जी.एल. बजाज में संदीपनि अवॉर्ड से नवाजे गए प्रबुद्ध शिक्षक

नई शिक्षा नीति आधारित एसटीईएम शिक्षा पर साझा किए अनुभव

मथुरा। तकनीक दुनिया को बहुत तेजी से बदल रही है। छात्र-छात्राओं द्वारा आज अर्जित ज्ञान एक साल बाद उतना उपयोगी नहीं रह सकता। नौकरी का क्षेत्र भी बहुत तेजी से स्वचालित होता जा रहा है। असुरक्षाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में यदि हमें आगे बढ़ना है तो बदलाव के अनुरूप अपना कौशल विकसित करना होगा। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, मथुरा द्वारा आयोजित शिक्षकों के संदीपनि अवॉर्ड सम्मान समारोह में शिक्षाविदों ने मथुरा जनपद के विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं को बताईं।

शिक्षक सम्मान समारोह का शुभारम्भ डॉ. पी.के. सारस्वत, डॉ. नीता सिंह, डॉ. प्रशांत यादव, डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया, शशांक तिवारी एवं निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने किया। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने समारोह में पधारे सभी प्राचार्यों, शिक्षकों और गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। प्रबंध संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. शशि शेखर ने शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति-2020 आधारित एसटीईएम शिक्षा प्रणाली भारत के शैक्षिक भविष्य को नया आयाम दे रही है। उन्होंने बताया कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग तथा गणित के क्षेत्रों को मिलाकर बना यह शैक्षिक दृष्टिकोण छात्र-छात्राओं को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने तथा उनके कौशल को बढ़ाने में मददगार है।

संदीपनि अवॉर्ड समारोह में वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति आधारित एसटीईएम शिक्षा पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज ऐसा शिक्षण दृष्टिकोण विकसित करने की जरूरत है जो रटने की आदत से परे हो। छात्र-छात्राओं में आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल के विकास को प्रोत्साहित करना आज के समय में बहुत जरूरी है। एसटीईएम शिक्षा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्रों को एकीकृत शिक्षण रणनीति से जोड़ती है। वक्ताओं ने बताया कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान जैसे विज्ञान विषयों के माध्यम से छात्र-छात्राएं प्रश्न बनाना और पूछताछ के माध्यम से दुनिया को समझना सीखते हैं। वे अपने अवलोकन कौशल को विकसित करने के लिए कैसे और क्यों जैसे प्रश्न भी पूछते हैं।

विषय विशेषज्ञों ने बताया कि प्रौद्योगिकी तेजी से शिक्षा को पीछे छोड़ रही है। छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई के लिए एआई और कोडिंग का उपयोग करने के लिए बाध्य हैं। प्रौद्योगिकी कम्प्यूटेशनल सोच का परिचय देती है और उन्हें आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने के लिए नए उपकरण बनाने को प्रोत्साहित करती है। इसी तरह इंजीनियरिंग डिजाइन को समस्या-समाधान सिद्धांतों के साथ जोड़ती है। यह छात्र-छात्राओं को आलोचनात्मक सोच और टीमवर्क का महत्व सिखाती है। यह नवाचार को प्रोत्साहित करती है।

अंकशास्त्र की बात करें तो जीवन के हर क्षेत्र में गणित की जरूरत होती है। अंकशास्त्र छात्र-छात्राओं को विश्लेषणात्मक और मात्रात्मक कौशल प्रदान करता है। तर्क और तर्क की भाषा गणित है, जो छात्रों को डेटा के आधार पर निर्णय लेने में सहायता करती है। अंत में संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने अपने-अपने क्षेत्र के विषय विशेषज्ञों की शिक्षण सेवा को सराहते हुए उन्हें संदीपनि अवॉर्ड से सम्मानित किया। संदीपनि अवॉर्ड समारोह में डॉ. शिखा गोविल, डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, डॉ. साम्भवी, सोनिया चौधरी, विवेक मिश्रा, आदित्य गुप्ता, डॉ. सुरजीत सिंह आदि उपस्थित रहे। डॉ. भोले सिंह ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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