तितास साधु की दो गेंदों ने दिलाया भारत को स्वर्ण

24 सितम्बर को मिला सीनियर टीम में प्रवेश का मौका
जन्मदिन से पहले देश को दी स्वर्णिम सौगात
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एशियाई खेलों में इतिहास रचते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस जीत में 18 साल की तेज गेंदबाज तितास साधु का अहम योगदान है। इस बेटी ने फाइनल में चार ओवर में छह रन देकर तीन विकेट लिए। इस दौरान एक मेडन ओवर भी किया। इस बेटी का सबसे खास पहला ओवर रहा, जिसमें चार गेंदों में उसने दो विकेट झटके और मैच पलट दिया। तितास इससे पहले इसी साल भारत को अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप भी जिता चुकी हैं। उस विश्व कप के फाइनल में वह प्लेयर ऑफ द मैच रही थीं।
29 जनवरी, 2023 की तारीख को कौन भूल सकता है। उस दिन भारतीय महिला अंडर-19 क्रिकेट टीम ने महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप के पहले संस्करण में ही जीत हासिल की थी। यह भारतीय महिला टीम की किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट में पहली जीत थी। भारत का फाइनल में सामना इंग्लैंड से था। इंग्लैंड की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 17.1 ओवर में 68 रन पर सिमट गई थी। तितास ने उस मैच में चार ओवर में छह रन देकर दो विकेट झटके थे और भारत की सबसे कामयाब गेंदबाज रही थीं। भारत ने 14 ओवर में तीन विकेट गंवाकर लक्ष्य हासिल कर लिया। तितास को प्लेयर ऑफ द मैच अवॉर्ड दिया गया। उस वक्त तितास खूब चर्चाओं में रही थीं।
इसके करीब सात महीने बाद यानी 24 सितंबर को एशियाई खेलों में तितास को भारत की सीनियर महिला टीम में डेब्यू का मौका मिला। उन्होंने अपना डेब्यू मैच सीधे एशियाड के सेमीफाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ खेला। इसमें उन्होंने 10 रन देकर एक विकेट लिया। फाइनल में भी उन पर भरोसा जताया गया और तितास ने कप्तान को निराश नहीं किया। भारतीय टीम का स्कोर काफी कम था। 117 रन बचाने थे।
तितास श्रीलंकाई पारी के तीसरे ओवर में गेंदबाजी के लिए आईं और पहली ही गेंद पर श्रीलंकाई ओपनर अनुष्का संजीवनी को पवेलियन भेजा। फिर इसी ओवर की चौथी गेंद पर विश्मी गुणारत्ने को आउट किया। इसके बाद तितास ने श्रीलंका की सबसे विस्फोटक और अनुभवी बल्लेबाज, उनकी कप्तान चमारी अटापट्टू को पवेलियन भेजा। इन तीन विकेट से श्रीलंकाई टीम बैकफुट पर आ गई और भारतीय टीम जीत हासिल करने में कामयाब रही। तितास के फाइनल यानी अहम मैच में प्रदर्शन की क्षमता ने भारत को एक बार फिर एशियाई खेलों में चैंपियन बनाया। उन्हें आने वाले समय में भारत का स्टार बताया जा रहा है। चार दिन बाद अपना 19वां जन्मदिन मनाने जा रहीं युवा तेज गेंदबाज तितास साधु ने फाइनल में चार ओवरों में छह रन देकर तीन विकेट लेते हुए स्वर्णिम जीत में अहम भूमिका निभाई।
तितास पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं। उनका जन्म सितम्बर 2004 में चिनसुरा, पश्चिम बंगाल में हुआ था। तितास के पिता रणदीप साधु क्रिकेट एकेडमी चलाते थे, लेकिन उनकी क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं थी। तितास को बचपन में तैराकी, स्प्रिंट और एथलेटिक्स में लगाव था। क्रिकेट को वह सिर्फ देखना पसंद करती थीं। तितास के पिता को जब अकादमी चलाते हुए दो साल बीत गए तो उस वक्त तक वह 13 वर्ष की हो चुकी थीं। 
एक दिन किसी कारण एकेडमी बंद थी तो तितास के पिता ने उन्हें गेंद फेंकने को कहा। वह पहला दिन था जब तितास ने क्रिकेट खेला था। यहीं से तितास को क्रिकेट में रुचि आई और गेंदबाज बनने का ठान लिया। तितास ने 13 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया और अपने पिता की अकादमी ज्वाइन की। जब वह 10वीं क्लास में गईं तो उन्होंने ट्रायल दिया पर सेलेक्ट नहीं हुईं। कोरोना महामारी के बाद सीनियर टीम के लिए ट्रायल दिया और नेट बॉलर के तौर पर बंगाल की सीनियर टीम में सेलेक्ट हो गईं।
तितास ने सीनियर महिला टी20 टूर्नामेंट में बंगाल की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट हासिल किए। ये टूर्नामेंट उनके क्रिकेट करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। तितास के प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें महिला अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह मिली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तितास ने अंडर-19 विश्व कप के दौरान नौ विकेट लिए। अब तक वह भारत की सीनियर टीम के लिए दो टी20 मैच खेल चुकी हैं और चार विकेट लिए हैं। वह एशियाई खेलों में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में दूसरे स्थान पर रहीं।
तितास की खासियत यह है कि उन्हें नई और पुरानी दोनों गेंदों से कहर बरपाने में महारत हासिल है। वह गेंद को दोनों ओर स्विंग करा सकती हैं। तितास की आदर्श बंगाल की पूर्व तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी हैं। झूलन ने भारतीय टीम के लिए कई वर्षों तक खेला और तितास भी लम्बे समय तक भारतीय टीम की सेवा करना चाहती हैं।  

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