खेलो इंडिया यूथ गेम्सः गटका में पंजाब की बादशाहत

मेजबान बिहार के खिलाड़ियों ने जीते नौ पदक
खेलपथ संवाद
बोधगया। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बुधवार का दिन गटका के लिए ऐतिहासिक रहा। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के चौथे दिन बोधगया के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट के ओपन ग्राउंड में खेली गई गतका स्पर्धा में बिहार के खिलाड़ियों ने नौ पदक जीते। गतका में प्रदेश की अंशु ने रजत, आकाश कुमार शर्मा, सक्षम सुजीत पांडेय, सुशांत कुमार और आनंद सगूड कांस्य, जबकि बालिका वर्ग में कोमल जैन, अदिती राज, अंशिका, अनन्या ने कांस्य पदक जीता।
इनके कोच जसबीर सिंह, बलराज सिंह और सुरज कुमार शर्मा है। यह गतका में बिहार का खेलो इंडिया के किसी भी संस्करण में सबसे बेहतर प्रदर्शन है। बोधगया के आईआईएम कैंपस में इस पारंपरिक खेल की शुरुआत शांत माहौल में हुई। आधे घंटे के भीतर जब बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे दर्शक बनकर पहुंचे तो माहौल जोश से भर गया। इस खेल में खिलाड़ी लकड़ी की छड़ी (जिसे सोटी कहते हैं) और ढाल (फर्री) का उपयोग करते हैं और अधिकतम अंक अर्जित करने की कोशिश करते हैं।
हर मुकाबला दर्शकों के सामने जोश के साथ लड़ा गया। प्रतियोगिता के बाद यह साफ था कि गटका (जो एक पारंपरिक युद्धकला है) को अब नया जोश और नया जीवन मिल रहा है। इस दिन की ऊर्जा ने इस खेल के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदें जगा दी हैं।जब महाराष्ट्र की कोच आरती चौधरी से पूछा गया कि यह खेल महाराष्ट्र में इतनी तेजी से कैसे लोकप्रिय हुआ, तो उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में गटका का एक अपना रूप है जिसे मरदानी कहा जाता है। नियम अलग होते हैं, लेकिन बहुत सी समानताएं भी हैं। असल में, हर क्षेत्र में इस तरह के पारंपरिक खेल होते हैं, बस नाम अलग होते हैं।
कोच आरती चौधरी मानती हैं कि भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन ने गटका और अन्य पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। बिहार के एक मिडिल स्कूल के शिक्षक रवि रोशन अपने छात्रों को इस आयोजन में भाग लेने के लिए लाए ताकि वे पारंपरिक खेलों से जुड़ सकें। उन्होंने कहा, बच्चे यहां दो-तीन दिन से हैं और अब उनमें गटका और मल्लखंभ जैसे खेलों को अपनाने की इच्छा दिख रही है।
रवि रोशन को उम्मीद है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेज़बानी से बिहार एक प्रमुख खेल राज्य बनेगा। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब बिहार खेलो इंडिया की मेज़बानी कर रहा है। मुझे लगता है कि इससे यहां के खेलों को दीर्घकालिक फायदा होगा। मुझे उम्मीद है कि बिहार गटका में पदक जरूर जीतेगा।
कक्षा 8 की छात्रा ज़ैनब परवीन ने इस प्रभाव को एक वाक्य में समेटा, गटका देखने के बाद मेरा भी मन कर रहा है कि मैं भी लकड़ी की सोटी उठाऊं और इस खेल में हिस्सा लूं। जहां शिक्षक सिर्फ एक पदक की उम्मीद कर रहे थे, बिहार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 5 पदक जीते जिसमें 1 रजत और 4 कांस्य शामिल हैं।
टीम फर्री सोटी बालिका और बालक वर्ग में बिहार ने कांस्य जीता। सिंगल सोटी बालिका वर्ग में अंशु ने रजत पदक दिलाया। फर्री सोटी व्यक्तिगत बालक और बालिका वर्ग में आकाश कुमार शर्मा और कोमल जैन ने कांस्य पदक हासिल किए। यह प्रदर्शन बिहार को खेल के क्षेत्र में आगे ले जाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
गटका में पदक विजेता: टीम फर्री सोटी (बालिका): स्वर्ण: झारखंड, रजत: महाराष्ट्र, कांस्य: बिहार और मध्य प्रदेश। टीम फर्री सोटी (बालक): स्वर्ण: चंडीगढ़, रजत: पंजाब, कांस्य: झारखंड और बिहार। सिंगल सोटी व्यक्तिगत (बालक): स्वर्ण: गुरसेवक सिंह (पंजाब), रजत: अशदीप सिंह (पंजाब), कांस्य: गगनदीप सिंह (दिल्ली), मंदीप सिंह (हरियाणा)। सिंगल सोटी व्यक्तिगत (बालिका): स्वर्ण: तमन्ना (पंजाब), रजत: अंशु (बिहार), कांस्य: अर्शप्रीत कौर सग्गू (मध्य प्रदेश), अवनीत कौर (पंजाब)। फर्री सोटी व्यक्तिगत (बालक): स्वर्ण: भूपिंदरजीत सिंह (चंडीगढ़), रजत: जगदीप सिंह (पंजाब), कांस्य: अमितोज सिंह डासन (छत्तीसगढ़), आकाश कुमार शर्मा (बिहार)। फर्री सोटी व्यक्तिगत (बालिका): स्वर्ण: जसमीत कौर (दिल्ली), रजत: जशनदीप कौर (चंडीगढ़), कांस्य: कोमल जैन (बिहार), सोनू कौर (पंजाब)।