कुश्ती संघ के पदाधिकारियों का अमान्य होना हमारी पहली जीत

अपनी लड़ाई न्याय नहीं मिलने तक जारी रखेंगे
माता-पिता की मांग के बाद कराई ठहरने की व्यवस्था
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की ओर से भारतीय कुश्ती संघ के सभी पदाधिकारियों को अमान्य करार दिए जाने को धरने पर बैठे पहलवानों ने अपनी पहली जीत करार दिया है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद धरने पर बैठे बजरंग, विनेश और साक्षी मलिक ने रविवार को यह एक बार फिर साफ कर दिया है कि भले ही कुश्ती संघ के पदाधिकारी अमान्य घोषित कर दिए गए हैं, लेकिन वे अपनी लड़ाई न्याय नहीं मिलने तक जारी रखेंगे। उनकी अंतिम मांग बृजभूषण की गिरफ्तारी है।
आईओए ने शुक्रवार को न सिर्फ कुश्ती संघ के सभी पदाधिकारियों के काम करने पर रोक लगा दी थी बल्कि संघ के एकाउंट्स, एंट्री भेजने के लॉगिन भी मांग लिए थे। हालांकि पहलवानों ने रविवार को कहा कि कुश्ती संघ को भंग किया गया है, लेकिन खेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कुश्ती संघ को भंग नहीं किया गया है बल्कि आईओए ने उसके सभी पदाधिकारियों के कार्य पर रोक लगाई गई है।
आईओए की तदर्थ समिति की ओर से अंडर-17 और अंडर-23 एशियाई चैम्पियनशिप के लिए 17 से 19 मई को कराए जाने वाले ओपन ट्रायल में पहलवानों के माता-पिता ने ठहरने का इंतजाम नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठा दिए। इसके बाद समिति और साई ने एनआईएस पटियाला और साई सेंटर सोनीपत में होने वाली ट्रायल के लिए पहलवानों के ठहरने के इंतजाम कराने का सर्कुलर जारी कर दिया। साई की ओर से कहा गया है कि पटियाला और सोनीपत में आने वाले पहलवानों को साई सेंटर में ही ठहराया जाएगा, लेकिन इसके लिए उनसे प्रति पहलवान 500 रुपये लिए जाएंगे। इससे पहले ट्रायल में भाग लेने वाले पहलवानों से एक हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस भी मांगी गई है, जो उन्हें कैश में ट्रायल से पहलेे देनी होगी। इस फीस के बदले उन्हें खाना उपलब्ध कराया जाएगा।

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