बारहवीं बाजी जीत लिरेन ने की गुकेश से बराबरी
खेलपथ संवाद
सिंगापुर। भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश अपनी जीत की लय को बरकरार नहीं रख सके और उन्हें गत चैम्पियन चीन के डिंग लिरेन के खिलाफ विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के 12वें दौर में हार का सामना करना पड़ा। गुकेश की हार से एक बार फिर दोनों खिलाड़ियों के बीच स्कोर बराबर हो गया है और फिलहाल दोनों 6-6 अंक की बराबरी पर हैं।
18 वर्षीय गुकेश ने रविवार को 11वें दौर में जीत दर्ज कर एक अंक की बढ़त हासिल की थी, लेकिन लिरेन वापसी करने में सफल रहे। गुकेश और लिरेन के बीच लगातार सात ड्रॉ के बाद 11वें दौर में नतीजा निकला था, लेकिन लिरेन ने सोमवार को पूरा जोर लगाया और भारतीय ग्रैंडमास्टर के खिलाफ बढ़त लेने में सफल रहे। गुकेश और लिरेन के बीच 14 दौर के क्लासिकल प्रारूप का अब दो दौर का मुकाबला शेष है। दोनों ही खिलाड़ी खिताब जीतने से अब 1.5 अंक दूर हैं। अगर 14 दौर समाप्त होने के बाद मुकाबला ड्रॉ रहा तो विजेता का फैसला फास्टर टाइम कंट्रोल के जरिये होगा।
गुकेश और लिरेन के बीच अगले दो मुकाबले बुधवार और गुरुवार को खेले जाएंगे, जबकि मंगलवार को आराम दिया जाएगा। लिरेन ने इस मैच की शुरुआती बाजी को अपने नाम किया था, जबकि गुकेश तीसरी बाजी के विजेता बने थे। इसके आठ मुकाबले बराबरी पर छूटे।
यह बाजी पिछली विश्व चैम्पियनशिप का दोहराव थी। बीते वर्ष रूस के इयन नेपोमनियाच्ची के खिलाफ लिरेन 11वीं बाजी में यहां की तरह पिछड़े हुए थे। उन्होंने उस दौरान भी 12वीं बाजी में जीत हासिल की और यहां भी वह गुकेश को हराकर मुकाबला बराबरी पर ले आए। पूरे टूर्नामेंट में यह ऐसी बाजी रही, जिसमें गुकेश ने पूरी तरह आत्मसमर्पण किया। लिरेन के खेल के आगे पूरी बाजी में उन्हें कोई मौका नहीं मिला। चीनी प्रतिद्वंद्वी ने हैरानीजनक तरीके से इंग्लिश ओपनिंग अपनाई, जिसका गुकेश ने जवाब रिवर्स बेनोनी रक्षण से दिया। लिरेन पहले भी इस टूर्नामेंट में इंग्लिश ओपनिंग का सहारा ले चुके हैं। लिरेन ने जीत के बाद कहा भी कि पूरे मैच में उन्होंने गुकेश पर दबाव बनाकर रखा, आज मैंने कोई गलती नहीं की।
गुकेश ने मध्य खेल में लिरेन पर जवाबी हमले की चालें नहीं चलीं। गुकेश ने 17वीं और 22वीं चाल में भारी गलती की, जिससे लिरेन का पलड़ा भारी हो गया। 27वीं चाल के बाद यह तय हो गया कि मुकाबले को लिरेन ही जीतेंगे। 39वीं चाल के बाद गुकेश ने मुकाबला छोड़ दिया। गुकेश की उम्मीदें अब 13वीं बाजी पर टिकी हैं। यहां वह सफेद मोहरों से लिरेन पर किस तरह दबाव बनाते हैं, यह महत्वपूर्ण रहेगा। लिरेन के प्रदर्शन ने साबित कर दिया है कि उन्हें हराना आसान नहीं है। बीते वर्ष नेपोमनियाच्ची के खिलाफ उन्होंने तीन बार पिछड़ने के बाद वापसी की और बाद में विश्व चैंपियन बने।