मोहम्मद शमी ने किए हैरान करने वाले खुलासे

बड़े भाई के अपमान के बाद छोड़ा उत्तर प्रदेश
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
वनडे विश्व कप 2023 में 24 विकेट लेने के बाद मोहम्मद शमी देश के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटरों की सूची में शामिल हो गए हैं। शमी का करियर उतार चढ़ाव से भरा रहा है और उन्होंने हर मुश्किल से पार पाकर यह मुकाम हासिल किया है। वह आने वाले समय में देश के लिए बेहद अहम गेंदबाज होंगे। पढ़ें कि मोहम्मद शमी ने अपने जीवन पर क्या कहा। 
तेज गेंदबाज होने की वजह से उनका करियर बहुत लम्बा नहीं हो सकता, लेकिन जेम्स एंडरसन से सीख लेकर शमी भी अपना करियर लम्बा कर सकते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में अपनी जिंदगी से जुड़े हैरान करने वाले खुलासे किए हैं, जिन्हें जानकर कोई भी फैन यह उम्मीद कर सकता है कि शमी भी 40 की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल सकते हैं।
शमी ने बताया कि वह हमेशा टीम की जरूरत के हिसाब से गेंदबाजी करने की कोशिश करते हैं। वनडे विश्व कप 2023 में शुरुआती मैच नहीं खेल पाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह शुरुआत से ही खेलेंगे, लेकिन तीन मैच नहीं खेलने के बाद वह थोड़े परेशान हुए थे। हालांकि, इसके बाद उन्हें मौका मिला और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय बनने पर शमी ने कहा कि वह रिकॉर्ड पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। शमी ने यह भी कहा कि गेंद करने के बाद ही आपको पता चलता कि कितना उछाल है और कितनी स्विंग है। इसलिए पहले से पिच देखकर अपना दिमाग क्यों खराब करना।
शमी ने आगे कहा कि वह गांव से आते हैं और वही जीवनशैली पसंद करते हैं। उन्हें ज्यादा दिखावा या शहरी जीवन पसंद नहीं है। अपने क्रिकेटर बनने पर उन्होंने कहा कि उनके पिता और बड़े भाई क्रिकेट खेलते थे। दोनों तेज गेंदबाज थे। इसी वजह से शमी ने भी क्रिकेट खेलना शुरू किया और तेज गेंदबाज ही बने। उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वह क्रिकेट में पूरी तरह डूब गए। शमी ने यह भी कहा कि मैच हमेशा गेंदबाज बनाकर देते हैं। बल्लेबाजी कितनी ही सुर्खियां बटोर लें, लेकिन मैच गेंदबाज ही जिताते हैं।
शमी ने ड्यूक स्कूल के लिए लेदर गेंद से बल्लेबाज के रूप में खेलना शुरू किया था। टेनिस गेंद से होने वाले क्रिकेट में वह विकेटकीपिंग भी कर चुके हैं। हालांकि, तेज गेंदबाजी हमेशा से ही उनकी पहली प्राथमिकता रही है। उन्होंने बड़े भाई को देखकर क्रिकेट खेलना शुरू किया था। उनके बड़े भाई अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन पथरी की वजह से उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा। ऐसे में उन्होंने शमी को आगे बढ़ाया। स्कूल के लिए एक मैच में उनके भाई ने शमी से पारी की शुरुआत कराई और शमी ने 34-35 गेंद में शतक जड़ दिया, जबकि इससे पहले उन्हें लेदर गेंद से खेलने का अनुभव नहीं था। शमी ने इस मैच में 108 रन बनाए थे।
इसके बाद भी वह बड़े भाई की मदद से क्रिकेट खेलते रहे और उनके अंदर क्रिकेटर बनने का शौक जग गया। तब उन्होंने देखा कि स्टेडियम घर से 30 किलोमीटर दूर है। उनके पिता ने गाड़ी देने से मना कर दिया। ऐसे में बस से रोज 60 किलोमीटर का सफर करना मुश्किल काम था। स्टेडियम जाकर उन्होंने पहली बार तकनीकी चीजें सीखीं और आर्मी की तैयारी करने वाले लड़कों के साथ ट्रेनिंग करने लगे। उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार जिम वह रणजी ट्रॉफी खेलने के समय में गए थे।
शमी ने इस बातचीत में बताया कि जब पहले साल यूपी की रणजी टीम में उनका चयन नहीं हुआ तो वह ज्यादा निराश नहीं थे। दूसरे साल भी उन्होंने कोशिश की। 1600 लड़के ट्रायल के लिए आए थे और तीन दिन में चयन करना था। ऐसे में शमी के बड़े भाई मुख्य चयनकर्ता के पास गए और शमी को मौका देने की बात कही। चयनकर्ता ने कहा कि अगर तुम मेरी कुर्सी हिला सकते हो तो तुम्हारे भाई का चयन हो जाएगा। शमी के बड़े भाई ने कहा कि मैं कुर्सी को उल्टा भी कर सकता हूं, लेकिन मुझे वो नहीं चाहिए, अगर दम है तो लेना। चयनकर्ता ने जवाब दिया कि दम वालों का यहां कोई काम नहीं। शमी के भाई ने फॉर्म फाड़ दिया और कहा कि अब हम यूपी के लिए कोशिश नहीं करेंगे।
यूपी छोड़ने का मन बनाने के बाद शमी ने कोच से बात की और उनके कोच ने त्रिपुरा में उनके खेलने का जुगाड़ बनाया। हालांकि, शमी त्रिपुरा के लिए भी नहीं खेल सके। तीन साल बर्बाद करने के बाद कोलकाता में उनके कोच ने एक क्लब में ट्रायल का जुगाड़ बनाया। जब वह ट्रायल देने के लिए गए तो पिच सीमेंट की थी और शमी का लम्बा रनअप पूरा करने के लिए जगह ही नहीं थी। उन्होंने कोच से कहा कि जगह कम है तो कोच ने कहा कि इसी में ट्रायल देना पड़ेगा। उन्होंने 10 गेंद कीं और 3-4 बार बल्लेबाज को आउट कर दिया। इसके बाद खाने के लिए गए तो ब्रेड और चने (घुघनी) मिले। शमी चावल और सब्जी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें यही खाना पड़ा।
शमी 2500 रुपये और पिता का एटीएम कार्ड लेकर कोलकाता गए थे, लेकिन उन्हें कार्ड का उपयोग करना भी नहीं आता था। साथी खिलाड़ियों से पूछने पर उन्हें 700 रुपये का रूम मिला, लेकिन दो दिन तक कोच ने उनके चयन को लेकर जवाब नहीं दिया। तीसरे दिन शमी ने कोच से कहा कि मेरे पास अब एक हजार रुपये ही बचे हैं। ऐसे में क्लब का कप्तान उनसे मिलने आया और कहा कि 99 फीसदी तुम्हारा चयन तय है, लेकिन क्लब के मालिक देखेंगे। इसके बाद ही तुम चुने जाओगे।
तीसरे दिन शमी से कहा गया कि तुम हमारे लिए खेल सकते हो, लेकिन तुम्हें पैसे नहीं दिए जाएंगे। शमी इसके लिए तैयार हो गए, क्योंकि क्लब उनके रहने और खाने का इंतजाम कर रहा था। उनके माता-पिता इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन शमी को खेलना था और मान गए। चार दिन तक उन्हें रहने को घर नहीं मिला। कुछ दिन बाद उन्हें रहने को घर मिल गया। जब खेलने को मिला तो उन्होंने नौ मुकाबलों में 45 विकेट झटके। इसके बाद मैनेजर ने उन्हें 25,000 रुपये दिए और घर जाने के लिए टिकट भी दिया। ये पैसे शमी ने मम्मी को दिए। पापा ने फिर ये पैसे उन्हें लौटा दिए। 16 साल के शमी बैट, गेंद और जूते लेकर आए। इसके बाद उनकी जिंदगी पटरी पर लौट आई। प्रदर्शन बेहतर होता गया और पैसे भी बढ़ते चले गए। 
भारतीय टीम में चयन को लेकर शमी ने बताया कि वह क्लब का मैच खेल रहे थे और तभी मीडिया वाले वहां जुटने लगे। तब शमी ने पूछा कि इतनी भीड़ क्यों है। उनके दोस्त ने बताया कि भारतीय टीम में उनका चयन हो चुका है। अपने पहले वनडे मैच में ही शमी ने चार मेडन ओवर किए। इसके बाद रणजी ट्रॉफी में भी उन्होंने कमाल किया। अपने पहले टेस्ट में नौ विकेट लिए और अब वह दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में शुमार हो चुके हैं।
2015 विश्व कप को लेकर शमी ने बताया कि उस समय भारतीय टीम चार महीने तक ऑस्ट्रेलिया में थी। पहले ही टेस्ट में उनके घुटने में सूजन आ गई थी और यह बढ़ती चली गई। जब विश्व कप आया तो शमी का घुटना इस स्थिति में नहीं था कि वो खेल सकें। धोनी और डॉक्टर ने कहा कि आप अभी सर्जरी करा सकते हैं या विश्व कप के बाद सर्जरी करा सकते हैं। विश्व कप के दौरान हर मैच के बाद पूरी टीम होटल जाती थी और शमी हॉस्पिटल जाते थे। वहीं, रोज उनके घुटने में इंजेक्शन के जरिए स्टेरॉइड डाले जाते थे। पूरा विश्व कप आसानी से गुजर गया, लेकिन सेमीफाइनल में पांच ओवर करने के बाद उन्हें अपना पैर महसूस नहीं हो रहा था। वह बाहर गए और लौटकर पांच ओवर किए, लेकिन टीम इंडिया हार गई। शमी को अपने पैर से ज्यादा मैच हारने का दुख था।
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने कहा कि आपके लिए ठीक से चलना भी मुश्किल होगा। खेलना तो दूर है। हालांकि, शमी ने अच्छे से रिहैब किया और वापसी भी की। अपने निजी जीवन को लेकर शमी ने कहा कि उनका परिवार बहुत सीधा-साधा था और कभी ऐसे झमेले नहीं हुए थे। पत्नी के साथ विवाद को लेकर वह 4-5 दिन काफी परेशान थे, लेकिन इसके बाद समझाने पर वह संभल गए। यह मुश्किल समय था, लेकिन वह भागे नहीं और जीतकर बाहर निकले।
शमी ने आगे बात करते हुए पाकिस्तान का जमकर मजाक बनाया। उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ियों के बेतुके आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सुधर जाओ भाई। 2015 विश्व कप में अपनी तेज गति पर बात करते हुए उन्होंने कहा की पर्थ में उन्होंने जिस तरह क्रिस गेल को आउट किया था, वह उन्हें बहुत पसंद आया था। उन्होंने बताया कि सुरेश रैना उनके पास आए थे और कहा था कि गेंद दिख नहीं रही है, अगर कैच छूट जाए तो शिकायत मत करना। उन्होंने बताया कि भारत का मैच देखने के लिए एक लाख से ज्यादा लोग ऑस्ट्रेलिया के एक शहर में पहुंच गए थे। वहां के लोग यह भीड़ देखकर हैरान थे। 
अपने खाने को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें नॉन वेज खाना पसंद है और हर जगह वही ढूंढ़ते रहते हैं। बिरयानी के प्रति अपने प्रेम को जाहिर करते हुए शमी ने बताया कि सारे दोस्त उनके कमरे में बिरयानी खाते थे और उनके रूम के बाहर प्लेट रख देते थे। इस तरह वह बिरयानी खाने के लिए बदनाम हो गए।
शमी ने ये भी बताया कि क्या उन्हें दूसरे खिलाड़ियों से अलग करता है। उन्होंने बताया कि बाकी खिलाड़ी जब ऑफ सीजन में घर जाते हैं तो उनकी ट्रेनिंग बंद हो जाती है, लेकिन जब शमी घर जाते हैं तो युवा खिलाड़ी और उनके दोस्त उनके पास आ जाते हैं और प्रैक्टिस करते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि शमी की गेंदों पर प्रैक्टिस करके उन्हें जो मिलेगा। वो कहीं और नहीं मिलना है। इस वजह से उनकी फिटनेस और लय बनी रहती है।
ड्राइविंग के प्रति अपना शौक जाहिर करते हुए शमी ने बताया कि वह साइकिल से लेकर बाइक, कार और ट्रक-बस भी चला चुके हैं, लेकिन अब अनहोनी के डर से सिर्फ कार चलाते हैं। बचपन का किस्सा बताते हुए शमी ने कहा कि एक बार उन्होंने ट्रैक्टर चलाते समय गड़बड़ी कर दी थी, क्योंकि उनके पैर ब्रेक तक नहीं पहुंच रहे थे और वह उसी हालत में ट्रैक्टर को छोड़कर भाग गए थे।

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