काव्यात्मक परिचय अरुणा आसफ अली

महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी,
राष्ट्रीय हित में लुटा दी अपनी जिंदगानी।
राष्ट्र भक्ति में इनका कोई नहीं है सानी,
अरूणा आसफ अली हैं इस जुझारू नेता का नाम,
स्वतंत्रता आंदोलन में इनका सराहनीय योगदान।
कालका (जिला पंचकूला हरियाणा) इन का जन्मस्थान,
पिता उपेंद्र नाथ गांगुली, माता अंबालिका देवी की संतान।
बचपन से ही तीक्ष्ण बुद्धि मेधावी प्रतिभाशाली और ज्ञानवान,
बचपन से ही पठन पाठन की ओर रूचि और रूझान,
हर श्रैणी में प्रथम स्थान प्राप्त कर के दिया बौद्धिकता का प्रमाण।
सेक्रेड हार्ट कान्वेंट स्कूल लाहौर से स्कूली शिक्षा पाई,
अल सेंट कालेज नैनीताल से उच्च शिक्षा पाई।
इसी संस्थान से स्नातक की उपाधि पाई,
पढ़ाई समाप्ति के बाद गोखले मेमोरियल स्कूल कलकत्ता में शिक्षिका का दायित्व वहन किया।
महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
शिक्षिका पद से त्याग-पत्र दिया,
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में प्रवेश लिया।
इसी दौरान स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस नेता आसफ अली से परिचय हुआ,
आसफ अली से परिणय सूत्र में बंधने का निर्णय किया।
परिवार की आपत्तियों को दरकिनार किया,
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया।
नमक आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई,
अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारतीय जनमानस को जागरूक किया,
सरकार ने तिलमिला कर इनको गिरफ्तार किया।
जेल में भारतीय बंदियों के साथ दुर्व्यवहार का विरोध किया,
भारतीय बंदियों के समर्थन में भूख हड़ताल किया।
सरकार को बंदियों के साथ मानवीय व्यवहार करने पर विवश किया,
सरकार ने इनको अम्बाला जेल में स्थानांतरित किया।
सरकार ने इनको सशर्त रिहा करने का प्रस्ताव दिया,
इस राष्ट्रभक्त ने सरकारी आदेश मानने से इंकार किया।
राष्ट्रीय नेताओं के हस्तक्षेप से इन्हें रिहा किया।
भूमिगत रहकर आंदोलन का नेतृत्व किया,
कांग्रेस पार्टी ने भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया।
अंग्रेजी शासन ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को गिरफ्तार किया।
वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति में आंदोलन का अरूणा आसफ अली ने नेतृत्व किया,
मुंबई के गोवरिया टेंक मैदान में विशाल रैली को सम्बोधित किया।
इसी मैदान में भारतीय ध्वज फहराकर देशभक्त होने का परिचय दिया,
अंग्रेजी शासन की गोलियों का डटकर मुकाबला किया।
आंदोलन की रानी और महान युद्ध महिला का उपनाम अर्जित किया।
समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के साथ मिलकर इंकलाब पत्रिका का सम्पादन किया,
कांग्रेस पार्टी की जनविरोधी नीतियों का विरोध किया।
कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दिया,
सर्वोदय नेता जयप्रकाश नारायण के साथ मिलकर सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया,
नीतिगत विरोध के चलते सोशलिस्ट पार्टी को अलविदा कहा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में प्रवेश लिया,
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया।
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया वूमेन को स्थापित किया,
एटक के उपाध्यक्ष पद का दायित्व वहन किया।
कांग्रेस पार्टी में फिर शामिल होने का निर्णय लिया,
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की थामी कमान,
प्रदेश इकाई की बनी प्रधान।
दिल्ली की पहली महापौर होने का पाया मान,
गोवा मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भाग लिया
साहित्य क्षेत्र में सराहनीय योगदान दिया
शिव प्रकाशन हाउस को स्थापित किया
पैट्रियट और लिंक पत्रिका का सम्पादन किया,
एक पुस्तक आइडिया आफ द नेशन का लेखन किया।
जीवन में प्राप्त किए अनेक पुरस्कार,
भारत सरकार का प्रतिष्ठित पद्म विभूषण पुरस्कार
भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न पुरस्कार
अंतरराष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार, जवाहरलाल नेहरू सद्भावना पुरस्कार
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
सरकार ने इनकी सेवाओं का सम्मान किया
इनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया
दिल्ली की एक सड़क का इनके नाम पर नामकरण किया
सरकारी अस्पताल का इनके नाम पर नामकरण किया
हे भारत नंदिनी आपको प्रणाम
आपकी उपलब्धियों को राष्ट्र का सलाम
हर भारतीय इनकी सेवाओं का कद्रदान
भारतीय इतिहास में सदैव स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा आपका यशस्वी नाम।
(भारत की महान राष्ट्रवादी नेता, स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी अरुणा आसफ अली पर अशोक शर्मा वशिष्ठ की काव्यात्मक प्रस्तुति।)