अर्जुन अवॉर्ड लेने के बाद ‘गुरु भूमि’ सोनीपत पहुंचीं शीतल देवी

बिन बाजुओं के भी वादियों को बाहों में लेने की चाहत
खेलपथ संवाद
सोनीपत।
उनकी बाजुएं नहीं हैं, लेकिन हौसला फौलादी है। कमाल की तीरंदाज हैं। एकमात्र अंतरराष्ट्रीय ‘आर्मलेस आर्चर’ शीतल देवी अपने हौसलों के चलते 16 वर्ष की उम्र में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी हैं। राष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त कर सीधे अपनी ‘गुरु भूमि’ हरियाणा के सोनीपत पहुंचीं और अपने अनुभव साझा करते हुए कहती हैं, ‘हरियाणा की तर्ज पर अगर जम्मू-कश्मीर में भी खेल सुविधाएं मिलें तो वहां का युवा अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश का नाम खूब रोशन करेगा। जम्मू-कश्मीर के खेल इतिहास में पहली बार किसी खिलाड़ी को मिला अर्जुन अवॉर्ड वहां के युवाओं को एक नयी राह दिखाने का काम करेगा। युवाओं को ऊर्जा देगा।’
विशेष बातचीत में शीतल ने कहा, ‘सर्वप्रथम यह अवॉर्ड मैं अपने कोच कुलदीप वेदवान और फिर विकास की दौड़ में पीछे छूट गये घाटी के युवाओं को समर्पित करती हूं।’ शीतल ने कहा कि मात्र सवा साल पहले खेल करिअर शुरू करते समय उम्मीद नहीं थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक मेडल मिलेंगे और अब देश का अति प्रतिष्ठित एवं जम्मू-कश्मीर के लिए पहला अर्जुन अवॉर्ड उनके नाम होगा। वह सारा श्रेय माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड, कटरा के तीरंदाजी अकादमी में खेल की शुरुआत कराने वाले तीरंदाज कोच कुलदीप वेदवान और उनकी पत्नी कोच अभिलाषा चौधरी को देती हैं। उन्होंने एक बार फिर उस खास डिवाइस का जिक्र किया जिसे कोच ने कस्टमाइज किया। इसके बाद वह पैरों, कंधों और मुंह के सहारे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर लक्ष्य बेधती चली गईं। अब लक्ष्य पेरिस पैरालम्पिक-2024 में देश के लिए कई गोल्ड मेडल जीतना है। बताते चलें कि पेरिस ओलम्पिक के लिए शीतल देवी क्वालीफाई कर चुकी हैं। शीतल माता श्राइन बोर्ड, कटरा के चेयरमैन एवं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की जमकर तारीफ करते हुए कहती हैं कि उनके प्रयासों से जम्मू-कश्मीर में खेल और खिलाड़ियों के लिए काफी काम हो रहा है।
जम्मू के जिला किश्तवाड़ के छोटे से गांव लोइधर में शक्ति देवी और मान सिंह के घर में 16 साल पहले शीतल देवी फोकोमेलिया नाम की बीमारी के साथ पैदा हुईं। जन्म से ही दोनों बांहें नहीं थीं। बाद में उनकी मुलाकात कोच कुलदीप और उनकी पत्नी कोच अभिलाषा चौधरी से हुई और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। शीतल देवी और उनकी कोच अभिलाषा ने कहा कि खिलाड़ियों के प्रोत्साहन में मीडिया का विशेष किरदार होता है। 

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