डिजिटल युग में गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण बड़ी चुनौती
जीएल बजाज में ई-कॉमर्स में अवसर और चुनौतियां विषय पर सेमिनार आयोजित
मथुरा। डिजिटल युग के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में उद्यमिता ने नए आयाम हासिल किए हैं। डिजिटल प्रगति, कनेक्टिविटी और विकसित होते उपभोक्ता व्यवहारों के अभिसरण ने जहां उद्यमियों को उद्यमों की अवधारणा बनाने, उन्हें शुरू करने तथा विकसित करने के तरीकों को नया रूप दिया है वहीं गोपनीयता तथा व्यक्तिगत डेटा संरक्षण बड़ी चुनौती भी हैं। यह बातें मंगलवार को जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) द्वारा डिजिटल युग में उद्यमिता: ई-कॉमर्स में अवसर और चुनौतियां विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता गियरलॉन्च के ग्लोबल मार्केटिंग मैनेजर मधुसूदन चौहान ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
श्री चौहान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि डिजिटल युग में उद्यमिता की विशेषता नवाचार, चपलता और प्रभावशाली समाधान बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की निरंतर खोज है। डिजिटल युग में स्मार्टफोन का प्रसार, व्यापक इंटरनेट एक्सेस, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ब्लॉकचेन तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी परिवर्तनकारी तकनीकों के आगमन ने व्यवसायों के संचालन के तरीके में क्रांति ला दी है। उद्यमी इस तकनीकी प्रगति का उपयोग उद्योगों के संचालन को सुव्यवस्थित करने, ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने तथा डिजिटल रूप से जुड़ी दुनिया की मांगों को पूरा करने वाले अभिनव उत्पादों या सेवाएं बनाने के लिए कर रहे हैं।
मुख्य वक्ता चौहान ने बताया कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और डिजिटल मार्केटप्लेस के उदय ने महत्वाकांक्षी उद्यमियों के लिए प्रवेश की बाधाओं को काफी हद तक कम कर दिया है। ऑनलाइन मार्केटप्लेस वैश्विक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे स्टार्टअप को भौतिक स्टोरफ्रंट की आवश्यकता के बिना विशाल ग्राहक आधार तक पहुंचने में मदद मिलती है। इन प्लेटफॉर्मों की पहुंच उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने तथा बढ़ाने में सक्षम बनाती है। श्री चौहान ने बताया कि डिजिटल युग ने नवाचार और व्यवधान की संस्कृति को बढ़ावा दिया है, जिससे उद्यमियों को पारम्परिक व्यवसाय मॉडल को चुनौती देने में सक्षम बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि उभरती हुई तकनीकों को अपनाने में स्टार्टअप्स की चपलता उन्हें तेज़ी से आगे बढ़ने तथा बदलते बाजार की गतिशीलता के अनुकूल होने की अनुमति देती है। श्री चौहान ने बताया कि अनेक अवसरों के बावजूद डिजिटल युग में उद्यमिता अपनी चुनौतियों से रहित नहीं है। साइबर सुरक्षा खतरे, डेटा गोपनीयता सम्बन्धी चिन्ताएं और तकनीकी प्रगति की तेज गति उद्यमियों के लिए चुनौतियां पेश करती हैं। डिजिटल विनियमों की जटिलताओं से निपटना, डेटा अखंडता बनाए रखना तथा उपभोक्ता की बदलती प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाना निरंतर अनुकूलन और डिजिटल परिदृश्य की गहरी समझ से ही सम्भव है।
सेमिनार के बाद छात्र-छात्राओं के बीच उद्यमी भावना को बढ़ावा देने तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था में बढ़ते अवसरों का अन्वेषण करने के लिए एक बहस प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपने ज्ञान और तर्कशक्ति का प्रदर्शन किया। अंत में विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। सेमिनार में सोनिया चौधरी, डॉ. पुष्पेंद्र सिंह, बृजेश कुमार उमर आदि ने भी अपने विचार साझा किए। डॉ. शशि शेखर ने सभी का आभार माना।