कार्यकारी परिषद के सदस्यों पर आईओए अध्यक्ष का पलटवार
पीटी ऊषा ने मनमानी तरीके से संघ चलाने का आरोप लगाया
कहा- कार्यकारी परिषद के कुछ सदस्यों का ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) में विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है और अब अध्यक्ष पीटी ऊषा ने कार्यकारी परिषद में बगावत करने वाले सदस्यों पर पलटवार किया है। ऊषा ने आईओए को अपने तरीके से चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विरोध करने वाले सदस्यों का मकसद देश के खेल की भलाई करने की जगह खुद के फायदे और मौद्रिक लाभ लेने पर है। गौरतलब यह कि कार्यकारी परिषद के 12 सदस्यों ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के सीनियर अधिकारी जेरोम पोइवे को पत्र लिखकर ऊषा पर तानाशाही से काम करने का आरोप लगाया था। उन्होने कार्यकारी परिषद की नोकझोंक से भरी बैठक के दौरान ऊषा द्वारा आईओए सीईओ के पद से रघुराम अय्यर को हटाने की उनकी मांग को खारिज करने के बाद आईओसी को पत्र लिखा।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय एच पटेल, उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी देव और गगन नारंग, कोषाध्यक्ष सहदेव यादव, संयुक्त सचिव अलकनंदा अशोक और कल्याण चौबे, अन्य कार्यकारी परिषद सदस्य अमिताभ शर्मा, भूपेंद्र सिंह बाजवा, रोहित राजपाल, डोला बनर्जी, हरपाल सिंह और योगेश्वर दत्त ने पत्र पर हस्ताक्षर किए। कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने पोइवे को लिखा कि वे आईओए के सीईओ के पद के लिए फिर से विज्ञापन देंगे।
'कार्यकारी परिषद के कुछ सदस्यों का ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध'
ऊषा ने कहा, इनमें से कुछ कार्यकारी परिषद सदस्यों का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद संदिग्ध है। इसमें लैंगिक भेदभाव के आरोप और यहां तक कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले भी दर्ज हैं। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एक खिलाड़ी के रूप में अपने 45 साल लंबे करियर में मैंने कभी ऐसे लोगों का सामना नहीं किया है जो हमारे खिलाड़ियों की आकांक्षाओं और हमारे देश के खेल भविष्य के प्रति इतने उदासीन हैं। इन व्यक्तियों का पूरा ध्यान खेल प्रशासन में उनकी लंबे समय तक उपस्थिति और नियंत्रण के माध्यम से खुद के फायदे और मौद्रिक लाभ लेने पर रहता है।
उषा ने कार्यकारी परिषद के इन 12 सदस्यों द्वारा लगाए गए आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और झूठा करार देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल मेरे नेतृत्व और भारतीय खेलों की बेहतरी के लिए लगन से काम करने वालों के प्रयासों को बदनाम करना है। उन्होंने कहा, इन सदस्यों द्वारा किए गए सबसे गंभीर दावों में से एक आईओए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में रघुराम अय्यर की नियुक्ति पर सवाल उठाना है। यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि जनवरी 2024 में की गई उनकी नियुक्ति आईओए संविधान के अनुसार सख्ती से की गई थी।