बात समझ नहीं आती।’ उन्होंने कहा, ‘सीएसी समिति में होना सम्मान की बात थी। मौजूदा परिस्थितियों में (हितों के टकराव को देखकर) मुझे लगता है कि किसी भी प्रशासनिक भूमिका के लिये उपयुक्त पूर्व क्रिकेटर को ढूंढना कठिन होगा। आईसीए से तो मैं चुनाव होने से पहले ही इस्तीफा दे देती। इसलिये यह समय की बात थी।’ रंगास्वामी के अलावा सीएसी में कपिल देव और अंशुमन गायकवाड़ शामिल थे। रंगास्वामी ने अपना इस्तीफा रविवार को सुबह प्रशासकों की समिति (सीओए) और बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी को ईमेल के जरिये भेजा। बीसीसीआई के आचरण अधिकारी डीके जैन ने शनिवार को सीएसी को नोटिस भेजकर मौजूदा भारतीय कोच चुनने वाले पूर्व क्रिकेटरों से उनके खिलाफ लगे हितों के टकराव के आरोपों का जवाब 10 अक्तूबर तक देने को कहा था। मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ के आजीवन संदस्य संजीव गुप्ता ने इन तीनों के खिलाफ शिकायत दायर की थी जिन्होंने अगस्त में मुख्य कोच के पद पर रवि शास्त्री को चुना था। बीसीसीआई के संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक समय में एक से ज्यादा पद पर काबिज नहीं रह सकता।
सीएसी मामले में हितों का टकराव नजर नहीं आता : राय
प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने रविवार को कहा कि उनकी समिति को कपिल देव की अगुआई में बनी क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) में हितों का कोई टकराव नजर नहीं आता। सीएसी एक तदर्थ समिति है जिसका गठन पुरुष टीम के मुख्य कोच की नियुक्ति के लिए किया गया था। बीसीसीआई के आचरण अधिकारी जस्टिस (रि.) डीके जैन ने कपिल और सीएसी के उनके साथी सदस्यों शांता रंगास्वामी और अंशुमन गायकवाड़ को नव गठित भारतीय क्रिकेटर्स संघ (आईसीए) का निदेशक होने के लिए नोटिस जारी किया था। राय ने बताया, ‘हमने सीएसी की नियुक्ति तदर्थ इकाई के रूप में की थी जिसका काम पुरुष राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच की नियुक्ति करना था। सीओए के रूप में हमें इसमें हितों का कोई टकराव नजर नहीं आता।’ समझा जा रहा है कि मुख्य कोच के रूप में रवि शास्त्री की नियुक्ति के बाद तदर्थ सीएसी का अब कोई अस्तित्व नहीं है।

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