आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा सीईओ मामले में झुकने को तैयार नहीं
कार्यकारी परिषद की बैठक में रघुराम अय्यर को लेकर गर्म रहा माहौल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। सीईओ पद पर हुई रघुराम अय्यर की नियुक्ति मामले में भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी ऊषा कतई झुकने को तैयार नहीं हैं। 26 सितम्बर को आईओए की कार्यकारी परिषद की बैठक में ऊषा की अन्य सदस्यों से बहस हो गई। संघ के अधिकांश सदस्यों ने रघुराम अय्यर की सीईओ के रूप में नियुक्ति का विरोध किया जबकि पूर्व महान खिलाड़ी ने उन्हें हटाने की मांग को खारिज कर दिया।
पीटी ऊषा द्वारा बुलाई गई बैठक का मुख्य एजेंडा पांच जनवरी को सीईओ के रूप में अय्यर की नियुक्ति का अनुमोदन करना था, लेकिन इसे बीच में ही समाप्त करना पड़ा। बैठक के बाद ऊषा ने कहा- वे पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू करना चाहते हैं, वे नए सिरे से विज्ञापन देना चाहते हैं। यह ऐसा है जैसे कह रहे हों कि हमें यह व्यक्ति नहीं चाहिए और हम प्रक्रिया को फिर से शुरू करें।
अन्य सदस्यों को चेतावनी देते हुए आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा ने कहा- इस प्रक्रिया (सीईओ की नियुक्ति) में दो साल लग गए और अब वे इसे फिर से शुरू करना चाहते हैं। इसके (आईओसी से) गंभीर नतीजे होंगे। यह भारत के 2036 ओलम्पिक के लिए बोली लगाने और मेजबानी करने की संभावनाओं को खतरे में डाल सकता है। मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती। मैंने आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति) को यह बता दिया है। मैं हार मानने वाली नहीं हूं, मैं आईओए को साफ किए बिना कहीं नहीं जा रही हूं।
10 सदस्यों ने जारी किया बयान
आईओसी के निदेशक जिरोम पोइवी भी ऑनलाइन बैठक में शामिल रहे। ऊषा की चेतावनियों के बावजूद बैठक में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित कार्यकारी परिषद के 10 सदस्यों ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि उन्होंने सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। बयान में कहा गया- सीईओ के रूप में अय्यर के अनुमोदन को मंजूरी नहीं दी गई। इसके अलावा यह निर्णय लिया गया कि सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया को नई शर्तों के साथ फिर से शुरू किया जाए।
भविष्य में और बढ़ेगा टकराव
भारतीय ओलम्पिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा का गुरुवार को संस्था की कार्यकारी परिषद के साथ एक और तीखा टकराव हुआ, क्योंकि अधिकांश सदस्यों ने रघुराम अय्यर की सीईओ के रूप में नियुक्ति का विरोध करने के अपने फैसले पर पीछे हटने से इनकार कर दिया। 5 जनवरी को अय्यर की नियुक्ति की पुष्टि करने के लिए ऊषा द्वारा बुलाई गई बैठक का मुख्य एजेंडा दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर अड़े रहने के कारण गतिरोध में समाप्त हो गया। आने वाले दिनों में विवाद शायद और बढ़ जाएगा।
आईओसी प्रतिनिधि ने पूरे मामले को "आईओए का आंतरिक मामला" बताया और कहा कि इस मुद्दे पर उनका कोई विशेष विचार या हस्तक्षेप नहीं है। आईओए में शामिल होने से पहले रघुराम अय्यर आईपीएल टीमों राजस्थान रॉयल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए कार्यकारी अधिकारी (ईओ) के रूप में काम कर चुके हैं। वे फुटबॉल की इंडियन सुपर लीग और अल्टीमेट टेबल टेनिस के प्रशासन में भी रहे हैं।
विद्रोही कार्यकारी समिति के सदस्यों की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "सदस्यों ने आईओसी निदेशक की उपस्थिति में कहा कि सीईओ के विज्ञापन की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए, जहां यह अनुमान लगाया गया कि नियुक्ति अगले दो महीनों में पूरी हो सकती है।"
बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय एच. पटेल, उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी देव और गगन नारंग, कोषाध्यक्ष सहदेव यादव, संयुक्त सचिव अलकनंदा अशोक और अन्य कार्यकारी परिषद सदस्य अमिताभ शर्मा, भूपेंद्र सिंह बाजवा, रोहित राजपाल, डोला बनर्जी और योगेश्वर दत्त शारीरिक रूप से उपस्थित थे। संयुक्त सचिव कल्याण चौबे और कार्यकारी परिषद सदस्य हरपाल सिंह ने ऑनलाइन भाग लिया।
सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि यद्यपि "सीईओ आवश्यक है और उसकी नियुक्ति की जानी चाहिए", तथापि उन्होंने सामूहिक रूप से इस पद के लिए रघुराम अय्यर के नामांकन के खिलाफ मतदान किया। “…एजेंडे को वोट के लिए रखा जाना था, जहां 10 भौतिक सदस्यों और 2 सदस्यों ने जो ऑनलाइन शामिल हुए, ने एजेंडे पर अपनी असहमति व्यक्त की और सीईओ के अनुमोदन के खिलाफ 12 वोट पड़े।” बहुमत वाले कार्यकारी सदस्यों के बयान में कहा गया है, “…कार्यवाहक सीईओ कल्याण चौबे, जो आईओए के संयुक्त सचिव हैं, संविधान में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कर्तव्यों का निर्वहन करना जारी रखेंगे।”
उधर, ऊषा ने कहा कि कार्यकारी परिषद के सदस्य अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गए हैं, क्योंकि जनवरी की बैठक में उन्होंने सीईओ की नियुक्ति पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा, "जनवरी में हुई कार्यकारी समिति की बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी। मैंने उनमें से हर एक से पूछा कि क्या वे अय्यर को सीईओ के रूप में नियुक्त करने से सहमत हैं या नहीं। सभी ने कहा कि अय्यर अच्छे हैं और उनके बारे में सब कुछ ठीक है। केवल उनके वेतन पर बातचीत करनी होगी।"
"मैंने उनसे पूछा कि उनकी सैलरी की निचली दर (सीमा) क्या है और उच्चतर सीमा क्या है। उस (वेतन) का उन्होंने उल्लेख नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद उनकी (अय्यर की) नियुक्ति हो गई और मैंने आईओसी तथा ओसीए को इसकी जानकारी दी और सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।’’ विवाद का कारण अय्यर को 20 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन तथा अन्य सुविधाएं मिलना है। ऊषा ने बताया कि गुरुवार की बैठक में उन्होंने रघुराम अय्यर के वेतन पर फिर से बातचीत करने पर सहमति जताई थी, लेकिन कार्यकारी परिषद के 12 सदस्य नियुक्ति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने पर अड़े हुए थे। उन्होंने आगे कहा कि यह नया गतिरोध भारत के 2036 ओलम्पिक की मेज़बानी करने के अवसर को पटरी से उतार सकता है।
उन्होंने पूछा, "सीईओ की नियुक्ति के बाद ही फ्यूचर होस्ट कमीशन हमारे साथ बातचीत करने के लिए सहमत हुआ, अन्यथा वे इसके लिए सहमत नहीं होते। सीईओ को बातचीत का नेतृत्व करना होगा, हमें पेशेवर रवैया दिखाना होगा, अन्यथा हम अपनी बोली कैसे पेश कर पाएंगे?" ऊषा ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि आईओसी पेरिस ओलम्पिक से पहले भी कठोर कदम उठा सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, "मैं वहां थी, इसलिए आईओसी दो साल से इंतजार कर रहा था। यह (आईओसी कार्रवाई) पेरिस ओलंपिक से पहले हो सकती थी, लेकिन उन्होंने इंतजार किया।"
पीटी ऊषा ने कहा, ‘‘अय्यर समन्वय समिति में थे, आईओए अध्यक्ष नहीं थे, यही कारण है कि हम भारतीय ध्वज तले प्रतिस्पर्धा कर सके, आईओसी ध्वज तले नहीं।’’ऊषा ने कहा कि रघुराम अय्यर और उनके निजी सहायक अजय नारंग - जिनकी नियुक्ति कार्यकारी परिषद के अधिकांश सदस्यों द्वारा "रद्द" कर दी गई थी - दोनों को उनकी नियुक्ति के बाद से वेतन नहीं मिला है।