खेल महासंघों के कामकाज की निगरानी करेगा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक

खेल मंत्री ने खेलों में अधिक पारदर्शिता के लिए खेल प्रशासन विधेयक पेश किया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पेश किया। इस विधेयक में एक ऐसे बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है, जिसके पास नियम बनाने और धनी बीसीसीआई सहित सभी महासंघों के कामकाज की निगरानी करने के व्यापक अधिकार होंगे। खेल मंत्री ने यह विधेयक पेश किया जिसमें जवाबदेही की एक सख्त व्यवस्था बनाने के लिए एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) के गठन का प्रावधान है। सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने के लिए एनएसबी से मान्यता प्राप्त करनी होगी।
इस विधेयक के मुताबिक, केंद्र सरकार को 'राष्ट्रीय हित में निर्देश जारी करने और रोक लगाने की शक्ति' संबंधी धारा के तहत एक आदेश के द्वारा असाधारण परिस्थितियों में भारतीय टीमों और व्यक्तिगत खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर उचित रोक लगाने का अधिकार होगा। खिलाड़ियों की भागीदारी का मामला अक्सर पाकिस्तान के संबंध में सामने आता है।
विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने को लेकर सरकार की नीति पिछले कुछ वर्षों से बेहद स्पष्ट रही है। अगर कोई ऐसी प्रतियोगिता हो जिसमें कई देश भाग ले रहे हों तो उसमें भागीदारी पर कोई रोक नहीं है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ द्विपक्षीय आयोजनों का तो ‘सवाल ही नहीं उठता मुंबई में 2008 में आतंकी हमले के बाद यही स्थिति बनी हुई है। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 150 से ज्यादा लोगों को मार डाला था।
खेल मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, 'यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है कि इस तरह के फैसले करने में सरकार का पूरा नियंत्रण हो। जब भी राष्ट्रीय हित शामिल होता है, तो सरकार को ही तमाम सवालों के जवाब देने पड़ते हैं इसलिए अंतिम फैसला करने का अधिकार उसके पास होना उचित है।' इस वर्ष अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में और खटास पैदा हो गई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव हुआ था, जो पाकिस्तान के युद्ध विराम के अनुरोध पर समाप्त हुआ था।
भारत 2036 ओलम्पिक खेलों की मेजबानी की दौड़ में शामिल
पहलगाम हमले के बाद भी दोनों देश बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) का सदस्य है जिसका चार्टर राजनीति के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है। भारत ने अगले महीने होने वाले हॉकी एशिया कप और इस वर्ष के अंत में होने वाले जूनियर निशानेबाजी विश्व कप के लिए पाकिस्तान के देश में प्रवेश का रास्ता भी साफ कर दिया है, ताकि ओलंपिक चार्टर का अनुपालन किया जा सके। बड़ी प्रतियोगिताओं की मेजबानी के अधिकार प्राप्त करने के लिए चार्टर का पालन करना अनिवार्य होता है और भारत 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी की दौड़ में शामिल है।
विधेयक में राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का प्रस्ताव
एक और उल्लेखनीय विशेषता राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का प्रस्ताव है। इसके मुताबिक, एक सिविल कोर्ट के पास शक्तियां होंगी और वह महासंघों और एथलीटों से जुड़े चयन से लेकर चुनाव तक के विवादों का निपटारा करेगा। एक बार स्थापित होने के बाद, न्यायाधिकरण के निर्णयों को केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकेगी। यह विधेयक प्रशासकों के लिए आयु सीमा के मुद्दे पर कुछ रियायतें देता है, जिसमें 70 से 75 वर्ष की आयु के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है, बशर्ते संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नियम और उपनियम इसकी अनुमति दें। यह राष्ट्रीय खेल संहिता से अलग है, जिसमें आयु सीमा 70 वर्ष निर्धारित की गई थी।
बीसीसीआई ने आरटीआई के दायरे में आने का कड़ा विरोध किया
विधेयक के उद्देश्यों के विवरण में कहा गया है, '...2036 के ओलंपिक खेलों की बोली लगाने की तैयारी के एक भाग के रूप में, यह आवश्यक है कि खेल प्रशासन परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव लाया जाए ताकि बेहतर परिणाम, खेल उत्कृष्टता और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन में सहायता मिल सके।' सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल संस्थाएं सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में भी आएंगी, जिसका बीसीसीआई ने कड़ा विरोध किया है क्योंकि यह सरकारी धन पर निर्भर नहीं है।
बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला का इस मामले पर बयान
बीसीसीआई उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला ने संसद के बाहर कहा, 'अब हमें विधेयक का अध्ययन करना होगा और देखना होगा कि क्या हमें इसे समिति (सर्वोच्च परिषद) के समक्ष रखना चाहिए। उसके बाद ही हम कोई टिप्पणी कर सकते हैं। जाहिर है कि बीसीसीआई के सदस्य विधेयक और उसके प्रावधानों का अध्ययन करेंगे और अगर इसे किसी समिति के समक्ष रखा जाता है, तो वे इसका अध्ययन करेंगे और फिर देखेंगे कि क्या करने की आवश्यकता है। हम सरकार के साथ भी चर्चा करेंगे।' मंत्रालय ने जोर देकर कहा है कि बीसीसीआई, जो 2028 लॉस एंजिल्स खेलों की सूची में क्रिकेट को शामिल किए जाने के बाद अब ओलंपिक का हिस्सा है, को विधेयक के अधिनियम बन जाने के बाद इसके प्रावधानों का पालन करना होगा।
एनएसबी में किन लोगों का होगा चयन?
एनएसबी में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा योग्य, ईमानदार और प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से की जाएगी। बोर्ड के सदस्यों से यह भी अपेक्षा की जाएगी कि उनके पास लोक प्रशासन, खेल प्रशासन, खेल कानून और अन्य संबंधित क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो। हितधारकों और जनता से व्यापक परामर्श के बाद तैयार किए गए मसौदा विधेयक के मुताबिक, नियुक्तियां एक खोज-सह-चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएंगी। चयन समिति में अध्यक्ष के रूप में कैबिनेट सचिव या खेल सचिव, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक, जिनमें से प्रत्येक ने किसी राष्ट्रीय खेल निकाय के अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया हो, और एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी जो द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता हो, शामिल होंगे।