अन्नू रानी एशियाड से पहले खेल छोड़ने का बना चुकी थी मन

मेरठ की जेवलिन थ्रोअर ने एशियाड में जीता स्वर्ण पदक
खेलपथ संवाद
मेरठ।
हांगझू एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने से पहले अपने लगातार खराब प्रदर्शन से भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी इतनी परेशान हो गई थीं कि उन्होंने खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था। अन्नू ने कहा इस साल मैंने बहुत संघर्ष किया। मैं विदेश में अभ्यास करने गई थी। सरकार से जिद करके विदेशी कोच से सीखने गई थी लेकिन मेरा प्रदर्शन गिर गया। पूरा साल खराब हो चुका था। एक के बाद एक हर प्रतियोगिता में खराब प्रदर्शन हो रहा था। मैंने एशियाई खेलों से पहले सोच लिया था कि मैं खेल छोड़ दूंगी।
अन्नू ने कहा, 'इस साल मैंने बहुत संघर्ष किया है। मैंने इतनी कोशिश के बावजूद जीत नहीं पा रही थी। सरकार और साई ने मुझ पर इतना पैसा लगाया है, लेकिन मैं प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी। बुडापेस्ट में विश्व चैम्पियनशिप के बाद मैंने खेल को अलविदा कहने के बारे में सोच लिया था।' अन्नू अगस्त में बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 57.05 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ 11वें स्थान पर रहीं और फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी थीं। वह सितम्बर में ब्रुसेल्स में डायमंड लीग में 57.74 मीटर के थ्रो के साथ सातवें स्थान पर रहीं। पूरे सत्र में वह 60 मीटर का आंकड़ा नहीं छू सकी थीं। हांगझू में एशियाई खेलों में हालांकि 69.92 मीटर के थ्रो के साथ उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर खराब फार्म को अलविदा कहा।
अन्नू ने कहा, 'मन में आया कि इतने संघर्ष झेलकर अभावों से निकलकर मैं यहां तक आई हूं तो एशियाई खेलों में एक आखिरी चांस लेकर देखती हूं। मैंने खूब मेहनत की और मुझे यह विश्वास था कि अच्छा खेलूंगी और पदक भी जीतूंगी। प्रतिस्पर्धा कठिन थी जिसमें विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता और ओलम्पिक पदक विजेता थे। मैं यह सोचकर उतरी थी कि जितना खराब होना था हो चुका और अब इससे खराब क्या होगा और मुझे सिर्फ स्वर्ण चाहिए था, रजत या कांस्य नहीं।'

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