दिव्यांग मानसी जोशी ने भी किया कमाल

जीता पहला विश्व पैरा बैडमिंटन खिताब
पीवी सिंधु की विश्व खिताबी सफलता के साथ-साथ मानसी जोशी ने भी भारतीय पैरा बैडमिंटन में अपना नाम स्वणार्क्षरों में दर्ज करा लिया। मानसी जोशी ने बासेल में विश्व पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप के महिला एकल एसएल-3 फाइनल में हमवतन पारुल परमार को 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीता। मानसी ने 2011 में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवाया था। उसके आठ साल बाद फाइनल में उन्होंने तीन बार की विश्व चैंपियन परमार को शनिवार को पराजित किया। वह पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं। भारत ने इस प्रतियोगिता में कुल 14 पदक जीते, जिसमें तीन स्वर्ण और तीन रजत शामिल हैं। 

भारतीय पैरालंपिक समिति ने मानसी को इस जीत के लिए बधाई दी है। इस बीच प्रमोद भगत और मनोज सरकार ने पुरुष युगल एसएल 3-4 वर्ग के फाइनल में हमवतन नितेश कुमार और तरुण ढिल्लों को 14-21, 21-15, 21-16 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इस चैम्पियनशिप में भगत का यह दूसरा स्वर्ण पदक है। इससे पहले उन्होंने पुरुष युगल एसएल 3-4 का खिताब भी जीता था। रविवार को प्रमोद भगत ने पुरुष सिंगल एसएल 3 के फाइनल में इंग्लैंड के डेनियल बैथल को 6-21, 21-14, 21-5 से हराकर स्वर्ण पदक जीता जबकि तरुण कोना को पुरुष सिंगल एसएल 4 के फाइनल में फ्रांस के लुकास मजूर से हार का सामना करना पड़ा। तरुण ने पहले गेम में 13-14 के स्कोर पर मैच छोड़ दिया। 

'विश्व खिताब जीतना किसी सपने के सच होने जैसा'
भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने पहला विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने के बाद कहा कि यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, “मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है...मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया। मैंने जिम में अधिक समय बिताया, सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की।” जोशी ने कहा, “मैंने अपने स्ट्रोक्स पर भी काम किया, मैंने इसके लिए अकादमी में हर दिन ट्रेनिंग की। मैं समझती हूं कि मैं लगातार बेहतर हो रही हूं और अब यह दिखना शुरू हो गया है।” अपने सफर के बारे में बात करते हुए जोशी ने कह, “मैं 2015 से बैडमिंटन खेल रही हूं। विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है।” जोशी ने बताया कि वह चलने के लिए अब नए वॉकिंग प्रोसथेसिस सॉकेट का उपयोग कर रही हैं। इससे पहले वह पांच साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थीं जिसके कारण वर्कआउट के दौरान उनकी रफ्तार धीमी हो रही थी।

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