कोचों की सलाह के उलट किया मैच में: विनेश

नूर-सुल्तान (कजाखस्तान)। कुश्ती में टोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने वाली पहली भारतीय बनी विनेश फोगाट का कहना है कि ओलंपिक क्वालीफिकेशन के अहम मुकाबले में मैट पर परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने कोचों द्वारा बतायी गयी रणनीति में बदलाव किया और जीत हासिल की। विश्व चैम्पियनशिप की ओलंपिक क्वालीफाइंग बाउट से पहले कोच वूलर एकोस ने विनेश को सारा एन हिल्डरब्रांट से दूर रहने के साथ उसके दायें हाथ को रोकने और पैरों को बचाने की रणनीति सुझायी थी। लेकिन विनेश ने मैट पर परिस्थितियों के हिसाब से इसका उलट किया।
विनेश ने 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीतने और ओलंपिक का टिकट कटाने के बाद एक साक्षात्कार में यह खुलासा किया। उसने कहा, ‘मुझे मैट पर कुछ और ही लगा और मैंने इसी के अनुसार रणनीति में बदलाव किया। मुझे लगा कि वह मुझ पर दबाव बना रही थी लेकिन मैं अंक नहीं गंवा रही थी तो इससे वह थक रही थी।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिये मैंने सोचा कि क्यों उसे पैरों पर आक्रमण करने के लिये लुभाऊं और फिर डिफेंस में मजबूत बनी रहूं ताकि इससे वह पूरी तरह थक जाये। मैंने उसे ऐसा करने दिया और फिर उसे रोक लिया। यह मेरे लिये कारगर रहा। मैं जानती हूं कि वह मेरी तुलना में कितनी मजबूत थी।’ अमेरिका की नंबर एक पहलवान ने रेपेचेज की दूसरी बाउट के दौरान 5 बार विनेश के पैर को पकड़ा था लेकिन वह इसमें से एक में भी अंक नहीं जुटा सकी। यह भारतीय पहलवान जानती है कि बड़ा पदक जीतने का मतलब क्या होता है। वह रियो ओलंपिक से पहले लगी चोट को भूली नहीं है जिसके कारण उसे कुछ हफ्तों तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘मेरी मां ने तो मेरी बाउट देखना ही बंद कर दिया था। उसे डर लगता था कि मैं फिर से अपने पैर में चोट लगा लूंगी। हालांकि वह अगर देखती भी तो वह चिल्ला चिल्लाकर दूसरों के लिये मुश्किल पैदा कर देती कि अरे, मेरी बेटी की टांग छोड़ दे, तोड़ न दियो।’ अपने पहलवान पति सोमबीर राठी के बारे में उन्होंने कहा, ‘उन्होंने भले ही पदक नहीं जीते हों लेकिन कुश्ती के दांव पेच में वह बहुत चतुर हैं। वह भी वही चीज कहते जो मेरे विदेशी कोच ने कही थी।’
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