आस्ट्रेलिया में नीतीश रेड्डी के आंकड़े कर रहे सभी को प्रभावित

क्या भारत को मिल गया हार्दिक पांड्या का विकल्प?
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत की 10 विकेट से हार के साथ एडिलेड टेस्ट समाप्त हो गया। रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया की यह लगातार चौथी शिकस्त है। अब भारत की नजर तीसरे टेस्ट पर है जो 14 दिसम्बर से ब्रिस्बेन में शुरू होगा। पिछले दो टेस्ट मैचों में भारतीय टीम के लिए नीतीश कुमार रेड्डी ने दमदार प्रदर्शन किया है। 
पिछली चार पारियों में से तीन पारियों में वह भारत के लिए शीर्ष स्कोरर रहे हैं। उनके मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत को टेस्ट क्रिकेट में हार्दिक पांड्या का विकल्प मिल गया है। पहले बात करते हैं हार्दिक पांड्या की। 31 वर्षीय ऑलराउंडर ने भारत के लिए अपना आखिरी टेस्ट मुकाबला 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था, तब से वह इस प्रारूप में खेलते नहीं दिखे हैं। भारतीय टीम पिछले छह वर्षों से एक ऐसे तेज गेंदबाज ऑलराउंडर की तलाश में है जो टेस्ट क्रिकेट में उनकी कमी पूरी कर सके। दाएं हथ के इस गेंदबाज ने भारत के लिए खेले 11 टेस्ट मैचों में एक शतक और चार अर्धशतकों की सहायता से 532 रन बनाए हैं। उनका औसत 31.29 का रहा है। अब हार्दिक टी20 और वनडे प्रारूप में ही खेलते दिखते हैं।
वहीं, नीतीश रेड्डी को हाल ही में भारत के लिए लाल गेंद प्रारूप में डेब्यू का मौका मिला। उन्होंने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और अपने प्रदर्शन से अलग पहचान स्थापित की। पिछली चार पारियों में से तीन में वह भारत की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में इस 21 वर्षीय बल्लेबाज ने 41 और 38* रन बनाए। वहीं, एडिलेड में खेले गए दूसरे मुकाबले में उन्होंने दोनों पारियों में 42-42 रन बनाए। दूसरे मुकाबले की पहली पारी में वह एक विकेट भी अपने नाम करने में कामयाब रहे। 
नीतीश रेड्डी अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा चुके हैं। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में छह छक्के लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। किसी भी अन्य भारतीय खिलाड़ी ने ऑस्ट्रेलिया में किसी तेज गेंदबाज के खिलाफ तीन से ज्यादा छक्के नहीं लगाए हैं। इसके अलावा वह नंबर सात या उससे नीचे बल्लेबाजी करते हुए हर पारी में सर्वाधिक स्कोर बनाने वाले तीसरे भारतीय बन गए। उनसे पहले यह कारनामा चंदू बोर्डे, पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और स्पिन ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन ने किया था। 
नीतीश शुरुआती दिनों में इस खेल के प्रति गंभीर नहीं थे, लेकिन एक दिन उन्होंने आर्थिक तंगी से जूझ रहे अपने पिता की आंखों में आंसू देखे। बस इसके बाद उन्होंने कुछ करने की ठानते हुए इस खेल को अपना लिया। उन्होंने क्रिकेटर बनने के लिए खूब मेहनत की। उनकी यह मेहनत आईपीएल में रंग लाई और उन्हें पर्थ में भारत के लिए पहला टेस्ट खेलने का मौका मिला।
बीसीसीआई ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था जिसमें नीतीश ने बताया कि, अगर ईमानदारी से कहूं तो जब वह छोटे थे तो क्रिकेट के प्रति गंभीर नहीं थे। पिता ने मेरे लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। मेरी सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा त्याग छुपा है। हम लोग उस दौरान आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। मुझे लगा, मैं ऐसा नहीं हो सकता हूं, मेरे पिता त्याग कर रहे हैं और मैं सिर्फ मजे के लिए क्रिकेट खेल रहा हूं। उस समय मैं क्रिकेट के प्रति गंभीर हुआ और खूब मेहनत की। इसके बाद मैं सफलता की सीढि़यां चढ़ता गया। एक मध्यम वर्गीय परिवार से होने के नाते, मुझे गर्व है कि मैं अपने पिता को खुश कर पाया। मैंने जब अपनी पहली जर्सी अपने पिता को दी तो उनके चेहरे पर खुशी देखते बनती थी।

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